नई दिल्ली अपराध शाखा ने देह व्यापार के जरिए रोजाना दस लाख रुपए कमाने वाले एक बड़े अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। 40 कमरे में ढाई सौ लड़कियों को बंधक बनाकर इस गोरखधंधे को अंजाम देने वाले पति-पत्नी सहित आठ लोगों को गिरफ्तार कर पुलिस ने इनके खिलाफ मकोका एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। स्वामी श्रद्धानंद मार्ग (जीबी रोड) पर सालों से चल रहे जिस्मफरोशी के इस धंधे के लिए नेपाल, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश आदि अन्य राज्यों से नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसलाकर लाया जाता था। गिरोह के सरगना अफाक हुसैन और उसकी पत्नी सायरा बेगम की संपत्ति करोड़ों में हैं। इनके पास से फॉर्च्यूनर, टोयोटा, इनोवा और होंडा कार के साथ नौ लाख रुपए नगद बरामद किए गए हैं और कई बैंकों में करोड़ों रुपए जमा पाए गए हैं। दिल्ली और देश के अन्य शहरों में एक दर्जन घरों और कोठियों के मालिक आरोपी पति-पत्नी धंधे को चलाने के लिए बाउंसरों, नायिकाओं, एजंटों और बच्चों की तस्करी करने वालों का इस्तेमाल करते थे।
अपराध शाखा के संयुक्त आयुक्त रविंद्र यादव ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि यह पूरी तरह संगठित गिरोह और अपराध है, लिहाजा इस पर मकोका लगाने की औपचारिकताएं शुरू हो गई हैं। उन्होंने बताया कि साल 2013 की शुरुआत में जबरन देह व्यापार का धंधा चलाने वाले एक गिरोह का पता चला था। उस वक्त अपराध शाखा, सीबीआइ और स्थानीय पुलिस ने जब जीबी रोड पर छापेमारी की थी तो पहली मंजिल पर बने कोठा नंबर-57 से पश्चिम बंगाल की दो लड़कियों तसलीमा खातून और बिमला गोरांग से पूछताछ हुई थी। इन दोनों ने बड़े खुलासे किए थे। तब पोस्को व अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई थी।
उन्होंने कहा कि साल 2015 में सायरा बेगम और अफाक हुसैन के खिलाफ दो मामले दर्ज हुए थे। इन्हें गिरफ्तार कर जब पूछताछ हुई तो सब चौकन्ने रह गए थे। मानव तस्करी का इतना बड़ा गिरोह पहली बार सामने आया था, जिसमें कई राज्यों की लड़कियों को बंधक बनाकर, बहला-फुसलाकर उनसे जिस्मफरोशी का धंधा कराया जा रहा था। आरोपी सायरा बेगम मूल रूप से हैदराबाद की है। बचपन में उसकी शादी तलफ हुसैन नाम के युवक से हो गई थी। माता-पिता के मरने के बाद सायरा तलफ के साथ दिल्ली आ गई। कुछ दिनों तक काम-धंधा नहीं मिलने के बाद सायरा जीबी रोड में जिस्मफरोशी करने लगी। साल 1990 में कमला मार्केट पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था।
इस दौरान वह जिस्मफरोशी को व्यावसायिक रूप देकर कई लोगों को इस धंधे में शामिल कर चुकी थी। कुछ दिनों के बाद उसे तब गिरफ्तार किया गया था जब कर्नाटक की आठ लड़कियां उसके चंगुल में फंसी थीं। तब उसे सात साल की सजा हुई थी। इसी दौरान उसकी मुलाकात अफाक हुसैन से हुई और कुछ दिनों बाद दोनों ने शादी कर ली। अफाक मुरादाबाद का है। गरीब परिवार का अफाक बचपन में कमाने के लिए दिल्ली आया था और एक ठेकेदार के यहां काम करता था। 1999 में सायरा से शादी करने के बाद वह भी इस धंधे में शामिल हो गया। इन दोनों के छह कोठों में 40 कमरे हैं जिनमें करीब 250 लड़कियां थीं। अपराध शाखा ने एक हफ्ते पहले जब अफाक और सायरा को गिरफ्तार किया तो छह अन्य लोगों के बारे में भी पता चला, जिन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक, इस दंपति की रोजाना की कमाई दस लाख रुपए से ऊपर थी। देश के विभिन्न राज्यों और नेपाल से लाई गई लड़कियों को कंट्रोल करने के लिए कोठों में महिलाएं तैनात थीं जिन्हें नायिका कहा जाता है। अफाक का ड्राइवर रमेश पंडित लड़कियों की कमाई का हिसाब रखता था। दिल्ली के जामियानगर एक्सटेंशन, जैतपुर पार्ट दो, जैतपुर एक्सटेंशन और सनलाइट कालोनी के अलावा बंगलुरु के सात क्रॉस रोड, जेपी नगर और जीबी रोड पर इनके छह कोठे मिले हैं। इसके साथ ही इनके पास कई बेनामी संपत्ति और दुकानें हैं। 1990 के बाद से सायरा को अलग-अलग मामले में सात बार जबकि अफाक को तीन बार गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने इसे संगठित अपराध मानकर आरोपियों पर मकोका लगाया है।
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