कोरोना के कम होने के साथ जिंदगी पटरी पर लौट रही है लेकिन लोग मेट्रो की बंदिशों से अब भी जूझ रहे हैं। नतीजा एंट्री के लिए लंबी लाइनें। किन स्टेशनों पर है दिक्कत और कहां मिल रही है आसानी से एंट्री, जानने के लिए एनबीटी रिपोर्टर्स ने की मेट्रो स्टेशनों की पड़ताल...
रिपोर्टः प्रशांत सोनी, पूनम गौड़, प्रियंका सिंह, शम्से आलम, माधुरी सेंगर, सचिन हूडा, अम्बरीश त्रिपाठी, अखिल सक्सेना, अखंड प्रताप सिंह
मयूर विहार फेज-1 मेट्रो स्टेशन ( सुबह 8:45 बजे)
आईएफएस अपार्टमेंट के सामने बने इस स्टेशन के गेट नंबर 2 का शटर गिरा हुआ था, जबकि यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला गेट हुआ करता था, क्योंकि ज्यादातर लोग इसी तरफ से स्टेशन पहुंचते थे। अब लोगों को आगे गेट नंबर 1 तक जाना पड़ता है। मौसम खराब होने के बावजूद गुरुवार की सुबह से इस गेट के बाहर यात्रियों की लाइन लगनी शुरू हो गई और 10-15 मिनट के अंदर ही चंद मिनटों के अंदर बढ़ते बढ़ते इतनी लंबी हो गई कि बाहर रिक्शों के रुकने के लिए बनाई गई पूरी लेन में लोगों की कतार लग गई। ऊपर से ट्रेनों की आवाजाही के अनुसार यात्रियों को एंटर करने दिया जा रहा था। कई लोग बेहद जल्दबाजी में दिखे, क्योंकि देर हो रही थी। बाहर खड़े कुछ रिक्शे वालों और वेंडरों ने बताया कि कभी-कभी तो यहां इतनी लंबी लाइन लगती है कि गेट नंबर 2 तक लोग खड़े नजर आते थे। दूसरी ओर यहीं पर बने पिंक लाइन के इंटरचेंज स्टेशन का भी गेट नंबर 3 बंद था और केवल गेट नंबर 4 से एंट्री दी जा रही थी। हालांकि यहां उतनी लंबी लाइन नहीं थी। लोग रिक्शे से उतरते ही लाइन में दौड़कर लाइन में लग रहे थे। अंदर यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग और हैंड सैनिटाइजेशन किया जा रह था। ऊपर प्लेटफॉर्म पर भी अच्छी खासी भीड़ थी और ट्रेन भी खचाखच भरी हुई थी, लेकिन क्रॉस लगी सीटों पर लोग नहीं बैठ रहे थे। एस्केलेटर्स से लेकर प्लेटफॉर्म और ट्रेन के अंदर तक, हर जगह से सोशल डिस्टेंसिंग पूरी तरह नदारद थी। हां, नियंत्रण की वजह से ट्रेनों के अंदर पहले जैसी भीड़ नहीं थी कि दरवाजे बंद होने में दिक्कत आए। यहां मिले डीएमआरसी और सीआईएसएफ के अधिकारियों का कहना था कि अगर हम दूसरा गेट खोल देंगे, तो ट्रेनें पहले जैसी खचाखच भर जाएंगी। इसी वजह से अभी सारे गेट नहीं खोले जा रहे हैं।
अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन (सुबह 9:30 बजे)
इस मेट्रो स्टेशन के बाहर एक फुट ओवरब्रिज बना हुआ है और उसके दूसरी तरफ घनी आबादी वाले पांडव नगर, गणेश नगर, स्कूल ब्लॉक जैसे इलाके हैं। पहले लोग कॉलोनी से बाहर मेन रोड पर आते ही लोग फुट ओवरब्रिज पर चले जाते थे और वहीं से सीधे अंदर एंट्री मिल जाती थी। इसी तरह जो लोग पार्किंग में गाड़ी खड़ी करके जाते थे, उन्हें पार्किंग के पास वाले गेट से ही एंट्री मिल जाती थी। मगर अब केवल मेन एंट्री गेट का ही इस्तेमाल एंट्री और एग्जिट दोनों के लिए हो रहा है, जिसकी वजह से पांडव नगर, गणेश नगर की तरफ से आने वाले लोगों को पहले फुट ओवरब्रिज पर चढ़ना पड़ता है और फिर दूसरी ओर आकर वापस नीचे उतरना पड़ता है और स्टेशन बिल्डिंग के अंदर जाकर फिर ऊपर