Wednesday, August 31, 2016

सरकार की ओर से न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की घोषणा के बाद भी क्यों नाराज है श्रमिक संघ के सदस्य?

सरकार पर श्रमिकों को ‘भ्रमित’ करने का आरोप लगाते हुए यूनियनों ने आज कहा कि केंद्रीय परामर्श बोर्ड ने न्यूनतम मजदूरी बढाकर 350 रुपए प्रति दिन करने के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया था जैसा कि सरकार ने कल घोषणा की। यूनियनों का कहना है कि सोमवार की बैठक अनिर्णित रही थी।

आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सचिव डी एल सचदेव ने कहा,‘ न्यूनतम मजदूरी बढाकर 350 रुपए प्रति दिन करने का कोई प्रस्ताव नहीं था। केंद्रीय परामर्श बोर्ड की सोमवार को हुई बैठक बेनतीजा रही थी।’ उन्होंने कहा,‘ बैठक के दौरान श्रमिक संगठनों ने 18000 रुपए न्यूनतम मासिक वेतन की मांग की और सरकार से न्यूनतम वेतन कानून में संशोधन करने को कहा ताकि समान वेतन का प्रावधान किया जा सके।’

सेंटर फोर इंडियन ट्रेंड यूनियन (सीटू) के महासचिव तपन सेन ने इस बारे में आज श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है,‘ आपने जिक्र किया कि न्यूनतम मजदूरी परामर्श बोर्ड की 19 अगस्त 2016 को हुई बैठक में हुए विचार विमर्श के आधार पर सरकार ने केंद्रीय क्षेत्र में न्यूनतम मजदूरी 350 रुपए प्रति दिन तय करने का फैसला किया है।’

इसके अनुसार,‘… वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 30 अगस्त 2016 को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कैमरों के सामने कहा कि सरकार ने न्यूनतम मजदूरी के बारे में न्यूनतम मजदूरी परामर्श बोर्ड की सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं। संवाददाता सम्मेलन में आप भी मौजूद थे। मैं कहना चाहूंगा कि दोनों बयान तथ्यात्मक रूप से सही नहीं हैं।’ इस पत्र में भी यही कहा गया है कि परामर्श बोर्ड की 29 अगस्त 2016 को हुई बैठक अनिर्णित रही थी।

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