उत्तरी दिल्ली नगर निगम में विपक्ष के नेता मुकेश गोयल और शिक्षा समिति के सदस्य सतबीर शर्मा ने आरोप लगाया है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कोई भी खरीदारी करनी हो या विज्ञापन/पार्किंग का ठेका आबंटित कराना हो, भाजपा नेता हर मौके पर अपनी जेबें भरने की फिराक में रहते हैं।
गोयल ने कहा कि भाजपा के भ्रष्टाचार का एक ताजा उदाहरण उत्तरी दिल्ली नगर निगम के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए जूतों की खरीदारी के मामले में सामने आया है। निगम ने प्रोसेफ इंटरनेशनल प्रा. लि. से जो जूते खरीदे हैं उनकी कीमत लड़कों के जूतों के लिए गु्रप-1 व ग्रुप-2 के लिए क्रमश: 85 और 95 रुपए और लड़कियों के जूतों की कीमत क्रमश: 83 और 93 रुपए है। इस तरह छात्रों के लिए खरीदे गए जूतों की औसत कीमत लगभग 90 रुपए होती है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त फर्म की ओर से सप्लाई किए गए ज्यादातर जूते खराब क्वालिटी के और फटे हुए हैं।
मुकेश गोयल और सतबीर शर्मा के मुताबिक, उन्होंने जूते बनाने वाली एक कंपनी श्रीबालाजी फुटकेयर से संपर्क किया तो पता चला कि वह निगम को सप्लाई किए गए जूतों से बढ़िया जूते 60 रुपए में देने को तैयार हैं। इस प्रकार निगम की ओर से खरीदे गए जूतों की कीमत बाजार भाव से लगभग 30 रुपए ज्यादा यानी करीब 50 फीसद ज्यादा है। गोयल ने कहा कि निगम ने जूते सप्लाई करने के लिए 2,93,28,808 रुपए का ठेका दिया। इस ठेके में सबसे हैरानी की बात यह है कि जूतों के सप्लाई आॅर्डर निगम के पांच जोनों के लिए अलग-अलग दिए गए हैं। रोहिणी जोन के लिए अभी तक सप्लाई आॅर्डर नहीं दिया गया है क्योंकि उक्त जोन में जूतों की लैब रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। अब सवाल यह उठता है कि जब जूतों की सप्लाई एक फर्म को करनी है और एग्रीमेंट भी एक हुआ है, तो अलग-अलग जोनों में अलग-अलग लैब टैस्टिंग क्यों करवाई गई?
फर्म को सप्लाई आॅर्डर देने से पहले केंद्रीय स्तर पर जूतों की क्वालिटी की जांच क्यों नहीं करवाई गई? उन्होंने आरोप लगाया कि इससे साफ पता चलता है कि जूतों की खरीदारी में बहुत बड़ा घोटाला किया गया है। यह घोटाला एक करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है। इतना बड़ा घोटाला सत्तारूढ़ दल और अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। घोटाले में से कितना पैसा भाजपा नेताओं की जेब में और कितना पैसा अधिकारियों की जेब में गया, इसका पता लगाये जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह मांग करती है कि निगम विद्यालयों में पढ़ रहे छात्रों के लिए जूतों की खरीदारी के मामले की किसी स्वतंत्र एजंसी से जांच कराई जाए। साथ ही जूते सप्लाई करने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया जाए। सप्लाई किए गए जूतों का भुगतान रोक दिया जाए और अगर सप्लाई का भुगतान किया जा चुका है तो उसे फर्म से वापस लिया जाए।
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