जाना पड़ता है। यानी एंट्री गेट बंद होने से आसान यात्रा अब और मुश्किल हो गई है। यहां कई लोग इसी से नाराज दिखे कि आखिर फुट ओवरब्रिज वाले गेट से एंट्री देने में क्या दिक्कत है, क्योंकि लाइन तो नीचे वाले गेट पर भी लगती है। इसी तरह पार्किंग में गाड़ी लगाकर आने वाले भी घूमकर मेन गेट पर आते हैं और तब स्टेशन में प्रवेश कर पाते हैं। हालांकि, गुरुवार को यहां एंट्री गेट पर ज्यादा भीड़ तो नजर नहीं आई, लेकिन यहां मौजूद लोगों ने बताया कि अक्सर यहां लंबी लाइन लगती है और उन्हें स्टेशन में प्रवेश करने में काफी समय लग जाता है।
निर्माण विहार मेट्रो स्टेशन (सुबह 10:00 बजे)
यह स्टेशन विकास मार्ग के ठीक बीचोंबीच बना हुआ है। इसमें आने-जाने के लिए रोड के दोनों तरफ एंट्री-एग्जिट गेट्स भी बने हुए हैं। लेकिन अगर आपने निर्माण विहार कॉलोनी के गेट की तरफ से एंटर किया, तो ऊपर पहुंचकर पता चलेगा कि गलती कर दी। इस तरफ स्टेशन में एंट्री डीएमआरसी ने बंद कर रखी है। यहां बने कस्टमर केयर सेंटर में भी कोई नहीं बैठा था और सारे एएफसी गेट पर क्रॉस का निशान लगा दिख रहा था। ऊपर एक बड़ा सा बोर्ड लगा हुआ था, जिस पर लिखा था - प्रवेश निषेध। कुछ लोग, जो एंट्री करने के चक्कर में गलती से इस गेट से अंदर आ गए थे, उन्हें पहले अपोजिट साइड पर जाकर नीचे उतरना पड़ा और उस तरफ मॉल के सामने बने गेट से फिर सीढ़ियों से ऊपर चढ़ना पड़ा, जहां लंबी लाइन लगी हुई थी। इस लाइन में लगने के बाद एंट्री मिल पा रही थी। यानी अपोजिट साइड के गेट का इस्तेमाल एक तरह से रोड क्रॉस करने के लिए फुट ओवरब्रिज की तरह किया जा सकता है और इसीलिए इस गेट को बंद नहीं किया गया है, मगर उसका इस्तेमाल करने वाले लोग काफी चक्कर काटने के बाद ही स्टेशन में एंट्री कर पा रहे थे। वहीं कुछ ऐसे लोग भी मिले, जो ई-रिक्शा या साइकिल रिक्शा लेकर रेड लाइट से लंबा चक्कर काटकर और वहां से यू टर्न लेकर दूसरे गेट पर पहुंचे थे। लोगों का कहना था कि इतने भीड़भाड़ वाले स्टेशन का गेट बंद करके डीएमआरसी उनकी परेशानियों को और बढ़ाने का ही काम कर रही है। जो लोग गेट से कुछ दूर सड़क के बीच बने एक पैसेज से पैदल सड़क पार करते हुए आ रहे थे, उन्हें गाड़ियों की आवाजाही के रुकने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा था। स्टेशन की सीढ़ियों से लेकर ऊपर एंट्री तक यात्रियों की कतार लगी हुई थी।
द्वारका मोड़ (सुबह 9.30 बजे)
द्वारका मोड़ से उत्तम नगर जाने वाली व्यस्त सड़क के दोनों किनारों पर इस स्टेशन की एंट्री है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बीच अब एक तरफ की एंट्री बंद है। आने-जाने के लिए एक गेट का इस्तेमाल हो रहा है। इसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी है। ऐसे लोगों को ज्यादा मुश्किल हो रही है, जिन्हें पब्लिक ट्रांसपोर्ट सड़क की दूसरी तरफ उतार रहे हैं। व्यस्त होने की वजह से सड़क क्रॉस करने में ही लोगों को 5 से 7 मिनट लग रहे हैं। इसके बाद स्कैनिंग प्रक्रिया के लिए भी लाइन हैं। हालांकि यह लाइन लगातार आगे बढ़ती रहती हैं, इसलिए यहां अधिक इंतजार नहीं करना पड़ता। इसके बाद स्कैनिंग के लिए इंतजार कुछ लंबा है। हालांकि