दिल्ली
शादी से पहले होने वाले समारोह 'रोका' को दिल्ली हाई कोर्ट ने सामाजिक बुराई बताते हुए कहा कि इसकी निंदा की जानी चाहिए। 'रोका' के दौरान शादी करने के बदले लड़के के परिवार वालों को लड़की वालों की तरफ से पैसे और गिफ्ट दिए जाते हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक महिला की अपील पर सुनवाइ के दौरान की है।
अपील में उन्होंने पति की ओर से निचली अदालत से तलाक लेने के फैसले को चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने पति के पक्ष में तलाक देने का आदेश दिया था। क्रूरता के आधार पर तलाक की डिक्री दी गई थी। हाई कोर्ट ने इस फैसले को खारिज को कर दिया। अदालत ने पाया कि पति का आरोप गलत था।
आरोप था कि महिला कभी बच्चा नहीं चाहती थी और घर छोड़कर मायके चली गई थी। हाई कोर्ट ने इन तमाम आरोपों को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि दोनों तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाए गए।
पति ने आरोप लगाया था कि अगस्त 2006 में रोका हुआ था और उस दौरान महिला ने लो ग्रेड के गिफ्ट मिलने का आरोप लगाया था। जबकि महिला ने कोर्ट को बताया कि पति की तरफ से उनके द्वारा दिए गए तोहफों में कमी निकाली गई थी।
शादी से पहले होने वाले समारोह 'रोका' को दिल्ली हाई कोर्ट ने सामाजिक बुराई बताते हुए कहा कि इसकी निंदा की जानी चाहिए। 'रोका' के दौरान शादी करने के बदले लड़के के परिवार वालों को लड़की वालों की तरफ से पैसे और गिफ्ट दिए जाते हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक महिला की अपील पर सुनवाइ के दौरान की है।
अपील में उन्होंने पति की ओर से निचली अदालत से तलाक लेने के फैसले को चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने पति के पक्ष में तलाक देने का आदेश दिया था। क्रूरता के आधार पर तलाक की डिक्री दी गई थी। हाई कोर्ट ने इस फैसले को खारिज को कर दिया। अदालत ने पाया कि पति का आरोप गलत था।
आरोप था कि महिला कभी बच्चा नहीं चाहती थी और घर छोड़कर मायके चली गई थी। हाई कोर्ट ने इन तमाम आरोपों को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि दोनों तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाए गए।
पति ने आरोप लगाया था कि अगस्त 2006 में रोका हुआ था और उस दौरान महिला ने लो ग्रेड के गिफ्ट मिलने का आरोप लगाया था। जबकि महिला ने कोर्ट को बताया कि पति की तरफ से उनके द्वारा दिए गए तोहफों में कमी निकाली गई थी।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
Read more: बड़ी सामाजिक बुराई है 'रोका': हाई कोर्ट