वीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली
दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (DUSU) चुनाव का बिगुल बज चुका है। एबीवीपी, एनएसयूआई और लेफ्ट विंग ने कैंडिडेट घोषित कर दिए हैं। 'आप' की छात्र विंग मैदान में नहीं है। ऐसे में हमेशा की तरह एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है।
राजधानी में अगले साल एमसीडी के चुनाव हैं। इसलिए भी बीजेपी और कांग्रेस के लिए इस बार का डूसू चुनाव अहम माना जा रहा है। कांग्रेस की छात्र विंग ने कास्ट फैक्टर का पूरा ध्यान रखा है। एनएसयूआई ने जाट, गुर्जर, यादव और दलित समुदाय के छात्र को टिकट दिया है। साथ ही, साउथ और नॉर्थ कैंपस के बैलेंस का भी ख्याल रखा है। खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन सभी कॉलेज में एक राउंड पूरा कर चुके हैं। यही नहीं, कांग्रेस ने अपने बड़े लीडर भी चुनावी अभियान में उतारे हैं।
बीजेपी की स्टूडेंट विंग एबीवीपी ने भी जातीय समीकरण साधने की रणनीति बनाई है। साथ ही, राष्ट्रवाद को भी मुद्दा बनाने जा रहे हैं। एबीवीपी ने भी जाट, दो गुर्जर और एक यादव कैंडिडेट चुनावी मैदान में उतारा है। इस दौरान बीजेपी के भी बड़े नेता डूसू चुनाव की गोलबंदी और रणनीति में कूद चुके हैं। पिछले कुछ सालों से डूसू में एबीवीपी का परचम लहरा रहा है, जिसे बनाए रखने के लिए उसके कई पुराने नेता भी चुनाव अभियान में जुट गए हैं। डूसू चुनाव में करीब 50 कॉलेजों के स्टूडेंट्स वोटिंग करते हैं। यहां लेफ्ट विंग का प्रभाव कम रहा है, लिहाजा उसका ज्यादा फोकस जेएनयू के चुनाव पर है। हालांकि लेफ्ट विंग ने पहले की तरह अपने कैंडिडेट उतारे हैं।
दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (DUSU) चुनाव का बिगुल बज चुका है। एबीवीपी, एनएसयूआई और लेफ्ट विंग ने कैंडिडेट घोषित कर दिए हैं। 'आप' की छात्र विंग मैदान में नहीं है। ऐसे में हमेशा की तरह एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है।
राजधानी में अगले साल एमसीडी के चुनाव हैं। इसलिए भी बीजेपी और कांग्रेस के लिए इस बार का डूसू चुनाव अहम माना जा रहा है। कांग्रेस की छात्र विंग ने कास्ट फैक्टर का पूरा ध्यान रखा है। एनएसयूआई ने जाट, गुर्जर, यादव और दलित समुदाय के छात्र को टिकट दिया है। साथ ही, साउथ और नॉर्थ कैंपस के बैलेंस का भी ख्याल रखा है। खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन सभी कॉलेज में एक राउंड पूरा कर चुके हैं। यही नहीं, कांग्रेस ने अपने बड़े लीडर भी चुनावी अभियान में उतारे हैं।
बीजेपी की स्टूडेंट विंग एबीवीपी ने भी जातीय समीकरण साधने की रणनीति बनाई है। साथ ही, राष्ट्रवाद को भी मुद्दा बनाने जा रहे हैं। एबीवीपी ने भी जाट, दो गुर्जर और एक यादव कैंडिडेट चुनावी मैदान में उतारा है। इस दौरान बीजेपी के भी बड़े नेता डूसू चुनाव की गोलबंदी और रणनीति में कूद चुके हैं। पिछले कुछ सालों से डूसू में एबीवीपी का परचम लहरा रहा है, जिसे बनाए रखने के लिए उसके कई पुराने नेता भी चुनाव अभियान में जुट गए हैं। डूसू चुनाव में करीब 50 कॉलेजों के स्टूडेंट्स वोटिंग करते हैं। यहां लेफ्ट विंग का प्रभाव कम रहा है, लिहाजा उसका ज्यादा फोकस जेएनयू के चुनाव पर है। हालांकि लेफ्ट विंग ने पहले की तरह अपने कैंडिडेट उतारे हैं।
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