गुरुवार को बारिश की वजह से यात्रियों की संख्या कुछ कम थी। यात्रियों के अनुसार, उन्हें स्टेशन के इंतजार से अधिक परेशानी सड़क क्रॉस करने में हो रही है। बस, ऑटो व हाई स्पीड ट्रैफिक के बीच में भागकर सड़क क्रॉस करनी पड़ती है, जबकि रेड लाइट यहां से करीब 300 मीटर आगे है। ऐसे में अगर एक एंट्री खोलनी है तो यहां जेब्रा क्रॉसिंग का इंतजाम होना चाहिए। यात्रियों के अनुसार, कोविड से पहले ट्रेन में भीड़ होती थी, लेकिन एंट्री में इतना समय नहीं लगता था। अब स्थिति पहले से बदल गई है। ट्रेनों में बहुत अधिक भीड़ तो नहीं है, लेकिन प्लैटफॉर्म तक आने का समय बढ़ गया है। लाइनें बढ़ गई हैं। अब एक लाइन थर्मल स्क्रीनिंग की, दूसरी- सिक्योरिटी चेक की और तीसरी एएफसी गेट पर लग रही है। गेट भी एक खुल रहा है।
एस्कॉटर्स मुजेसर मेट्रो स्टेशन ( सुबह 9 बजे)
दिल्ली में कुछ मेट्रो स्टेशनों पर केवल एक गेट खुला होने के कारण वहां पर लोगों की लंबी लाइने देखने को मिलती हैं, लेकिन फरीदाबाद में फिलहाल इस तरह की स्थिति नहीं है। स्टेशन पर एक गेट खुल रहा है, लेकिन यात्रियों को लंबी लाइनें लगाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। मेट्रो ट्रेन के सभी गेट खुले रहते हैं और यात्रियों को आने - जाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं हो रही है। मेट्रो ट्रेनों की फ्रिक्वेंसी भी 5 से 7 मिनट की बनी हुई है। स्टेशन पर उतरने वाले पियूष ने बताया कि वह रोजाना मेट्रो से दिल्ली आते - जाते हैं, लेकिन अब मेट्रो में अधिक भीड़ नहीं है। स्टेशन पर पेमेंट कार्ड से हो रही है और सभी लोग कार्ड से पेमेंट नहीं कर पाते हैं। इस कारण भी ट्रेन में लोगों की संख्या कम रहती है। किसी तरह की कोई दिक्कत हमें नहीं हो रही है। यात्री बिंदेश्वर ने बताया कि ऑफिस टाइम के दौरान भी मेट्रो में अधिक भीड़ नहीं है। बहुत से लोग अभी भी घर से ही काम कर रहे हैं, इसलिए भी भीड़ कम दिखाई दे रही है।
गाजियाबाद नया बस अड्डा (सुबह 9.30 बजे)
कोरोना संक्रमण की वजह से अभी भी मेट्रो के कई स्टेशनों के सभी गेट नहीं खुल रहे हैं। जिसकी वजह से स्टेशन परिसर के अंदर जाने के लिए लंबी लाइन लग रही है। गाजियाबाद के नया बस अड्डा मेट्रो स्टेशन पर भी पिछले दिनों यही हालात थे। लेकिन अब यहां पर दोनों गेट खोल दिए गए हैं। फिर भी अभी स्टेशन परिसर में जाने के लिए भीड़ देखी जा सकती है। सैनीटाइजेशन करने के लिए जहां लोग रुकते हैं वहां भीड़ लग रही है। एनबीटी के रिपोर्टर ने सुबह के पीक ऑवर में यहां पर खड़े होकर जायजा लिया। लेकिन यात्रियों का आना-जाना स्मूथ तरीके से चल रहा है। यात्रियों से बात करके पता चला कि 26 जनवरी के आसपास भी चेकिंग और एक गेट बंद होने की वजह से यहां पर लंबी लाइन लग रही थी। लेकिन अब ऐसी दिक्कत नहीं है। राजनगर एक्सटेंशन मेट्रो स्टेशन पर भी दोनों गेट खुले हुए पाए गए। यहां पर यात्रियों की कतार देखने को नहीं मिली है। डीएमआरसी के अधिकारियों का कहना है कि अभी सभी स्टेशन के सभी गेट को नहीं खोला जा रहा है। जहां पर भीड़ अधिक हो रही है वहां पर सभी गेट को खोला जा रहा है। जिससे यात्रियों को स्टेशन परिसर में जाने में किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े। दिलशाद गार्डन से लेकर नया बस अड्डा मेट्रो स्टेशन के जरूरत के हिसाब से स्टेशन के गेट खोलने का प्रावधान किया गया है।
