Tuesday, October 4, 2016

इस रामलीला में हैं 60 साल पुराने रथ

नई दिल्ली
टीवी पर भगवान श्रीराम से जुड़े धारावाहिक तो आप देखते ही होंगे। वनवास से लौटने के बाद अस्त्र-शस्त्र के साथ भगवान श्रीराम पूरी अयोध्या नगरी का भ्रमण करते हैं। रथ पर लगे हीरे, मोती और घोड़ों की सफेदी अक्सर आपको आकर्षित करती है। लेकिन ऐसे ही रथ अगर साक्षात देखने को मिले तो रामलीला का और भी ज्यादा आनंद आता है। यूं तो दिल्ली में दशहरे तक कई जगह रामलीला का मंचन किया जा रहा है, लेकिन लालकिला ग्राउंड में एक ऐसी भी लीला है, जहां वर्षों पुराने रथ पर सवार होकर कलाकार हर दिन मंच तक पहुंचते हैं।

यह रथ हैं नवश्री धार्मिक रामलीला कमिटी के वर्ष 1958 और 60 में करीब 50 हजार रुपये की लागत से तैयार हुए थे। इन रथों का वजन 20 क्विंटल से भी ज्यादा है। हर रोज 20 से 25 लोग इन रथ को धक्का लगाते हैं। साथ ही रथ को दिशा देने के लिए हैंडल भी लगा है। कमिटी के प्रेस सचिव राहुल शर्मा बताते हैं कि वर्ष 1958 से लालकिला ग्राउंड में कमिटी की ओर से आयोजन किया जा रहा है। शुरूआत में कमिटी ने इन रथ को तैयार कराया था। राहुल के मुताबिक, रथ तैयार करने वाले कलाकार अब इस दुनिया में नहीं रहे। लेकिन उनके पोते अभी भी इस रथ की देखरेख करते हैं। कमिटी के अनुसार हर साल रथ के रखरखाव में करीब एक लाख रुपये का खर्च आता है। रामलीला के बाद किशनगंज स्थित गोदाम में इन्हें रख दिया जाता है।

यूपी से आते हैं देखभाल करने वाले
उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिले के समय सिंह बताते हैं कि रामलीला के लिए वह दिल्ली आए हैं। पिछले 20 वर्षों से हर साल 20 दिन के लिए अपने अन्य 25 साथियों के साथ वह दिल्ली आते हैं। रथ के अलावा आभूषण की देखरेख का जिम्मा भी उन्हीं का होता है। समय सिंह ने बताया कि रामलीला में दो रथ हैं। नवश्री धार्मिक रामलीला कमिटी के अनुसार, कलाकारों के लिए रामलीला में सोने के मुकुट और चांदी की कुर्सियां हैं। यह सामान भी 60 के दशक में खरीदा गया था। तब से हर साल इस सामान की देखरेख की जाती है। कलाकारों के इन आभूषण को देख पुराने जमाने की कला का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। कमिटी का दावा है कि ऐसे आभूषण अन्य किसी भी रामलीला में देखने को नहीं मिलते।

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