Tuesday, October 4, 2016

ऐसे हैं जीबी रोड के रहस्यमय 'तहखाने'

नई दिल्ली
जीबी रोड के कोठे बाहरी दुनिया के लिए हमेशा से रहस्यमय रहे हैं। ऐसा ही एक राज है ‘तहखाने’, यानी छिपने की सुरंगनुमा जगह, हालांकि तहखाने का मतलब जमीन के नीचे बनी जगह होता है, लेकिन कोठों के 'तहखाने' दीवारों के बीच ही बनते हैं। यहां ज्यादातर कोठों में ऐसे हिडन स्पेस (तहखाने) बने हैं, जिन पर कार्रवाई के लिए हाल में दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली नगर निगम को नोटिस भेजा है।

हिडन स्पेस
जीबी रोड के कोठों पर दिल्ली पुलिस की दबिश के चलते हिडन स्पेस के खुलासों से समय-समय पर सनसनी फैलती रही है। महिला आयोग के नोटिस से एक बार फिर यह हिडन स्पेस चर्चा में हैं। आयोग का कहना है कि इस तरह के हिडन स्पेस में कोठा मालिक लड़कियां को छिपाते हैं, इसलिए इन्हें तोड़ा जाना चाहिए। एक एनजीओ के अनुसार, ये हिडन स्पेस एक दीवार के साथ में दूसरी दीवार बनाकर तैयार किए जाते हैं, जिनकी लंबाई-चौड़ाई लगभग 6x4 फुट होती है। इनमें ऐसा कोई रास्ता नहीं दिया जाता, जो सामने से नजर आए। इनमें एंट्री पॉइंट को सुरंगनुमा (लगभग डेढ़-दो फुट ऊंचा और चौड़ा) रखा जाता है। उस पर लकड़ी का बोर्ड लगाकर दीवार को पेंट कर दिया जाता है, जिससे कि एंट्री पॉइंट नजर नहीं आता। कई जगहों पर उस बोर्ड के आगे एक अलमारी भी बना दी जाती है। इस तरह से पता ही नहीं चलता कि कमरे में कोई छिपने की जगह भी बनी है। चोरी-छिपे अलमारियों के अंदर से बोर्ड हटाकर लड़कियों को हिडन स्पेस में छिपाया और निकाला जाता है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस तरह हिडन स्पेस को खोजना आसान नहीं होता। जगह-जगह दीवारों पर दस्तक देकर उसके खोखला होने का अंदाजा लगाना पड़ता है। रेड के दौरान पुलिसकर्मी दीवारों पर लातें मार-मारकर हिडन स्पेस खोज रहे होते हैं।




‘एक बार पकड़े जाने पर दूसरा रास्ता बना लेते हैं’
सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि इस तरह के हिडन स्पेस एक बार पकड़े जाने पर भी बंद नहीं होते। कोठा संचालक अगली बार किसी दूसरी जगह से रास्ता बना देते हैं। एक एनजीओ के अनुसार, कोठे तो जब बंद होंगे, तब होंगे, लेकिन पुलिस व अन्य सिविक एजेंसियों की सबसे पहली कोशिश इन हिडन स्पेस को बंद कराने की होनी चाहिए, जिनमें मासूम लड़कियों की गुहार और कोठों के काले राज दबाए जाते हैं। ये स्पेस इतने छोटे होते हैं कि इनमें सीधा खड़ा तक नहीं हो सकते, बावजूद इसके एक-एक हिडन स्पेस में 10-12 लड़कियां ठूंस दी जाती हैं। कुछ माह पहले कमला मार्केट पुलिस ने ऐसे ही एक हिडन स्पेस का पर्दाफाश करके कई लड़कियों को मुक्त करवाया था।

क्यों पड़ी हिडन स्पेस की जरूरत
कोठों पर भीड़ बढ़ी तो वेश्याओं की सुरक्षा को भी खतरा बढ़ा। कोठों से जुड़ी एक स्वयंसेवी संस्था के अनुसार, शुरुआती दौर में जीबी रोड पर अलग-अलग जगहों से 15-20 लोगों के ग्रुप्स आते थे। इनमें बहुत से बदमाश भी होते थे। कई बार उनके बीच किसी लड़की को लेकर ठन जाती थी, ऐसे में लड़कियों को कोठों से उठाने की कोशिश की जाती। इन वजहों से कोठा संचालकों ने लड़कियों को छिपाने के लिए हिडन स्पेस बनवाने शुरू किए, जो बाद में पुलिस से बचाव के लिए इस्तेमाल होने लगे।