वैशाली मेट्रो स्टेशन (सुबह 8:00 बजे)
वैशाली मेट्रो स्टेशन पर हम सुबह 8 बजे पहुंचे। यहां पर एंट्री से पहले सैनिटाइजेशन और चेकिंग के लिए लोगों की लाइन लगी हुई थी, जो कि ज्यादा लंबी नहीं थी। लाइन में 15 से 20 यात्री शामिल थे, लेकिन चेकिंग होने के बाद लोग आसानी से मेट्रो तक पहुंच रहे थे। वही यहां पर मेट्रो गेट खुलने में भी कोई परेशानी नहीं दिखी। स्थिति सामान्य रही। यहां पहुंचे विकास अग्रवाल ने बताया कि मेट्रो स्टेशन पर कोई ज्यादा भीड़ नहीं है। ऑफिस जाने के दौरान जितनी संख्या होती है, उतनी ही है। बाकी अन्य कोई परेशानी नहीं आ रही है।
कौशांबी मेट्रो स्टेशन (सुबह 8:30 बजे)
शहर के व्यस्त मेट्रो स्टेशन में से कौशांबी मेट्रो स्टेशन भी एक है। यहां से हजारों की संख्या में लोग ट्रांस हिंडन से दिल्ली की तरफ जाते हैं और दिल्ली से ट्रांस हिंडन की तरफ आते हैं। यहां पर ना सैनिटाइजेशन के लिए लाइन थी और ना ही चेकिंग के लिए कोई लाइन दिख रही थी। एंट्री के लिए दोनों दरवाजे खुले हुए थे। लोग आसानी से ऊपर जा रहे थे। वही, टिकट काउंटर पर और एंट्री गेट पर भी कोई भीड़ नहीं थी। गेट नहीं खुलने वाली बात पर भी यात्रियों का कहना था कि इस प्रकार की परेशानी अभी एक-दो दिन में नहीं देखी गई है। उन्हें यात्रा करने में कोई परेशानी नहीं आ रही है। हां पीक आवर्स में भीड़ जरूर होती है, लेकिन यह आम बात है। इस मामले में मेट्रो प्रबंधन के स्टाफ ने बताया कि ऐसी कोई परेशानी नही हैं। स्थिति सामान्य है। वैशाली, कौशांबी और अन्य स्टेशनों पर ज्यादा भीड़ की भी दिक्कत नहीं आई है।
हुडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन
शहर के हुडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन के बाहर शाम को यात्रियों की लंबी-लंबी लाइनें देखी जा रही हैं। स्टेशन में प्रवेश करने के लिए यात्रियों को करीब 10 मिनट तक का इंतजार करना पड़ रहा है। हालांकि सुबह पीक आवर में यात्रियों को राहत है। यात्री बिना लाइन में लगे स्टेशन में एंट्री कर रहे हैं। गुरुवार सुबह भी स्टेशन पर यात्रियों की कतार नहीं देखी गई। हुडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन से सुबह के समय दिल्ली की ओर जाने वाले यात्रियों की संख्या कम है, जबकि कुछ लोग रूटीन के हैं जिनका दिल्ली व अन्य शहरों से गुड़गांव में अपने रोजाना दफ्तर आना-जाना होता है। गुरुवार सुबह 8:15 से 9 बजे बजे देखा गया कि यात्री बिना कतार के स्टेशन में प्रवेश करते रहे और उनको किसी प्रकार की दिक्कत नहीं थी। हालांकि शाम को दिल्ली की ओर जाने वाले यात्रियों का कहना है कि मेट्रो स्टेशन के अंदर एंट्री के लिए लंबा समय लग रहा है। यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही ही है। हैंड सैनिटाइजेशन भी कराया जा रहा है। इस वजह से समय लग रहा है। हालांकि स्टेशन में एंट्री करने के बाद कोई दिक्कत नहीं हो रही है। स्टेशन में एक गेट से आवागमन होने से कोई खास दिक्कत नही हैं और सामान की जांच के लिए यहां दो मशीनें चल रही हैं। सुबह मेट्रो से उतर कर स्टेशन से बाहर आने में कोई दिक्कत नहीं है। शाम को करीब 6 बजे ऑफिसों की छुट्टी होने के दौरान कई बार भीड़ अधिक होने पर स्टेशन में एंट्री करने में लिए 10 मिनट का समय लग रहा है।
