सोमरीत भट्टाचार्य, नई दिल्ली
दिल्ली का नॉर्थ ईस्ट जिला अपराध का अड्डा साबित हो रहा है। इस इलाके में सबसे ज्यादा जघन्य अपराधों को अंजाम दिया जाता है। पिछले साल करीब 16,273 आपराधिक मामलों से 40 फीसदी अकेले इस जिले में हुए हैं। इन अपराधों में हत्या, हत्या का प्रयास, रेप, छेड़खानी, दंगा और अपहरण शामिल हैं। दूसरे नंबर पर आउटर जिला है, जहां 30 फीसदी अपराध होते हैं। इस बात का खुलासा एनजीओ प्रजा द्वारा 'दिल्ली में पुलिस व्यवस्था और कानून एवं व्यवस्था' पर जारी श्वेत पत्र से हुआ है।एनजीओ को आरटीआई के माध्यम से डेटा मिला है।
नॉर्थ ईस्ट जिले में अनधिकृत कॉलोनियां और पुनर्वासित बस्तियां हैं और वहां से उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में आसानी से जाया जा सकता है। इन कॉलोनियों में सीमापुरी, गोकुलपुरी, भजनपुरा, जाफराबाद, शाहदरा, सीलमपुर और खजूरी खास शामिल है। मानसरोवर पार्क जैसा मिड्ल क्लास एरिया भी इसमें शामिल है।
वहीं आउटर डिस्ट्रिक्ट में हरियाणा की सीमा से लगे मिले जुले हुए ग्रामीण इलाके और अनधिकृत कॉलोनियां हैं। इनमें नरेला, अलिपुर, बवाना, कंझावला, शाहबाद डेयरी, मंगोलपुर, सुल्तानपुरी और समयपुर बादली शामिल है। इन इलाकों में मिड्ल क्लास एरिया रोहिणी और इस तरह के अन्य छोटे-छोटे क्षेत्र भी आते हैं।
पुलिस के मुताबिक, इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में देश के अन्य भागों से प्रवास कर आए लोग रहते हैं। इन क्षेत्रों में अपराध के बड़े कारणों में गरीबी, सुविधाओं का अभाव है, जिस कारण बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। इस कारण वे नशाखोरी और अपराध की दुनिया में कदम रख देते हैं।
राजधानी में लॉ ऐंड ऑर्डर की स्थिति पर चिंता जताते हुए श्वते पत्र में उल्लेख किया गया है कि 2015 में रोजाना औसतन छह रेप, दो मर्डर और 215 लूटपाट, चोरी और डकैती के मामले सामने आए हैं। 2014 के बाद मर्डर के मामलों में 16 फीसदी और रेप के मामलों में 14 फीसदी की बड़ी बढ़ोतरी हुई है। लूटपाट और डकैती के मामले तो 33 फीसदी बढ़ गए है।
अंग्रेजी में भी पढ़ें: 70% of Delhi’s heinous crimes in 2 districts
दिल्ली का नॉर्थ ईस्ट जिला अपराध का अड्डा साबित हो रहा है। इस इलाके में सबसे ज्यादा जघन्य अपराधों को अंजाम दिया जाता है। पिछले साल करीब 16,273 आपराधिक मामलों से 40 फीसदी अकेले इस जिले में हुए हैं। इन अपराधों में हत्या, हत्या का प्रयास, रेप, छेड़खानी, दंगा और अपहरण शामिल हैं। दूसरे नंबर पर आउटर जिला है, जहां 30 फीसदी अपराध होते हैं। इस बात का खुलासा एनजीओ प्रजा द्वारा 'दिल्ली में पुलिस व्यवस्था और कानून एवं व्यवस्था' पर जारी श्वेत पत्र से हुआ है।एनजीओ को आरटीआई के माध्यम से डेटा मिला है।
नॉर्थ ईस्ट जिले में अनधिकृत कॉलोनियां और पुनर्वासित बस्तियां हैं और वहां से उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में आसानी से जाया जा सकता है। इन कॉलोनियों में सीमापुरी, गोकुलपुरी, भजनपुरा, जाफराबाद, शाहदरा, सीलमपुर और खजूरी खास शामिल है। मानसरोवर पार्क जैसा मिड्ल क्लास एरिया भी इसमें शामिल है।
वहीं आउटर डिस्ट्रिक्ट में हरियाणा की सीमा से लगे मिले जुले हुए ग्रामीण इलाके और अनधिकृत कॉलोनियां हैं। इनमें नरेला, अलिपुर, बवाना, कंझावला, शाहबाद डेयरी, मंगोलपुर, सुल्तानपुरी और समयपुर बादली शामिल है। इन इलाकों में मिड्ल क्लास एरिया रोहिणी और इस तरह के अन्य छोटे-छोटे क्षेत्र भी आते हैं।
पुलिस के मुताबिक, इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में देश के अन्य भागों से प्रवास कर आए लोग रहते हैं। इन क्षेत्रों में अपराध के बड़े कारणों में गरीबी, सुविधाओं का अभाव है, जिस कारण बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। इस कारण वे नशाखोरी और अपराध की दुनिया में कदम रख देते हैं।
राजधानी में लॉ ऐंड ऑर्डर की स्थिति पर चिंता जताते हुए श्वते पत्र में उल्लेख किया गया है कि 2015 में रोजाना औसतन छह रेप, दो मर्डर और 215 लूटपाट, चोरी और डकैती के मामले सामने आए हैं। 2014 के बाद मर्डर के मामलों में 16 फीसदी और रेप के मामलों में 14 फीसदी की बड़ी बढ़ोतरी हुई है। लूटपाट और डकैती के मामले तो 33 फीसदी बढ़ गए है।
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