छात्र संघ चुनावों के मद्देनजर दिल्ली के दो बड़े केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्र संगठन बेहद सावधानी बरत रहे हैं। दांव-पेच जारी है। शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की तस्वीर साफ हो गई, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) में दोनों प्रमुख छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और एनएसयूआइ ने अपने-अपने पत्ते शनिवार को ही खोलने का फैसला किया है।
इस कड़ी में वाम खेमा एक अपवाद रहा जिसने अपने उम्मीदवारों की घोषणा दो दिन पहले ही कर दी। बहरहाल खास बात यह है कि पहली बार वामपंथी छात्र संगठन एकजुट होकर मैदान में हैं। जिनका विरोध कैंपस में राष्ट्रवाद बनाम आजादी मुद्दे को लेकर विरोधी संगठन कर रहे हैं। वामपंथियों का गढ़ माने जाने वाले जेएनयू कैंपस में पिछली बार सेंट्रल पैनल की एक सीट पर एबीवीपी ने जीत दर्ज की थी।
इस बार यहां राष्ट्रवाद के अलावा छात्राओं की सुरक्षा भी बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। बहरहाल, जेएनयू में 9 सितंबर को होने वाले छात्रसंघ चुनाव के लिए मैदान में इस बार 99 उम्मीदवार है। सेंट्रल पैनल पर चार सीटों के लिए कुल 18 उम्मीदवार मैदान में हैं। जबकि जेएनयू कैंपस में विभिन्न स्कूलों के 31 काउंसलर के पदों के लिए 81 उम्मीदवार मैदान में हैं। एबीवीपी की ओर से सेंट्रल पैनल पर सभी चार सीटों पर और काउंसलरों के पदों पर कुल 24 उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं।
पहली बार आइसा और एसएफआइ ने जेएनयूएसयू चुनावों के लिए गठबंधन किया है जिसे ‘वाम एकता’ नाम दिया गया है। आप से अलग हुए स्वराज अभियान की छात्र शाखा स्टूडेंट फ्रंट फॉर स्वराज (एसएफएस) ने हांलाकि जेएनयूएसयू में चार अहम पदों के लिए अपने उम्मीदवार अधिकारिक रूप से खडेÞ नहीं किए हैं, लेकिन पार्टी की विचारधारा से जुड़ाव रखने वाले छात्र यहां मैदान में हैं।
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