Sunday, July 3, 2016

रमणिका की आत्मकथा में आदिवासी जीवन की झलक : येचुरी

यहां मंडी हाउस स्थित साहित्य अकादेमी के सभागार में रमणिका गुप्ता की आत्मकथा ‘हादसे’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘एनकाउंटर्स’ का लोकार्पण माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने किया। समारोह में विशिष्ट वक्ता के तौर पर आउटलुक की वरिष्ठ संपादक शीला रेड्डी और अंग्रेजी की कवयित्री सुकृता पॉल भी मौजूद थीं। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने रमणिका गुप्ता की आत्मकथा ‘एनकाउंटर्स’ को मुठभेड़ों की एक शृंखला बताया। उन्होंने कहा कि इस आत्मकथा में हम अपने आस-पास के कई लोगों की जीवन के अक्स को देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि लेखिका का मुख्य सरोकार आदिवासी जीवन से रहा है जिसकी समृद्ध परंपरा वे लेखन के जरिए पुस्तक के रूप में सामने ला रही हैं।

सुकृता पॉल ने रमणिका गुप्ता को न केवल एक व्यक्ति बल्कि संस्था के तौर पर रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आत्मकथा में यदि लेखिका खुद को कोयले की रानी और पानी की रानी बताती हैं तो इसके पीछे का तथ्य यह है कि उन्होंने झारखंड के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कोयले और पानी के लिए संघर्ष किया है। पॉल ने आत्मकथा को सच्ची कहानियों का संग्रह बताया।

वहीं आउटलुक की वरिष्ठ पत्रकार शीला रेड्डी ने पुस्तक में पितृसत्ता के दायरों को अतिक्रमित करने वाले संदर्भों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पूरी आत्मकथा पुरुषवादी, पितृसत्तावादी और सामंतवादी मानसिकता को धता बताने का काम करती हैं। इसमें झूठ का कुछ भी अंश नहीं है। इस अवसर पर लेखिका रमणिका गुप्ता ने कहा कि जब मैं स्त्री मुक्ति का नाम भी नहीं सुनी थी तभी से स्त्री के स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रही हूं। घर से ही मैंने नौकरों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी है। उन्होंने कहा कि दलितों के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ वे हमेशा लड़ती रहीं। गुप्ता ने कहा कि मैं एक औरत की लड़ाई लड़ती हूं और यह लड़ाई न सिर्फ अपनी जीवन में बल्कि साहित्य में भी लड़ती हूं। समारोह का संचालन प्रॉन्जय गुहा ठाकुरता ने किया।


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