‘यातनाएं दी जाने लगीं’
तहखाने बनाए तो लड़कियों की सुरक्षा करने के लिए गए थे, लेकिन बाद में इनका गलत इस्तेमाल होने लगा। जीबी रोड का धंधा बढ़ता गया। यहां देश के अन्य राज्यों के अलावा नेपाल और बंग्लादेश तक से लड़कियां लाकर बेची-खरीदी जाने लगीं। इनमें कुछ हालात से घिरकर मर्जी से धंधे में उतर जातीं तो कई विरोध करती रहतीं। बहुत सी लड़कियां नाबालिग होती थीं, जो देह व्यापार के लिए तैयार नहीं होतीं। ऐसी लड़कियों को इन्हीं हिडन स्पेस में भूखा-प्यासा रखकर यातनाएं दी जातीं, जो सिलसिला आज भी जारी है। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, आज भी इन जगहों पर नाबालिग लड़कियों को बंद किया जाता है, उन्हें भूखा-प्यासा रखकर रेप किया जाता है। ये खुलासा पुलिस कार्रवाई में मुक्त कराई गई लड़कियों के बयानों से हुआ है।

मर्जी से भी छिपती हैं लड़कियां
एनजीओ के अनुसार, कोठे पर मर्जी से धंधा करने वाली युवतियां भी पुलिस कार्रवाई के चलते इन हिडन स्पेस में जा छिपती हैं। ऐसा बहुत बार होता है कि पुलिस व अन्य किसी एजेंसी की रेड की खबर कोठा संचालकों को पहले ही मिल जाती है, ऐसे में आनन-फानन में उन लड़कियों को हिडन स्पेस में छिपा दिया जाता है। दरअसल देह व्यापार करने वाली लड़कियों और कोठा संचालकों को डर होता है कि पुलिस उन युवतियों को भी नाबालिग के तौर पर अपने साथ ले जा सकती है। वह पुलिस कार्रवाई के झंझट में पड़ने के डर से छिपती हैं, जिससे धंधे में रुकावट न पड़े।

हिडन स्पेस तोड़ने के लिए निगम को लिखे तमाम पत्र
इस बारे में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि हिडन स्पेस पूरी तरह अवैध हैं। इन्हें तोड़ने की जिम्मेदारी दिल्ली नगर निगम की है। इसके लिए पुलिस की ओर से कई बार नगर निगम को पत्र लिखे गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस ने खुद ही एक-दो जगहों पर कोठा संचालकों पर दबाव बनाकर हिडन स्पेस खत्म करवाए।

अग्रेंजों से भी पुराना है कोठों का इतिहास
जीबी रोड से जुड़ी एक स्वयंसेवी संस्था के अनुसार, दिल्ली में कोठों का इतिहास अंग्रेजों से पहले का है। 1950 से पहले तक दिल्ली में चावड़ी बाजार, मजनूं का टीला, कुतुब रोड समेत पांच जगहों पर कोठे हुए करता था, जिन पर मुजरा और देह व्यापार होता है। धीरे-धीरे सभी को एक ही जगह पर शिफ्ट कर दिया गया। साल 1956 तक सभी कोठे जीबी रोड पहुंच गए। यहां की इमारतों में नीचे व्यवसायिक गतिविधियां चलती थीं, ऊपर मुजरा और देह व्यापार होने लगा। एक ही जगह पर कोठों का कारोबार शुरू होने से जीबी रोड की चर्चा देश भर में फैल गई। बगल में रेलवे स्टेशन होने से व्यवसायिक कारोबार और देह व्यापार के ग्राहक तेजी से बढ़े। यहां अजमेरी गेट से लेकर बिल्डिंग नंबर 71 तक आज करीब 100 कोठे खुले हैं।

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