Monday, August 1, 2016

दिल्लीवालों में मधुमेह का खतरा सबसे ज्यादा

आधुनिक जीवनशैली और भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण देश खतरनाक ढंग मधुमेह की गिरफ्त में आता जा रहा है। राजधानी दिल्ली इस मामले में पहले नंबर पर है। यहां की 42.5 फीसद आबादी इस बीमारी की चपेट में हैं। यह खुलासा एसोचैम की ओर से किए गए अध्ययन में हुआ है। इसे देखते हुए संगठन ने तय किया है कि अगले 100 दिनों में राजधानी में 85 मधुमेह जांच शिविर लगाए जाएंगे।

अध्ययन में यह भी आशंका जताई गई है कि अगर अभी भी जीवनशैली व खानपान में बदलाव नहीं किया गया तो साल 2035 तक देश के 12.5 करोड़ लोग मधुमेह का शिकार हो जाएंगे। हालांकि समय से जांच व इलाज हो तो इसके मरीज सामान्य जीवन बिता सकते हैं। मधुमेह के मरीजों की संख्या के लिहाज से दिल्ली देश में पहले नंबर पर और मुंबई दूसरे नंबर पर है। मुंबई की 38.5 फीसद आबादी के इस बीमारी से पीड़ित होने का आकलन है। मधुमेह के मामले में अमदाबाद तीसरे स्थान पर है जिसकी कुल जनसंख्या में से 36 फीसद लोग इस बीमारी से पीड़ित हंै। इस मामले में बेंगलुरु चौथे नंबर पर है, जहां 26.5 फीसद लोग मधुमेह से पीड़ित हैं।

24.5 फीसद मधुमेह पीड़ितों के साथ चेन्नई पांचवें स्थान है। वहीं हैदराबाद की 22.6 फीसद आबादी और कोलकाता की 19 फीसद से अधिक आबादी इस बीमारी से पीड़ित है। अध्ययन में पाया गया है कि शहर ही नहीं गावों के लोग भी तेजी से इस बीमारी की चपेट में आते जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, मधुमेह के मामले में भारत दुनिया के सबसे गंभीर रूप से प्रभावित तीन देशों में से एक है। इसके कारण देश पर अर्थिक भार पड़ रहा है। देश की उत्पादकता पर भी असर हो रहा है क्योंकि मधुमेह के कारण 1.7 मिलियन लोगों के गुर्दे खराब हो गए। अभी करीब 6.8 करोड़ लोग मधुमेह की चपेट में हैं।

यह बीमारी किस कदर पैर पसार रही है इसका अंदाजा तो इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यह युवा व बच्चों को तेजी से चपेट में ले रहा है। हर छह में से एक किशोर को यह बीमारी है। यह भी पाया गया कि मधुमेह के 85 फीसद मामले मोटापे से संबंधित हैं। लंबे समय तक अगर शुगर नियंत्रित न हो तो वह आंखों व तंत्रिका तंत्र को भी नुकसान पहुंचाता है। लिहाजा एसोचैम ने तय किया है कि आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए जाएंगे ताकि इसकी और बेहतर स्क्रीनिंग हो सके।

इस मौके पर एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि हम मधुमेह को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं, लोगों को भी चाहिए कि वे आगे आएं और इसके नियंत्रण की दिशा में कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में बीमारी के नियंत्रण के लिहाज से व्यापक स्तर पर उपाय किए जाएंगे। मधुमेह को रोकने के लिए खानपान में बदलाव व जीवनशैली को बेहतर करने के उपाय करने होंगे। मधुमेह के पीड़ितों जांच के लिए कालोनियों में शिविर लगाए जाएंगे ताकि लोग कहीं भी जांच करा सकें।

उन्होंने बताया कि दिल्ली, मुंबई के अलावा चंडीगढ़ और देहरादून जैसे शहरों में कर्मचारियों के बीच किए गए इस अध्ययन में यह भी पाया गया है कि पेशे के हिसाब से इंजीनियरिंग व टेलीकॉम से जुड़े लोगों मे यह बीमारी ज्यादा (नौ फीसद) है। वहीं मार्केट रिसर्च से जुड़े छह फीसद लोग इस बीमारी की चपेट में हैं।

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