Saturday, September 3, 2016

दिल्लीः पहले बच्चों को पढ़ना सिखाया जाएगा

नई दिल्ली
दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले लोअर मिडल क्लास खासतौर से छठी कक्षा में पढ़ने वाले 74 फीसदी बच्चे अपनी किताबें तक नहीं पढ़ पा रहे हैं। यही नहीं 48 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जो अपने से चार कक्षा नीचे की किताबें भी नहीं पढ़ पा रहे हैं। यह जानकारी करीब एक महीने पहले बच्चों पर कराए गए सर्वे से पता लगी है। अब सरकार ने इन्हीं कमजोर बच्चों को पढ़ने-लिखने में तेजतर्रार बनाने के लिए एक योजना बनाई है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी देते हुए दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि इसे भी हम एक चुनौती के रूप में लेकर चल रहे हैं। टारगेट रखा गया है कि 14 नवंबर तक इन बच्चों को कम से कम पढ़ना आ जाए। उन्होंने बताया कि अधिकतर बच्चे एमसीडी और लो बजट स्कूलों से पढ़कर आ रहे हैं। इनमें आत्मविश्वास की खासी कमी है। बच्चों की इसी समस्या का समाधान करने के लिए हमने यह योजना बनाई है।

उन्होंने बताया, 'हमने देखा कि छठीं, 7वीं और 8वीं के बच्चे कई मामलों में कमजोर चल रहे हैं। तब सरकार की ओर से एक स्टडी कराई गई। इसमें मिडल क्लास में पढ़ने वाले बच्चों का जो सर्वे सामने आया। उसके बाद हमने यह महत्वाकांक्षी योजना बनाई। समस्या बड़ी थी, लेकिन कोई समाधान सामने नहीं आ रहा था। यह भी देखा गया कि शिक्षक भी बच्चों के साथ अच्छी खासी मेहनत कर रहे हैं, बावजूद इसके काफी बच्चे किताबें भी नहीं पढ़ पा रहे हैं। वह जब किताब पढ़ ही नहीं पा रहे हैं तो टीचर्स द्वारा पढ़ाई जा रही किताबों में आगे की जानकारी के बारे में उन्हें क्या पता लगेगा?

उन्होंने कहा कि 15 से 20 नवंबर तक डाइट के स्टूडेंट्स द्वारा आंकलन कराया जाएगा और 21 नवंबर से एक सप्ताह तक समाज के विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवी अभिवावक संबंधित स्कूलों के प्रिंसिपल से मंजूरी लेकर स्कूलों में जाकर बच्चों से बात कर सकेंगे। यह सर्वे इसलिए कराया जाएगा, ताकि सभी को यह पता लग सके कि बच्चों में कितना सुधार हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि जो शिक्षक और प्रिंसिपल या फिर स्कूल इस मुहिम में बहुत अच्छा करके दिखाएंगे, उनके लिए भी सरकार अलग से अवॉर्ड स्कीम ला रही है।

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