Saturday, September 3, 2016

सरकार से संवाद के बाद नर्सों ने तोड़ी हड़ताल, मरीजों की भीड़ देख डॉक्टर हुए पस्त

नर्सों की हड़ताल के व्यापक असर को देखते हुए केंद्र सरकार ने शनिवार देर रात तक चली बैठक में थोड़ा नरम रुख अख्तियार करते हुए नर्सों को भरोसा दिया कि वेतन बढ़ोतरी सहित उनकी तमाम मांगों को सरकार पूरा करेगी। सरकार के आश्वासन के बाद शनिवार रात नर्सों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली। वेतन बढ़ोतरी संबंधी मांग के मामले में एक बार फिर 12 सितंबर को बैठक होनी तय हुई है। इसके अलावा गिरफ्तार नर्सों को रिहा करने, उन पर दर्ज मामलों को वापस लेने, हड़ताली नर्सों का वेतन न काटने सहित तमाम मांगें शनिवार को ही मान ली गर्इं।

इसके पहले शनिवार को दिल्ली सरकार ने हड़ताल पर गर्इं नर्सों के खिलाफ एफआइआर करने व उन्हें बर्खास्त करने की चेतावनी दी थी। इसके साथ ही सरकार ने भर्ती प्रक्रिया शुरू कर इसके लिए विज्ञापन भी जारी कर दिया था। सोमवार को नर्सों की तदर्थ भर्ती के लिए साक्षात्कार करने का फैसला भी ले लिया गया। दिल्ली के मुख्य सचिव केके शर्मा ने दिल्ली सरकार के अधीन चल रहे अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों क ो निर्देश कि वे नर्सों की हाजिरी पुस्तिका का मुआयना करें व जो नर्स अनुपस्थित पाई जाती हैं, उनकी सूची तैयार करें। सरकार ने एक जारी बयान में धमकी दी थी कि हड़ताल में शामिल नर्सों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जाएगी। दिल्ली सरकार ने यह भी चेतावनी दी थी कि नर्सों के खिलाफ एस्मा कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है जिसमें नर्सों को हिरासत में लेने, गिरफ्तारी से लेकर उनकी बर्खास्तगी तक कुछ भी हो सकता है। मुख्य सचिव ने प्रधान सचिव, दिल्ली पुलिस कमिश्नर और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर अस्पतालों की स्थिति का जायजा लिया था। बैठक में दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव ने अस्पतालों के दौरे सबंधी रपट पेश की।

बैठक सें बताया गया कि तमाम अस्पतालों में आ रहे बुखार के मरीजों का इलाज ठेके पर रखी गर्इं नर्सों के सहारे चलाया गया। जबकि पहले से तय आॅपरेशन टालने पड़े। बैठक में यह भी बताया गया कि अस्पतालों में पहले से ही नर्सों की भारी कमी है। कई बड़े अस्पतालों में तो पहले से निर्धारित नर्सों की संख्या में एक तिहाई नर्सें ही हंै।
उपराज्यपाल ने एस्मा के तहत हड़ताल को गैरकानूनी करार दिया था। इस अधार पर नर्सों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती थी। इस आशय की सार्वजनिक सूचना जारी कर दी गई है कि नर्सें अपनी ड्यूटी पर रिपोर्ट करें। अगर वे ऐसा नही करेंगी तो कार्रवाई होगी। इस बीच सरकार ने यह भी बताया है कि नर्सों की यूनियन के दो पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस दौरान दिल्ली व आॅल इंडिया नर्सेज फेडरेशन की केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक जारी रही।

रेडियोलॉजिस्टों की हड़ताल पर सवाल

पहले से ही देश की लचर व्यवस्था का फायदा उठाकर कन्या भ्रूणहत्या बदस्तूर जारी है। ऐसे में प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण निषेध कानून (पीसीपीएनडीटी) को लचर बनाना कन्याभ्रूण हत्या को बढ़ावा देने जैसा ही होगा। देश भर के निजी रेडियोलॉजिस्ट पीसीपीएनडीटी में मनमाफिक बदलाव की मांग को लेकर देशव्यापी हड़ताल पर हैं।

