राष्ट्रीय राजधानी के मुख्य मार्गों पर जलभराव और ज्यादातर भागों में यातायात की सुस्त रफ्तार पर बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, ‘हम साल दर साल जलभराव बर्दाश्त नहीं कर सकते’। अदालत ने दक्षिण दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन क्षेत्र में जलभराव से संबंधित मामले पर विचार करते हुए कहा, ‘बंद नालों का समर्थन नहीं किया जा सकता। हम हर साल इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते’। न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार के साथ मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति बदर दुरेज अहमद ने कहा कि बुधवार सुबह जब वे अदालत आ रहे थे, ‘उपराष्ट्रपति के आवास के सामने वाली सड़क पर भी पानी भरा था’। पीठ ने कहा कि नालियों में पानी का निकास नहीं होने के कारण बारिश के बाद सड़कों पर जलभराव मच्छरों के पैदा होने की जगह बन जाती है, जिससे डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैलती हैं।
पीठ के सामने साउथ एक्सटेंशन पार्ट वन और पास के कुशाक नाले में जलभराव की तस्वीरें भी रखी गर्इं। अदालत ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 28 सितंबर की तारीख तय की। अदालत इस क्षेत्र में जलभराव खत्म करने के कदम उठाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
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