Wednesday, February 1, 2017

सेक्स से इंकार करने पर तलाक का आदेश बरकरार

नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को निचली अदालत द्वारा मंजूर तलाक के फैसले को बरकरार रखा है। इस व्यक्ति का तलाक निचली अदालत ने इस आधार पर मंजूर किया था कि उसकी पत्नी ने शादी के दो महीने बाद तक उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए और उस पर व्यभिचार के झूठे आरोप लगाए।

न्यायमूर्ति प्रदीप नंद्राजोग और न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की पीठ ने पति को तलाक की अनुमति देने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ महिला की अपील खारिज कर दी। । पीठ ने कहा कि निचली अदालत के आदेश में कोई ‘खामी’ नहीं है। पीठ ने कहा, ‘हमें कुटुम्ब अदालत के न्यायाधीश द्वारा अपनाए गए इस रुख में कोई खामी नहीं लगती कि पति उन आधारों को साबित करने में कामयाब रहा है जिन पर शादी खत्म की गई थी।’

निचली अदालत ने फरवरी 2002 में शादी करने वाले व्यक्ति का परित्याग और क्रूरता के आधार पर तलाक मंजूर किया था। अपने फैसले में पीठ ने कहा कि महिला ने पुरुष के खिलाफ व्यभिचार के आरोप लगाए लेकिन वह अपने सबूतों से इसे साबित नहीं कर सकी।

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