पालम (सुबह 9:17 मिनट)
पालम मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 2 पर यात्रियों की लंबी लाइन देखने को नहीं मिली। यात्री आराम से आते और जाते हुए दिखाई दिए। इस मेट्रो स्टेशन में तीन एग्जिट और एंट्री गेट हैं। कोविड-19 महामारी को देखते हुए सिर्फ एक गेट खोला गया है। इसके बाद भी यात्रियों को ज्यादा दिक्कत नहीं होती है। यात्री मनीषा ने बताया कि जब से मेट्रो शुरू हुई है। तब से ऑफिस मेट्रो से ही जाती है। कभी-कभी लंबी लाइन लगती है। मगर महिलाओं को ज्यादा दिक्कत नहीं होती है। चूंकि उनकी लाइन ज्यादा लंबी नहीं होती है। पुरुष यात्रियों को कई बार दिक्कत होती है, क्योंकि कभी-कभी लंबी लाइन लग जाती है।
क्या कहा दिल्ली मेट्रो के पैसेंजरों ने
मेट्रो स्टेशन के गेट्स बंद होने का ज्यादा खामियाजा कामकाजी महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। मैं ऑफिस के लिए निर्माण विहार से मोती नगर आती-जाती हूं और सुबह-शाम दोनों टाइम मेरे 20-25 मिनट एंट्री लेने में ही लग जाते हैं। इससे मेरा पूरा रूटीन डिस्टर्ब हो गया है। डीएमआरसी को अब गेट्स खोल देने चाहिए। -निशा
कुछ गेट्स बंद होने से लोगों को थोड़ी दिक्कत तो हो रही है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अभी कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। मुझे भी रोज 15-20 मिनट एक्स्ट्रा लग जाते हैं, लेकिन ये हमारी सेफ्टी से बढ़कर नहीं है। अभी रिस्क लेना ठीक नहीं है, इसलिए लोग घर से थोड़ा एक्स्ट्रा टाइम लेकर चलें। - प्रतीक चौहान
मैं रोज शाहदरा से निर्माण विहार आती हूं और रोज मुझे मेट्रो स्टेशन के बाहर लाइन में लगना पड़ता है, जिसके चलते मेरा आधा एक घंटा बर्बाद हो जाता है। यहां एक तरफ का गेट बंद होने की वजह से सड़क पार करके दूसरी तरफ आने में भी कई बार बहुत दिक्कत होती है, इसलिए अब गेट्स खोल देने चाहिए। - हिमांशी
मुझे तो समझ नहीं आ रहा कि जब स्टेशन का एक गेट खुल सकता है, तो फिर दूसरा गेट बंद रखने का क्या फायदा है? बल्कि एक ही गेट से एंट्री होने के कारण सारी भीड़ उसी गेट पर जमा हो जाती है। मेट्रो के अंदर भी कोई रूल फॉलो नहीं करता, तो गेट्स बंद रखने का क्या मतलब है। - हर्षिता
मैं जॉब के लिए लक्ष्मी नगर से जनकपुरी जाती हूं। दोनों स्टेशंस पर इतनी लंबी लाइनें लगती हैं कि कभी-कभी मुझे एंट्री में ही 30 से 45 मिनट लग जाते हैं। इसलिए घर से भी जल्दी निकलना पड़ता है और शाम को वापस आने में भी देर हो जाती है। इससे मेरे दूसरे काम भी काफी डिले हो जाते हैं। - लुबना
मेरा ऑफिस झंडेवालान में है। शाम को जब मैं लौटता हूं, तो 20-30 मिनट लाइन में ही लग जाते हैं। निर्माण विहार पर भी केवल एक एंट्री गेट खुला होने से लंबी लाइन लगती है। अब तो कोरोना के बहुत कम केसेज रह गए हैं और वैक्सीन भी आ गई है, तो फिर स्टेशनों के गेट क्यों नहीं खोल रहे? - निशांत प्रियरंजन
