Friday, September 2, 2016

आइने में आप

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल अब तक के राजनीतिक जीवन के एक बड़े संकट के बीच पार्टी का बचाव करने के बजाए पहले से तय कार्यक्रम के हिसाब से मदर टेरेसा को संत की उपाधि देने के समारोह में शामिल होने के लिए वेटिकन सिटी चले गए। छह सितंबर को उनकी दिल्ली वापसी तक उनके पुराने साथी और सीडी कांड से मंत्री पद से हटाए गए संदीप कुमार पर दिल्ली और देश के दूसरे राज्यों में कोहराम मचा रहने वाला है।

भले ही सीडी आने के बाद केजरीवाल संदीप कुमार को गंदी मछली कहें, आप को धोखा देने वाला बताएं। लेकिन कुछ समय पहले पार्टी नेताओं से परेशान होकर आत्महत्या करने वाली आप कार्यकर्ता सोनी मिश्रा की तरह ही संदीप कुमार की ‘सेक्स सीडी’ भी केजरीवाल के पास पहले भेजने के दावे किए गए हैं। पार्टी कार्यकर्ता के आरोप के बाद ही एक विधायक को गिरफ्तार किया गया। सोनी मिश्रा की घटना इससे ज्यादा भयावह थी क्योंकि उसमें महिला पार्टी कार्यकर्ता ने आप नेता पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था।

2012 में पार्टी बना कर कुछ महीने बाद दिल्ली विधानसभा के चुनाव में 28 सीटें लाकर जिन केजरीवाल ने राजनीतिक क्षेत्रों में तहलका मचा दिया, वहीं केजरीवाल 2014 के लोकसभा चुनाव में भारी पराजय न झेल पाने के कारण राजनीति छोड़ने को तैयार हो गए थे और सवालों से बचने के लिए अपने आप तिहाड़ जेल पहुंच गए। 2015 के विधानसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत के बाद तो उनकी भाषा ही बदल गई और उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया पर ऊंगली उठाने वाले पार्टी के संस्थापक नेताओं प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव आदि को फटाफट बाहर का रास्ता दिखा दिया। कांग्रेस-भाजपा की सीधी लड़ाई वाले राज्यों में कांग्रेस का विकल्प बनने की तैयारी में जुटे केजरीवाल के साथ वही नेता रह पाए जो अन्य दलों की परंपराओं से भी आगे बढ़कर उनकी गणेश परिक्रमा करते हैं। केजरीवाल ने संस्थापक सदस्यों की सलाहों को दरकिनार किया तो दागी विधायकों की लाइन लग गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या दिल्ली के उपराज्यपाल काम नहीं करने दे रहे हैं या उनके विधायकों को जबरन परेशान कर रहे हैं जैसे आरोपों को उनके ही नेताओं ने झूठा साबित कर दिया।

2014 के 39 दिन की सरकार के मंत्री सोमनाथ भारती या राखी बिड़लान से लेकर इस सरकार के मंत्रियों ने केजरीवाल के चेहरे से बार-बार पर्दा हटा दिया। अब उनकी पार्टी के नेता ही सरकारी कोठी, सरकारी गाड़ी, वीआइपी संस्कृति आदि की बात नहीं करते, न ही दिल्ली से बाहर न जाने के उनके वादे दोहराते हैं। इतना ही नहीं चुनाव में किए गए 70 वादे भी आप के एजंडे से बाहर दिखने लगे। ईमानदार पार्टी का दावा करने वाले केजरीवाल ने खुद अपने एक मंत्री असीम अहमद खान को रिश्वत लेने के आरोप में मंत्रिमंडल से निकाला तो फर्जी डिग्री मामले में दूसरे मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को अदालत से सजा मिलने पर मंत्री-पद से हटाया। लेकिन शुचिता की राजनीति का दावा करने वाले केजरीवाल ने इनमें से किसी को भी पार्टी से नहीं निकाला। बिना कानून बनाए 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने से उन सदस्यों की सदस्यता खटाई में पड़ गई है। चुनाव आयोग ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह सही है कि अगर लोग ही गलत हैं तो उनसे बेहतर आचरण करने की अपेक्षा करना गलत होगा। आप के आरोपियों ने वैकल्पिक राजनीति पर भी सवाल उठा दिए हैं।

पहली बार दिल्ली के 54 फीसद लोगों ने आम आदमी पार्टी को बेहतर राजनीति के लिए समर्थन दिया था। अगर उन्हें यही मिलना था तो पहले के दल क्या बुरे थे। चार साल में एक बड़ा झटका तो उन्हें हाई कोर्ट ने चार अगस्त को दिया और कहा कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और इस नाते दिल्ली के शासक उपराज्यपाल हैं। लेकिन उससे भी बड़ा झटका इस सीडी कांड ने दिया। अब शायद पार्टी प्रमुख केजरीवाल के पास ज्यादा कुछ कहने को नहीं है इसलिए वे अपनी बात एक वीडियो में कह कर वेटिकन सिटी चले गए। उनकी गैरहाजिरी में उनकी पार्टी के नेता मीडिया से बात करने से बचते हैं और जो आशुतोष जैसे नेता बोल रहे हैं उसका कोई तुक नहीं है। केजरीवाल ने संकट कम करने के लिए ही नौ सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। उसमें वे पहले की तरह ही फिर से हर विफलता का ठीकरा प्रधानमंत्री मोदी और उपराज्यपाल पर फोड़ने की कोशिश करेंगे। अब जब आईने में आप का चेहरा दिख रहा है तो शुचिता के दावे कहीं नहीं ठहर रहे हैं।

The post आइने में आप appeared first on Jansatta.


Read more: आइने में आप