प्रमुख संवाददाता, नई दिल्ली
साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट पुलिस ने कई मर्डर केस में वॉन्टेड गैंगस्टर नफे सिंह उर्फ मंत्री और उसके परिवार की मदद करने के आरोप में उसके करीबी साथी को अरेस्ट किया है। आरोपी की पहचान प्रशांत वशिष्ठ (33) के रूप में हुई। पुलिस ने उसके पास से एक पिस्टल और चार कारतूस बरामद किया। आरोपी मेडिकल कंसलटेंसी फर्म का डायरेक्टर है।
15 साल पहले आरोपी ने 700 रुपये महीने की सैलरी पर सिक्योरिटी गार्ड की जॉब की थी। साल 2011 में उसने अपनी यह फर्म बनाई थी। तब से लेकर अब तक वह देशभर में कई कॉन्फ्रेंस और सेमिनार अटेंड कर चुका है। इस दौरान उसकी मुलाकात कई बड़ी हस्तियों से हुई।
डीसीपी (साउथ वेस्ट) सुरेंद्र कुमार ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि कुख्यात गैंगस्टर नफे सिंह अपने करीबी साथी प्रशांत के साथ द्वारका सेक्टर-10 स्थित प्रतिभा विकास विद्यालय के पास अपने तीसरे साथी से मिलने के लिए आने वाला है। उनकी योजना किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की है। इस सूचना के आधार पर एसीपी राजेंद्र सिंह की देखरेख में एएटीएस के इंस्पेक्टर राजकुमार, एसआई मनोज भाटिया और एएसआई शिव कुमार सहित अन्य पुलिसवालों की टीम बनाई।
पुलिस टीम ने बताई गई जगह पर ट्रैप लगाकर वहां से प्रशांत को पिस्टल और कारतूस के साथ अरेस्ट कर लिया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गैंगस्टर नफे सिंह न केवल छावला थाने का घोषित अपराधी है, बल्कि वह कई मर्डर केस में वांटेड चल रहा है। वह मंजीत महल गैंग का मेंबर है। पिछले 9 महीने से पुलिस उसकी तलाश कर रही है, लेकिन मंजीत महल के साथ-साथ नफे सिंह पुलिस की गिरफ्त से बचते घूम रहे है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नफे सिंह की गैरमौजूदगी में प्रशांत ने ही न केवल उसकी बल्कि उसके परिवार की आर्थिक मदद की। साल 2006 में घुम्मनहेडा में प्लॉट खरीदने के सिलसिले में प्रशांत गैंगस्टर के संपर्क में आया था। वह अब तक गैंगस्टर और उसकी फैमिली को 13 लाख रुपये की मदद कर चुका है। पूछताछ में पता चला कि गैंगस्टर ने आरोपी को इस मदद के बदले प्लॉट देने का वादा किया हुआ था। आरोपी के पास से बरामद हुई पिस्टल भी उसे गैंगस्टर ने ही उपलब्ध कराई थी।
साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट पुलिस ने कई मर्डर केस में वॉन्टेड गैंगस्टर नफे सिंह उर्फ मंत्री और उसके परिवार की मदद करने के आरोप में उसके करीबी साथी को अरेस्ट किया है। आरोपी की पहचान प्रशांत वशिष्ठ (33) के रूप में हुई। पुलिस ने उसके पास से एक पिस्टल और चार कारतूस बरामद किया। आरोपी मेडिकल कंसलटेंसी फर्म का डायरेक्टर है।
15 साल पहले आरोपी ने 700 रुपये महीने की सैलरी पर सिक्योरिटी गार्ड की जॉब की थी। साल 2011 में उसने अपनी यह फर्म बनाई थी। तब से लेकर अब तक वह देशभर में कई कॉन्फ्रेंस और सेमिनार अटेंड कर चुका है। इस दौरान उसकी मुलाकात कई बड़ी हस्तियों से हुई।
डीसीपी (साउथ वेस्ट) सुरेंद्र कुमार ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि कुख्यात गैंगस्टर नफे सिंह अपने करीबी साथी प्रशांत के साथ द्वारका सेक्टर-10 स्थित प्रतिभा विकास विद्यालय के पास अपने तीसरे साथी से मिलने के लिए आने वाला है। उनकी योजना किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की है। इस सूचना के आधार पर एसीपी राजेंद्र सिंह की देखरेख में एएटीएस के इंस्पेक्टर राजकुमार, एसआई मनोज भाटिया और एएसआई शिव कुमार सहित अन्य पुलिसवालों की टीम बनाई।
पुलिस टीम ने बताई गई जगह पर ट्रैप लगाकर वहां से प्रशांत को पिस्टल और कारतूस के साथ अरेस्ट कर लिया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गैंगस्टर नफे सिंह न केवल छावला थाने का घोषित अपराधी है, बल्कि वह कई मर्डर केस में वांटेड चल रहा है। वह मंजीत महल गैंग का मेंबर है। पिछले 9 महीने से पुलिस उसकी तलाश कर रही है, लेकिन मंजीत महल के साथ-साथ नफे सिंह पुलिस की गिरफ्त से बचते घूम रहे है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नफे सिंह की गैरमौजूदगी में प्रशांत ने ही न केवल उसकी बल्कि उसके परिवार की आर्थिक मदद की। साल 2006 में घुम्मनहेडा में प्लॉट खरीदने के सिलसिले में प्रशांत गैंगस्टर के संपर्क में आया था। वह अब तक गैंगस्टर और उसकी फैमिली को 13 लाख रुपये की मदद कर चुका है। पूछताछ में पता चला कि गैंगस्टर ने आरोपी को इस मदद के बदले प्लॉट देने का वादा किया हुआ था। आरोपी के पास से बरामद हुई पिस्टल भी उसे गैंगस्टर ने ही उपलब्ध कराई थी।
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