मुझे रोज ऑफिस जाते वक्त मेट्रो स्टेशन के बाहर लाइन में लगना पड़ता है और एंट्री करने में ही 15 से 20 मिनट लग जाते हैं। हालांकि वापसी में उतनी दिक्कत नहीं झेलनी पड़ती है, क्योंकि मैं नोएडा सेक्टर-62 से ट्रेन पकड़ती हूं, लेकिन मैंने देखा है गेट्स बंद होने की वजह से लोगों को बहुत दिक्कत हो रही है। - यशी शर्मा
मैं तो रोज-रोज के इस तमाशे से तंग आ चुका हूं। रोज आधा-पौना घंटा सिर्फ मेट्रो स्टेशन के बाहर लाइन में लगने की वजह से बर्बाद हो जाता है। जब सरकार ने सबकुछ ओपन कर दिया है, तो फिर मेट्रो स्टेशनों के गेट बंद रखने का क्या मतलब है? क्या एक ही गेट खोलने से कोरोना रुक जाएगा? - राजेंद्र सिंह
जैसे-जैसे सिचुएशन नॉर्मल होती जा रही है, वैसे-वैसे मेट्रो स्टेशंस के गेट्स बंद होने के कारण लोगों की दिक्कतें और बढ़ती जा रही हैं। मैं शाम को ऑफिस से लौटता हूं, तो राजीव चौक और बाराखंभा स्टेशन के बाहर लंबी लाइन लगी रहती है, लेकिन डीएमआरसी इस समस्या के समाधान की कोई कोशिश नहीं कर रही है। - अनिरुद्ध कुमार
मैं रोज अक्षरधाम से मेट्रो लेकर बाराखंभा स्टेशन तक जाता हूं। मुझे सुबह 15-20 मिनट और शाम को 30-40 मिनट लाइन में लगे रहना पड़ता है। अब ऑफिसों में भी पूरा स्टाफ आने लगा है, तो मेट्रो में रश भी बढ़ रहा है। कोई सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो नहीं हो रही, तो फिर एंट्री गेट बंद रखने का क्या मतलब है? - शशि भूषण
रिपोर्टः प्रशांत सोनी, पूनम गौड़, प्रियंका सिंह, शम्से आलम, माधुरी सेंगर, सचिन हूडा, अम्बरीश त्रिपाठी, अखिल सक्सेना, अखंड प्रताप सिंह
मयूर विहार फेज-1 मेट्रो स्टेशन ( सुबह 8:45 बजे)
आईएफएस अपार्टमेंट के सामने बने इस स्टेशन के गेट नंबर 2 का शटर गिरा हुआ था, जबकि यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला गेट हुआ करता था, क्योंकि ज्यादातर लोग इसी तरफ से स्टेशन पहुंचते थे। अब लोगों को आगे गेट नंबर 1 तक जाना पड़ता है। मौसम खराब होने के बावजूद गुरुवार की सुबह से इस गेट के बाहर यात्रियों की लाइन लगनी शुरू हो गई और 10-15 मिनट के अंदर ही चंद मिनटों के अंदर बढ़ते बढ़ते इतनी लंबी हो गई कि बाहर रिक्शों के रुकने के लिए बनाई गई पूरी लेन में लोगों की कतार लग गई। ऊपर से ट्रेनों की आवाजाही के अनुसार यात्रियों को एंटर करने दिया जा रहा था। कई लोग बेहद जल्दबाजी में दिखे, क्योंकि देर हो रही थी। बाहर खड़े कुछ रिक्शे वालों और वेंडरों ने बताया कि कभी-कभी तो यहां इतनी लंबी लाइन लगती है कि गेट नंबर 2 तक लोग खड़े नजर आते थे। दूसरी ओर यहीं पर बने पिंक लाइन के इंटरचेंज स्टेशन का भी गेट नंबर 3 बंद था और केवल गेट नंबर 4 से एंट्री दी जा रही थी। हालांकि यहां उतनी लंबी लाइन नहीं थी। लोग रिक्शे से उतरते ही लाइन में दौड़कर लाइन में लग रहे थे। अंदर यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग और हैंड सैनिटाइजेशन किया जा रह था। ऊपर प्लेटफॉर्म पर भी अच्छी खासी भीड़ थी और ट्रेन भी खचाखच भरी हुई थी, लेकिन क्रॉस लगी सीटों पर लोग नहीं बैठ रहे थे। एस्केलेटर्स से लेकर प्लेटफॉर्म और ट्रेन के अंदर तक, हर जगह से सोशल डिस्टेंसिंग पूरी तरह नदारद थी। हां, नियंत्रण की वजह से ट्रेनों के अंदर पहले जैसी भीड़ नहीं थी कि दरवाजे बंद होने में दिक्कत आए। यहां मिले डीएमआरसी और सीआईएसएफ के अधिकारियों का कहना था कि अगर हम दूसरा गेट खोल देंगे, तो ट्रेनें पहले जैसी खचाखच भर जाएंगी। इसी वजह से अभी सारे गेट नहीं खोले जा रहे हैं।
अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन (सुबह 9:30 बजे)
इस मेट्रो स्टेशन के बाहर एक फुट ओवरब्रिज बना हुआ है और उसके दूसरी तरफ घनी आबादी वाले पांडव नगर, गणेश नगर, स्कूल ब्लॉक जैसे इलाके हैं। पहले लोग कॉलोनी से बाहर मेन रोड पर आते ही लोग फुट ओवरब्रिज पर चले जाते थे और वहीं से सीधे अंदर एंट्री मिल जाती थी। इसी तरह जो लोग पार्किंग में गाड़ी खड़ी करके जाते थे, उन्हें पार्किंग के पास वाले गेट से ही एंट्री मिल जाती थी। मगर अब केवल मेन एंट्री गेट का ही इस्तेमाल एंट्री और एग्जिट दोनों के लिए हो रहा है, जिसकी वजह से पांडव नगर, गणेश नगर की तरफ से आने वाले लोगों को पहले फुट ओवरब्रिज पर चढ़ना पड़ता है और फिर दूसरी ओर आकर वापस नीचे उतरना पड़ता है और स्टेशन बिल्डिंग के अंदर जाकर फिर ऊपर जाना पड़ता है। यानी एंट्री गेट बंद होने से आसान यात्रा अब और मुश्किल हो गई है। यहां कई लोग इसी से नाराज दिखे कि आखिर फुट ओवरब्रिज वाले गेट से एंट्री देने में क्या दिक्कत है, क्योंकि लाइन तो नीचे वाले गेट पर भी लगती है। इसी तरह पार्किंग में गाड़ी लगाकर आने वाले भी घूमकर मेन गेट पर आते हैं और तब स्टेशन में प्रवेश कर पाते हैं। हालांकि, गुरुवार को यहां एंट्री गेट पर ज्यादा भीड़ तो नजर नहीं आई, लेकिन यहां मौजूद लोगों ने बताया कि अक्सर यहां लंबी लाइन लगती है और उन्हें स्टेशन में प्रवेश करने में काफी समय लग जाता है।
निर्माण विहार मेट्रो स्टेशन (सुबह 10:00 बजे)
यह स्टेशन विकास मार्ग के ठीक बीचोंबीच बना हुआ है। इसमें आने-जाने के लिए रोड के दोनों तरफ एंट्री-एग्जिट गेट्स भी बने हुए हैं। लेकिन अगर आपने निर्माण विहार कॉलोनी के गेट की तरफ से एंटर किया, तो ऊपर पहुंचकर पता चलेगा कि गलती कर दी। इस तरफ स्टेशन में एंट्री डीएमआरसी ने बंद कर रखी है। यहां बने कस्टमर केयर सेंटर में भी कोई नहीं बैठा था और सारे एएफसी गेट पर क्रॉस का निशान लगा दिख रहा था। ऊपर एक बड़ा सा बोर्ड लगा हुआ था, जिस पर लिखा था - प्रवेश निषेध। कुछ लोग, जो एंट्री करने के चक्कर में गलती से इस गेट से अंदर आ गए थे, उन्हें पहले अपोजिट साइड पर जाकर नीचे उतरना पड़ा और उस तरफ मॉल के सामने बने गेट से फिर सीढ़ियों से ऊपर चढ़ना पड़ा, जहां लंबी लाइन लगी हुई थी। इस लाइन में लगने के बाद एंट्री मिल पा रही थी। यानी अपोजिट साइड के गेट का इस्तेमाल एक तरह से रोड क्रॉस करने के लिए फुट ओवरब्रिज की तरह किया जा सकता है और इसीलिए इस गेट को बंद नहीं किया गया है, मगर उसका इस्तेमाल करने वाले लोग काफी चक्कर काटने के बाद ही स्टेशन में एंट्री कर पा रहे थे। वहीं कुछ ऐसे लोग भी मिले, जो ई-रिक्शा या साइकिल रिक्शा लेकर रेड लाइट से लंबा चक्कर काटकर और वहां से यू टर्न लेकर दूसरे गेट पर पहुंचे थे। लोगों का कहना था कि इतने भीड़भाड़ वाले स्टेशन का गेट बंद करके डीएमआरसी उनकी परेशानियों को और बढ़ाने का ही काम कर रही है। जो लोग गेट से कुछ दूर सड़क के बीच बने एक पैसेज से पैदल सड़क पार करते हुए आ रहे थे, उन्हें गाड़ियों की आवाजाही के रुकने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा था। स्टेशन की सीढ़ियों से लेकर ऊपर एंट्री तक यात्रियों की कतार लगी हुई थी।
