दिल्ली विश्वविद्यालय इन दिनों चुनावी रंग में सराबोर है। छात्र संघ (डूसू) चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं और छात्र नेता टिकट पाने की जुगत में लगे हैं। दबाव बनाने के लिए धन-बल का बेजा इस्तेमाल कर छात्र नेताओं ने परिसर को पोस्टरों से पाट दिया है। समूचा कैंपस व कॉलेज परिसर इन दिनों ‘लिंग्दोह’ को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है। चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू हो चुकी है। लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों के अलावा एनजीटी ने दिल्ली को साफ-सुथरा बनाने के लिए जो निर्देश दिए थे उनकी भी खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। छात्र संघ चुनाव के मुख्य चुनाव अधिकारी डीएस रावत डूसू चुनाव में लिंग्दोह की सिफारिश लागू करवाने में मुस्तैदी तो दिखा रहे हैं, लेकिन उसका नतीजा नदारद है। छात्र तक पहुंच पाने में विश्वविद्यालय प्रशासन बेबस है। बता दें कि इन तमाम दिशानिर्देशों के बावजूद एक राष्ट्रीय पार्टी की छात्र इकाई की ओर से बीते सोमवार को तालकटोरा स्टेडियम में डीयू छात्रों के लिए ‘बिगेस्ट कल्चर इवेंट’ का आयोजन किया गया।
बहरहाल इस कड़ी में करीब डेढ़ दर्जन ‘नामों’ पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, लेकिन न तो छात्रों पर विश्वविद्यालय की कार्रवाई का कोई असर हो रहा है और न ही संगठनों को इसकी फिक्र है। उन्होंने शिकायत से बचने की काट भी निकाल ली है। मसलन, ‘एक नाम के कई छात्र हैं’, का दावा कर संगठन विश्वविद्यालय की कार्रवाई को चुनौती दे रहे हैं। पोस्टर लगाने वाला खुद को निर्दोष बताता है। वहीं यह साबित करना भी मुश्किल हो रहा है कि आरोपी छात्रों ने ही पोस्टर लगाए हैं। उनको कठघरे में खड़ा करने में प्रशासन बेबस हो रहा है। लिहाजा रावत ने अब छात्रों की जगह उसके संगठन को भी आरोपी बनाने और उनके पदाधिकारियों को नामजद करने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में स्वच्छता अभियान को ध्यान में रखते हुए इस बार नामांकन के बाद बेहद सख्ती बरती जाएगी।
इस बारे में बुधवार को एक बैठक होने जा रही है, जिसके बाद एफआइआर में संशोधन भी किए जा सकते हैं, ताकि ‘बदरंग एक्ट’ का उल्लंघन करने वाले छात्रों के अलावा छात्र संगठनों को भी इसके प्रति जवाबदेह बनाया जाए। छात्र संगठनों के खिलाफ भी एफआइआर की जाएगी। रावत ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि वे किसी भी प्रकार की नरमी नहीं बरतेंगे। छात्र संगठनों को यह पहले से ही तय कर लेना चाहिए कि नियम का उल्लंघन न हो। अन्यथा बाद में उन्हें पछताना पड़ सकता है। रावत ने कहा कि इस बाबत प्रॉक्टर को निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा पर्चा दाखिल होने का बाद अगर कोई लिंग्दोह की सिफारिश की अवमानना करता है तो छात्र संगठनों के बैनर पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की उम्मीदवारी तक रद्द की जाएगी। इसके अलावा ‘बदरंग एक्ट’ पर दर्ज की गई एफआइआर तहत पुलिसिया कार्रवाई भी होगी।
विश्वविद्यालय ने पुलिस से पोस्टर छापने वाले प्रिंटरों की पहचान करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को भी कहा है। लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक, छात्र संघ चुनावों के उम्मीदवार प्रचार में छपे पोस्टरों के बजाए हाथ से तैयार पोस्टरों का इस्तेमाल कर सकते हैं। प्रो रावत ने कहा कि दिल्ली पुलिस से ऐसे प्रिंटरों की पहचान का आग्रह किया गया है जहां पर डूसू चुनाव के लिए पोस्टर प्रिंट हो रहे हैं, ऐसे प्रिंटरों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस उन कारों को भी जब्त करेगी जिन पर ये पोस्टर लगे होंगे।
प्रो डीएस रावत का मानना है कि लिंग्दोह की सिफारिशों को लागू कराने में राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं का सहयोग कारगर साबित हो सकता है। लिहाजा उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल और माकपा (माले) के महासचिव सीताराम येचुरी सहित प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन को पत्र लिख कर छात्र संघ चुनाव में दखल नहीं देने का अनुरोध किया है। प्रो रावत ने कहा कि यह किसी से छुपा नहीं है कि छात्र संगठनों की तमाम गतिविधयों में राजनीतिक दलों की पैठ और शह होती है। पोस्टरबाजी भी इसी का हिस्सा है। .
The post दिल्ली विश्वविद्यालय में लगे लिंग्दोह कमेटी के खिलाफ पोस्टर appeared first on Jansatta.
Read more: दिल्ली विश्वविद्यालय में लगे लिंग्दोह कमेटी के खिलाफ पोस्टर