वरिष्ठ संवाददाता, नई दिल्ली
एम्स मेट्रो स्टेशन का सबवे मरीजों का आशियाना बन गया है। 350 से ज्यादा लोग यहां रात बिताते हैं, जिनमें एम्स और सफदरजंग में इलाज के लिए आने वाले देश भर के मरीज, उनके तीमारदार और बेघर होते हैं। उन्हें यहां रात बिताने के लिए महफूज ठिकाना मिल गया है। दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड (डीयूएसआईबी) ने एम्स के बाहर दो शेल्टर शुरू किए हैं, एक सबवे में और दूसरा टेंट में चल रहा है।
छपरा, बिहार के जयदेव यादव ने कहा कि उनके बेटे का इलाज चल रहा है, इसलिए उन्हें यहां रुकना पड़ रहा है। उनके आठ साल के बेटे को कैंसर है, डॉक्टर एडमिट नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले तो बाहर ही रुकना पड़ता था, लेकिन जब से यह शेल्टर शुरू हुआ है तब से यहां पर उन्हें रात में जगह मिल जा रही है। अच्छी बात यह है कि सबवे में सोने वालों से ओपीडी कार्ड और पहचान पत्र की कॉपी ली जा रही है। इसके पीछे मरीजों की सुरक्षा है ताकि कोई गलत लोग यहां न पहुंच जाएं। डीयूएसआईबी ने पैम्फलेट के जरिए यह भी बताया है कि मरीजों को कंबल के साथ-साथ चाय फ्री में दी जाएगी।
दर्जनों लोग एम्स के बाहर बस स्टैंड और खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं। बस स्टैंड पर रात बिताने वाले मरीज के रिश्तेदार दिनकर ने कहा कि उनके पास पहचान पत्र नहीं है, इसलिए उन्हें अंदर जाने नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह पहचान पत्र लाना भूल गए थे। एम्स धर्मशाला में रह रहे एक मरीज के कहा कि उनकी पत्नी चंद्रकला को कैंसर है, उनका इलाज चल रहा है। सारे पैसे खर्च हो गए हैं, खाने के भी पैसे नहीं बचे हैं। अगर कोई खाना देने वाला मददगार यहां आता है तो उन्हें बहुत राहत मिल जाती है।
झारखंड की ललिता देवी 5 महीने के रुद्र के इलाज के लिए यहां आई हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे के ब्रेन में पानी भर गया है। डॉक्टर ने इमरजेंसी बताया है और सर्जरी कराने के लिए कहा है। पैसा और ब्लड जमा करा दिए हैं, लेकिन रोज कहते हैं कि बेड नहीं है। मेरे पति हर दिन लाइन में लगकर पता करते हैं और शाम को बता दिया जाता है कि बेड खाली नहीं है। एम्स के बाहर ऐसे कई मरीजों को इलाज में दिक्कत आ रही है। उनका कहना है कि लगता है, कभी परेशानी खत्म होने वाली नहीं है।
एम्स मेट्रो स्टेशन का सबवे मरीजों का आशियाना बन गया है। 350 से ज्यादा लोग यहां रात बिताते हैं, जिनमें एम्स और सफदरजंग में इलाज के लिए आने वाले देश भर के मरीज, उनके तीमारदार और बेघर होते हैं। उन्हें यहां रात बिताने के लिए महफूज ठिकाना मिल गया है। दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड (डीयूएसआईबी) ने एम्स के बाहर दो शेल्टर शुरू किए हैं, एक सबवे में और दूसरा टेंट में चल रहा है।
छपरा, बिहार के जयदेव यादव ने कहा कि उनके बेटे का इलाज चल रहा है, इसलिए उन्हें यहां रुकना पड़ रहा है। उनके आठ साल के बेटे को कैंसर है, डॉक्टर एडमिट नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले तो बाहर ही रुकना पड़ता था, लेकिन जब से यह शेल्टर शुरू हुआ है तब से यहां पर उन्हें रात में जगह मिल जा रही है। अच्छी बात यह है कि सबवे में सोने वालों से ओपीडी कार्ड और पहचान पत्र की कॉपी ली जा रही है। इसके पीछे मरीजों की सुरक्षा है ताकि कोई गलत लोग यहां न पहुंच जाएं। डीयूएसआईबी ने पैम्फलेट के जरिए यह भी बताया है कि मरीजों को कंबल के साथ-साथ चाय फ्री में दी जाएगी।
दर्जनों लोग एम्स के बाहर बस स्टैंड और खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं। बस स्टैंड पर रात बिताने वाले मरीज के रिश्तेदार दिनकर ने कहा कि उनके पास पहचान पत्र नहीं है, इसलिए उन्हें अंदर जाने नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह पहचान पत्र लाना भूल गए थे। एम्स धर्मशाला में रह रहे एक मरीज के कहा कि उनकी पत्नी चंद्रकला को कैंसर है, उनका इलाज चल रहा है। सारे पैसे खर्च हो गए हैं, खाने के भी पैसे नहीं बचे हैं। अगर कोई खाना देने वाला मददगार यहां आता है तो उन्हें बहुत राहत मिल जाती है।
झारखंड की ललिता देवी 5 महीने के रुद्र के इलाज के लिए यहां आई हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे के ब्रेन में पानी भर गया है। डॉक्टर ने इमरजेंसी बताया है और सर्जरी कराने के लिए कहा है। पैसा और ब्लड जमा करा दिए हैं, लेकिन रोज कहते हैं कि बेड नहीं है। मेरे पति हर दिन लाइन में लगकर पता करते हैं और शाम को बता दिया जाता है कि बेड खाली नहीं है। एम्स के बाहर ऐसे कई मरीजों को इलाज में दिक्कत आ रही है। उनका कहना है कि लगता है, कभी परेशानी खत्म होने वाली नहीं है।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
Read more: AIIMS सबवे बना मरीजों का अशियाना