प्राची यादव, नई दिल्ली
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) ने एनजीटी की गठित उस प्रिंसिपल कमिटी पर सवाल खड़े किए हैं, जिसने संस्था के मार्च में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम से यमुना फ्लडप्लेन को भारी नुकसान पहुंचने का दावा किया है। संस्था ने एनजीटी से कमिटी के सदस्यों की जांच की इजाजत मांगी है।
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली बेंच के सामने दायर अर्जी में एओएल ने कहा है कि एनजीटी ने प्रिंसिपल कमिटी को इस मकसद से गठित किया था, जिससे पता लगाया जा सके कि एओएल की ओर से 11 से 13 मार्च के बीच यमुना किनारे आयोजित वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा या नहीं। उसे फ्लडप्लेन को कथित नुकसान की भरपाई के लिए जुर्माने की रकम भी तय करने के लिए भी कहा गया। कमिटी ने 28 जुलाई को एनजीटी में अपनी रिपोर्ट दायर की थी। इसमें इवेंट से इन्वाइरनमेंट, ईकॉलजी और बायोडायवर्सिटी को नुकसान की बात कही गई।
संस्था के मुताबिक, यह रिपोर्ट कई हिस्सों में बंटी है, जिसमें कार्यक्रम की तैयारियों, कार्यक्रम की वजह से पर्यावरण को नुकसान, रीस्टोरेशन के लिए उठाए जाने के लिए जरूरी कदम और रिस्टोरेशन के लिए इन्वाइरनमेंट कॉम्पेंसेशन का जिक्र है। 13 सितंबर को एओएल की ओर से ट्रिब्युनल में एफिडेविट दायर कर प्रिंसिपल कमिटी की इस रिपोर्ट का विरोध किया गया। संस्था के मुताबिक, प्रिंसिपल कमिटी ने रिपोर्ट में गलत तथ्य पेश किए हैं। साइंटिफिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और जांच के लिए अनुचित तरीके अपनाए गए। उसे कमिटी के हर निष्कर्ष पर आपत्ति है। रिपोर्ट फैक्चुअली गलत है।
एओएल की अर्जी पर आगे कहा गया है कि कमिटी की रिपोर्ट एक एक्सपर्ट ओपिनियन की तरह दिख रही है, जबकि कानूनन एक्सपर्ट ओपिनियन वेरिफाइड डाटा पर ही आधारित होना चाहिए। इसमें कई बातें कल्पनाओं पर आधारित हैं। सूचना देने वाले व्यक्ति की विश्वसनीयता पर शक हो, तो उसकी जांच जरूरी होती है। न्याय के हित में जरूरी है कि संस्था को कमिटी के सदस्यों को क्रॉस इग्जैमिन करने की इजाजत दी जाए।
डीडीए की ओर से एडवोकेट कुश शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एनजीटी अध्यक्ष ने एओएल से पूछा कि क्या वह उस रिपोर्ट को लेकर अभी बहस शुरू करना चाहती है या कमिटी की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद। इस पर संस्था ने रिपोर्ट का इंतजार करने के लिए कहा। बेंच ने जल संसाधन मंत्रालय के सेक्रटरीशशि शेखर की अध्यक्षता में गठित सात सदस्यों वाली प्रिंसिपल कमिटी को निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई से पहले एनवायरनमेंट कॉम्पन्सेशन से जुड़ी अपनी रिपोर्ट पेश कर दें और मामले में अंतिम दलीलें सुनने के लिए 23 और 24 अक्टूबर की तारीख तय कर दी।
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) ने एनजीटी की गठित उस प्रिंसिपल कमिटी पर सवाल खड़े किए हैं, जिसने संस्था के मार्च में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम से यमुना फ्लडप्लेन को भारी नुकसान पहुंचने का दावा किया है। संस्था ने एनजीटी से कमिटी के सदस्यों की जांच की इजाजत मांगी है।
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली बेंच के सामने दायर अर्जी में एओएल ने कहा है कि एनजीटी ने प्रिंसिपल कमिटी को इस मकसद से गठित किया था, जिससे पता लगाया जा सके कि एओएल की ओर से 11 से 13 मार्च के बीच यमुना किनारे आयोजित वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा या नहीं। उसे फ्लडप्लेन को कथित नुकसान की भरपाई के लिए जुर्माने की रकम भी तय करने के लिए भी कहा गया। कमिटी ने 28 जुलाई को एनजीटी में अपनी रिपोर्ट दायर की थी। इसमें इवेंट से इन्वाइरनमेंट, ईकॉलजी और बायोडायवर्सिटी को नुकसान की बात कही गई।
संस्था के मुताबिक, यह रिपोर्ट कई हिस्सों में बंटी है, जिसमें कार्यक्रम की तैयारियों, कार्यक्रम की वजह से पर्यावरण को नुकसान, रीस्टोरेशन के लिए उठाए जाने के लिए जरूरी कदम और रिस्टोरेशन के लिए इन्वाइरनमेंट कॉम्पेंसेशन का जिक्र है। 13 सितंबर को एओएल की ओर से ट्रिब्युनल में एफिडेविट दायर कर प्रिंसिपल कमिटी की इस रिपोर्ट का विरोध किया गया। संस्था के मुताबिक, प्रिंसिपल कमिटी ने रिपोर्ट में गलत तथ्य पेश किए हैं। साइंटिफिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और जांच के लिए अनुचित तरीके अपनाए गए। उसे कमिटी के हर निष्कर्ष पर आपत्ति है। रिपोर्ट फैक्चुअली गलत है।
एओएल की अर्जी पर आगे कहा गया है कि कमिटी की रिपोर्ट एक एक्सपर्ट ओपिनियन की तरह दिख रही है, जबकि कानूनन एक्सपर्ट ओपिनियन वेरिफाइड डाटा पर ही आधारित होना चाहिए। इसमें कई बातें कल्पनाओं पर आधारित हैं। सूचना देने वाले व्यक्ति की विश्वसनीयता पर शक हो, तो उसकी जांच जरूरी होती है। न्याय के हित में जरूरी है कि संस्था को कमिटी के सदस्यों को क्रॉस इग्जैमिन करने की इजाजत दी जाए।
डीडीए की ओर से एडवोकेट कुश शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एनजीटी अध्यक्ष ने एओएल से पूछा कि क्या वह उस रिपोर्ट को लेकर अभी बहस शुरू करना चाहती है या कमिटी की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद। इस पर संस्था ने रिपोर्ट का इंतजार करने के लिए कहा। बेंच ने जल संसाधन मंत्रालय के सेक्रटरीशशि शेखर की अध्यक्षता में गठित सात सदस्यों वाली प्रिंसिपल कमिटी को निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई से पहले एनवायरनमेंट कॉम्पन्सेशन से जुड़ी अपनी रिपोर्ट पेश कर दें और मामले में अंतिम दलीलें सुनने के लिए 23 और 24 अक्टूबर की तारीख तय कर दी।
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