Wednesday, November 23, 2016

DDA पर भी लागू होगा नया रियल एस्टेट कानून

नई दिल्ली
केंद्र सरकार की ओर से लागू किए जा रहे रियल एस्टेट कानून के दायरे में डीडीए भी आएगा। इस तरह से अगर डीडीए पहले ही बुकिंग करता है और तय वक्त पर खरीददारों को मकान तैयार कर नहीं देता है तो उस पर भी वही कानून लागू होगा, जो अन्य बिल्डरों पर लागू होगा। डीडीए को भी नया हाउसिंग या कमर्शल प्रॉजेक्ट शुरू करने से पहले रेग्युलेटर से मंजूरी लेनी होगी।

दिल्ली के लिए क्या हैं रूल्स

यह प्रावधान हैं कि सरकार की ओर से रेग्युलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा। इस अथॉरिटी की न सिर्फ अपनी वेबसाइट होगी, बल्कि उसके पास पर्याप्त अधिकार भी होंगे। बिल्डर जो भी नया प्रॉजेक्ट शुरू करेगा, उसकी पूरी जानकारी रेग्युलेटर को देगा और उससे मंजूरी भी लेगा। रेग्युलेटर को बताना होगा कि उसका क्या प्रॉजेक्ट है। उस प्रॉजेक्ट को लेकर विभागों की क्लियरेंस है या नहीं और उसे प्रॉजेक्ट के बारे में यह भी बताना होगा कि वह उसे कब तक तैयार कर लेगा। उस डेडलाइन को ही फाइनल माना जाएगा। अगर डेडलाइन को बिल्डर मिस करता है तो उस पर रेग्युलेटर जुर्माना लगा सकता है। मंत्रालय का कहना है कि अगर बिल्डर की ओर से मकान बनाकर देने में देरी होती है तो उस हालत में खरीददार भी बिल्डर से ब्याज वसूल सकेगा। इसके लिए एसबीआई के लैंडिंग रेट के साथ दो फीसदी अतिरिक्त होगा। इसी तरह से अगर खरीददार पैसा चुकाने में देरी होती है तो खरीददार को भी इसी दर से ही ब्याज देना होगा।

विवाद की भी देनी होगी जानकारी

इन रूल्स में यह भी प्रावधान है कि अगर प्रमोटर या बिल्डर का पहले किसी प्रोजेक्ट में विवाद चल रहा है तो उसे अपनी वेबसाइट पर उसके बारे में भी जानकारी देनी होगी और यह भी बताना होगा कि बीते पांच साल में उसके किस प्रॉजेक्ट को लेकर कोर्ट में केस का क्या फैसला हुआ।

थर्ड पार्टी क्वॉलिटी ऑडिट

दिल्ली के लिए फाइनल किए गए रूल्स में एक प्रावधान यह भी किया गया है कि बिल्डर के बनाए प्रॉजेक्ट की क्वॉलिटी को सुनिश्चित किया जा सके। इसके लिए रेग्युलेटर थर्ड पार्टी से ऑडिट करा सकता है।

अग्रीमेंट फॉर सेल में लचीलापन

मंत्रालय ने खरीद फरोख्त के अग्रीमेंट के नियमों को भी फाइनल किया है। एक अधिकारी का कहना है कि इस मामले में मंत्रालय ने लचीलापन रखा है ताकि अपार्टमेंट, प्लॉट, गैराज और पार्किंग के लिए खरीददारों की जरूरत को ध्यान में रखा जाए। हालांकि माना जा रहा है कि मंत्रालय के इस फैसले का बुरा असर भी पड़ सकता है और इस अग्रीमेंट की आड़ में बिल्डर और प्रमोटर अपनी मनमानी कर सकते हैं।

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