Tuesday, December 27, 2016

तोते की तरह फैक्ट्स नहीं बता सकता पीड़ित: कोर्ट

नई दिल्ली

छेड़छाड़ और उत्पीड़न के एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली कोर्ट ने टिप्पणी की है कि पीड़ित तथ्यों को तोते की तरह रटकर बयां नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा, गवाही में तय वक्त के बाद अंतर आ सकता है, जरूरी नहीं कि पीड़ित तोते की तरह सारे तथ्य जैसे के तैसे पेश कर पाए।

अडिशनल सेशंस जज संजीव जैन ने केस में दिल्ली के चार लोगों को दोषी पाते हुए 1 साल की सश्रम सजा सुनाई। इन चारों को महिला के साथ छेड़खानी, धमकी देने, नुकसान पहुंचाने का दोषी पाते हुए यह सजा सुनाई गई। जज ने आरोपियों को दोषी करार देते हुए कहा, 'तथ्य और परिस्थितियां साफ बयां करतीं हैं कि इन चारों ने आपराधिक मंशा के साथ महिला का उत्पीड़न किया। उसका मुंह दबाया और कपड़े फाड़े।'

जज ने उन दलीलों को भी खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया कि महिला ने गवाही में कुछ और कहा था। जज ने कहा, 'इस तरह के हादसों से गुजरे हुए पीड़ितों से ऐसी उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वे तोते की तरह सारे तथ्य बयां कर दें।' कोर्ट ने प्रत्येक दोषियों पर सजा के अलावा 10 हजार रुपये का अर्थदण्ड भी लगाया। यह राशि पीड़िता को सौंपी जाएगी।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 14-15 सितंबर 2014 को चार लोगों (टुकुन दास, पवन कुमार, विनोद कुमार, देव कांत गिरि) ने पड़ोस में रह रही महिला के घर में घुसकर शारीरिक और मानसिक तौर पर बदसलूकी की। बताया गया कि घटना से पहले महिला और दोषी विनोद के बीच झगड़ा हो चुका था। इस झगड़े में विनोद के खिलाफ भी शिकायत भी दर्ज करवाई गई थी। इससे आहत होकर विनोद ने तीन साथियों के साथ मिलकर महिला पर धावा बोल दिया।

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