Thursday, August 4, 2016

रायबरेली व अमेठी से भेदभाव का आरोप

राज्यसभा में विपक्षी कांग्रेस ने गुरुवार को सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले दो साल के दौरान उनकी पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं उपाध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की केंद्रीय परियोजनाओं को या तो बंद किया गया है या फिर काम रोक दिया गया है। केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बदले की भावना से काम नहीं कर रही है और यह बात सर्वविदित है कि हर सरकार की अपनी योजनाएं तथा परियोजनाएं होती हैं। वर्ष 2014 में संपन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में दो सीटें मिलीं जबकि राज्य की कुल 80 सीटों में से भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 73 सीटें मिली हैं।

शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि अमेठी में राजीव गांधी सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान की शाखा को बंद किया जा चुका है। इस संस्थान के 40 छात्रों को पहले इलाहाबाद भेज दिया गया और अब 148 छात्रों को स्थानांतरण के लिए कहा जा रहा है। पिछले दो वर्ष के दौरान अमेठी में फूड पार्क परियोजना रोक दी गई, जगदीशपुर में हिंदुस्तान पेपर मिल बंद कर दी गई और डिस्कवरी पार्क भी बंद कर दिया गया। तिवारी ने कहा ‘यह राजनीति का सबसे बदतर रूप है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्रों में परियोजनाएं बंद कर आप (सरकार) उन लोगों को सजा दे रहे हैं जिन्होंने सोनिया और राहुल को जिताया है।’ तिवारी ने आरोप लगाया कि भाजपा ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की बात करती है और वह उन संस्थानों को बंद कर रही है जो जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी तथा राजीव गांधी के नाम पर हैं। उन्होंने कहा ‘आप लाख कोशिश कर लें लेकिन इतिहास के पन्नों से उनके बलिदान को नहीं हटा सकेंगे। जब भी इतिहास पढ़ा जाएगा, आप खलनायक के तौर पर ही उभरेंगे।’

इसी पार्टी के राजीव शुक्ला ने तिवारी का समर्थन करते हुए कहा कि यह साफ है कि सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। अमेठी में लोकसभा चुनाव में राहुल से स्मृति ईरानी की हार का अप्रत्यक्ष संदर्भ देते हुए शुक्ला ने कहा ‘एक ओर आप कौशल विकास की बात करते हैं, दूसरी ओर महत्त्वपूर्ण संस्थानों को बंद करते हैं।’ शुक्ला ने आरोप लगाया कि नेहरू, इंदिरा और राजीव के नाम पर बने संस्थानों की आर्थिक मदद भी धीरे-धीरे कम की जा रही है। ‘क्या चुनाव में हार का ऐसा बदला लिया जाता है कि संसदीय क्षेत्र को ही नेस्तनाबूद कर दिया जाए?’ सदन में विपक्ष के नेता व कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य गुलाम नबी आजाद ने सत्तारूढ़ दल को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कांग्रेस नेतृत्व की सोच रहती है कि उसकी सरकार को पहले पिछले सरकार के अधूरे वादे पूरे करने चाहिए। उन्होंने कहा ‘पिछले दो साल में कांग्रेस अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष के संसदीय क्षेत्रों में कई केंद्रीय परियोजनाएं बंद कर दी गर्इं। इसका क्या कारण है।’ आजाद ने कहा कि पिछली संप्रग सरकार में जब वह स्वास्थ्य मंत्री थे तब उन्होंने रायबरेली में एम्स की स्थापना करने की मंजूरी दी थी। लेकिन आज उस संस्थान में उतना ही काम हुआ है, जितना उनके कार्यकाल में हुआ था। ‘हमारे बाद एक र्इंट भी उसमें नहीं लगी।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने अमेठी में एक क्षेत्रीय कैंसर केंद्र की मंजूरी दी थी लेकिन अभी तक उसके लिए जमीन तक अधिगृहित नहीं की गई है।

इस पर केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार बदले की भावना से कोई काम नहीं कर रही है। उन्होंने कहा ‘मैं सदन को आश्वासन दे सकता हूं कि बदला लेने का सवाल ही नहीं उठता।’ उन्होंने कहा कि यह बात सर्वविदित है कि हर सरकार की अपनी योजनाएं तथा परियोजनाएं होती हैं। उन्होंने कहा कि फूड पार्क परियोजना संप्रग सरकार के समय ही बंद कर दी गई थी।
जहां तक अन्य परियोजनाओं का सवाल है तो वह संबद्ध मंत्रियों को इससे अवगत कराएंगे और उनसे कहेंगे कि वह कारणों तथा पृष्ठभूमि के बारे में सदस्यों को जानकारी दें।

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