सुमन केशव सिंह
देश रियो की रोड से सोने के सपने देख रहा है। लेकिन सोना जीतने की खस्ताहाल सड़कों पर बात करने में बहुत देर हो जाती है। करोड़ों के खर्च से बनाए गए स्टेडियम को शादी और और समारोहों के लिए दे दिया जाता है। भारत 2017 में फीफा अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी करने जा रहा है। करीब आठ राज्यों में इसके मैचों का आयोजन किया जाएगा। इनमें से कई मैच दिल्ली में भी होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों से अपील की है कि वे अच्छे फुटबॉलर तैयार करें। इसी के मद्देनजर जनसत्ता ने पड़ताल करने की कोशिश कि इतने बड़े आयोजन के लिए दिल्ली के फुटबॉल स्टेडियम कितने तैयार हैं।
एमसीडी के अधिकार वाला डॉक्टर भीमराव आंबेडकर स्टेडियम कभी भारत और सीरिया के बीच खेले गए ओएनजीसी नेहरू कप टूर्नामेंट के फाइनल मैचों और फीफा विश्व कप के एशियन फुटबॉल कन्फेडरेशन के बेहतरीन मैचों का गवाह रहा। इसके अलावा यहां और भी कई राष्ट्रीय मैचों का आयोजन हो चुका है। खास बात यह है कि इस स्टेडियम में फ्लड लाइट लगी होने की वजह से मैच का आयोजन रात में भी हो सकता है, लेकिन उपेक्षा का शिकार यह स्टेडियम आज अपनी बदहाली पर रो रहा है। स्टेडियम की कुर्सियां टूटी-फूटी पड़ी हैं, कवर्ड एरिया की छत हर जगह से टपक रही है। साफ-सफाई तो दूर की बात, स्टेडियम का पिछला हिस्सा तोड़कर मेट्रो निर्माण की भेंट चढ़ा दिया गया है। यह हिस्सा कभी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों का वार्मअप रूम हुआ करता था। वो कमरे जिनका इस्तेमाल खिलाड़ियों और खेल से जुड़ी गतिविधियों के लिए होना चाहिए था, उन पर एमसीडी के इंजीनियरों और स्टाफ का कब्जा है।
2007 में इस स्टेडियम का एशियन गेम्स के लिए पुननिर्माण किया गया और मुश्किल से तीन साल बाद 2010-11 में आइ-लीग का आयोजन किया जाना था, लेकिन एमसीडी की ओर से स्टेडियम को शादी, विवाह, राजनीतिक व अन्य समारोहों के लिए इस्तेमाल किए जाने की वजह से इसकी हालत खराब हो गई, ऐन मौके पर मैच को गुड़गांव के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में स्थानांतरित करना पड़ा। हालांकि बारिश के इस मौसम में स्टेडियम की नर्म घास को छूकर लगता है कि संभावनाएं अब भी सांस ले रही हैं। 22 हजार लोगों की क्षमता वाले इस खूबसूरत स्टेडियम के सभी कमरों पर एमसीडी के अधिकारियों का कब्जा है।
जो कमरे खिलाड़ियों के ड्रेसिंग रूम, चेंजिंग रूम व रेस्ट रूम होने चाहिए थे, उस पर एमसीडी अधिकारियों ने कब्जा कर ताला जड़ दिया है। 30 के करीब कमरों वाले इस स्टेडियम में खिल्ाांड़ियों के कपड़े बदलने के लिए एक ही कमरा है, उसके भी आधे हिस्से को स्टोर रूम बना दिया गया है। बाथरूम की हालत बिल्कुल खराब है और स्टेडियम में जहां-तहां गंदगी का अंबार लगा है। खिलाड़ियों का कहना है कि कई बार यहां राष्ट्रीय मैचों के आयोजन की बात हुई, लेकिन यहां के बाथरूम और चेंजिंग रूम को देख कर टीमों ने यहां खेलने से इनकार कर दिया।
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