लेकिन उनकी यह मांग देश में लिंगानुपात को बिगाड़ने का लाइसेंस साबित होगा। स्वयंसेवी संगठनों ने इस कानून के और सख्त बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। सिविल सोसाइटी सूमह के डॉ साबू जार्ज ने कहा है कि अल्ट्रासाउंड के दुरुपयोग के कारण लाखों कन्याभूणों की हत्या हर साल कर दी जाती है। इस संदर्भ में रेडियोलॉजिस्ट्स और दूसरे मेडिकल संगठनों की ओर से परीक्षण और अल्ट्रासाउंड गैरकानूनी और अनैतिक है। संगठनों ने कहा कि लड़कियों के संहार को मात्र कागजी भूलों में बदलना बेहद परेशान करने वाला है। हालांकि हरियाणा और महाराष्टÑ जैसे राज्यों ने अपने स्तर पर काम करके कन्याभू्रण हत्या में कमी लाई है लेकिन लिंगानुपात को समान करने के लिए यह काफी नहीं होगा। हड़Þताल के जरिए पीसीपीएनडीटी अधिनियम कमजोर करने का दबाव बाद में कानून-व्यवस्था पर भारी असर डालेगा। एक्शन एड की मिस सेहजो सिंह कहती हैं कि सहयोग करने वाले डाक्टरों के काम को सराहा जाना चाहिए ताकि यह जगह सिर्फ झगड़े की न रह जाए।
डॉक्टर साबु जॉर्ज कहते हैं कि लड़कियों की मौजूदा स्थिति पर आज के संदर्भ में विचार किया जाना चाहिए। पिछले 25 सालों के दौरान डेढ़ करोड़ से ज्यादा कन्याभ्रूणों की हत्या केवल इसलिए कर दी गई क्योंकि उनके लिंग का पता चल गया था। ऐसा करने के लिए कम से कम 4.5 करोड़ मेडिकल अपराध किए गए हैं। भारत में लिंग का चयन जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के एक तरीके के रूप में शुरू किया गया था।

मरीजों की भीड़ देख डॉक्टरों के हौसले रहे पस्त

नर्सों की बेमियादी हड़ताल के दूसरे दिन अस्पतालों में अफरातफरी का आलम रहा। मरीजों की भारी भीड़ को देखते हुए डॉक्टरों के भी हौसले पस्त हो रहे। पहले ही काम के अधिक बोझ से दबे डॉक्टर नर्सों के भी काम अपने जिम्मे आने से और बेहाल रहे। शनिवार को तमाम अस्पतालों में से बड़ी संख्या में मरीजों क ो छुट्टी देकर घर भेज दिया गया। कुछ अस्पतालों से मरीजों को दूसरी जगह भेजा गया। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में करीब 35 मरीजों के आॅपरेशन टालने पड़े। जबकि जानवरों के काटने से घायल हुए लोगों को वैक्सीन लगाने का काम नहीं हो पाया । इमरजेंसी मे आई एक घायल बच्ची को यह कह कर लौटा दिया गया कि सोमवार को आना। मजबूरी में लोगों ने निजी अस्पतालों का रुख किया। इसके अलावा भर्ती मरीजों की देखभाल पर भी असर पड़ा।

किंग्सवे कैंप स्थित डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद अस्पताल से बड़ी संख्या में भर्ती मरीजों क ो यह कह कर छुट्टी दे दी गई कि जाओ बाद में आना। एक मरीज के रिश्तेदार राजेंद्र ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर यह भी कह रहे थे कि यही हाल रहा तो सोमवार से हम लोग भी हड़ताल पर चले जाएंगे। यहां पर इलाज करा रहे मरीजों व डॉक्टरों सहित दूसरे कर्मचारियों के बीच जमकर नोकझोंक हुई। लालबहादुर शास्त्री अस्पताल में शुक्रवार रात को आए मरीज चिरौंजीलाल को शुक्रवार को सीने में तेज दर्द था। उनके परिजनों ने आरोप लगाया कि उनकी देखभाल अस्पताल में सही ढंग से नहीं हो पाई। वे पूरी रात परेशान होते रहे शनिवार को उन्हें जीबी पंत अस्पताल भेज दिया गया।
सफदरजंग सहित तमाम दूसरे अस्पतालों में इमरजेंसी ओटी, आइसीयू और फीवर क्लीनिक का काम ठेके पर रखी गर्इं नर्सों के जिम्मे रहा। कुछ रूटीन ओटी भी चली। तमाम स्थाई नर्सों ने अस्पताल से छुट्टी ले रखी है। इस बीच खबर मिल रही कि करीब 40 नर्सों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि सरकार ने केवल दो नर्सों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है।

 

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