द्वारका मोड़ (सुबह 9.30 बजे)
द्वारका मोड़ से उत्तम नगर जाने वाली व्यस्त सड़क के दोनों किनारों पर इस स्टेशन की एंट्री है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बीच अब एक तरफ की एंट्री बंद है। आने-जाने के लिए एक गेट का इस्तेमाल हो रहा है। इसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी है। ऐसे लोगों को ज्यादा मुश्किल हो रही है, जिन्हें पब्लिक ट्रांसपोर्ट सड़क की दूसरी तरफ उतार रहे हैं। व्यस्त होने की वजह से सड़क क्रॉस करने में ही लोगों को 5 से 7 मिनट लग रहे हैं। इसके बाद स्कैनिंग प्रक्रिया के लिए भी लाइन हैं। हालांकि यह लाइन लगातार आगे बढ़ती रहती हैं, इसलिए यहां अधिक इंतजार नहीं करना पड़ता। इसके बाद स्कैनिंग के लिए इंतजार कुछ लंबा है। हालांकि गुरुवार को बारिश की वजह से यात्रियों की संख्या कुछ कम थी। यात्रियों के अनुसार, उन्हें स्टेशन के इंतजार से अधिक परेशानी सड़क क्रॉस करने में हो रही है। बस, ऑटो व हाई स्पीड ट्रैफिक के बीच में भागकर सड़क क्रॉस करनी पड़ती है, जबकि रेड लाइट यहां से करीब 300 मीटर आगे है। ऐसे में अगर एक एंट्री खोलनी है तो यहां जेब्रा क्रॉसिंग का इंतजाम होना चाहिए। यात्रियों के अनुसार, कोविड से पहले ट्रेन में भीड़ होती थी, लेकिन एंट्री में इतना समय नहीं लगता था। अब स्थिति पहले से बदल गई है। ट्रेनों में बहुत अधिक भीड़ तो नहीं है, लेकिन प्लैटफॉर्म तक आने का समय बढ़ गया है। लाइनें बढ़ गई हैं। अब एक लाइन थर्मल स्क्रीनिंग की, दूसरी- सिक्योरिटी चेक की और तीसरी एएफसी गेट पर लग रही है। गेट भी एक खुल रहा है।
एस्कॉटर्स मुजेसर मेट्रो स्टेशन ( सुबह 9 बजे)
दिल्ली में कुछ मेट्रो स्टेशनों पर केवल एक गेट खुला होने के कारण वहां पर लोगों की लंबी लाइने देखने को मिलती हैं, लेकिन फरीदाबाद में फिलहाल इस तरह की स्थिति नहीं है। स्टेशन पर एक गेट खुल रहा है, लेकिन यात्रियों को लंबी लाइनें लगाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। मेट्रो ट्रेन के सभी गेट खुले रहते हैं और यात्रियों को आने - जाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं हो रही है। मेट्रो ट्रेनों की फ्रिक्वेंसी भी 5 से 7 मिनट की बनी हुई है। स्टेशन पर उतरने वाले पियूष ने बताया कि वह रोजाना मेट्रो से दिल्ली आते - जाते हैं, लेकिन अब मेट्रो में अधिक भीड़ नहीं है। स्टेशन पर पेमेंट कार्ड से हो रही है और सभी लोग कार्ड से पेमेंट नहीं कर पाते हैं। इस कारण भी ट्रेन में लोगों की संख्या कम रहती है। किसी तरह की कोई दिक्कत हमें नहीं हो रही है। यात्री बिंदेश्वर ने बताया कि ऑफिस टाइम के दौरान भी मेट्रो में अधिक भीड़ नहीं है। बहुत से लोग अभी भी घर से ही काम कर रहे हैं, इसलिए भी भीड़ कम दिखाई दे रही है।
गाजियाबाद नया बस अड्डा (सुबह 9.30 बजे)
कोरोना संक्रमण की वजह से अभी भी मेट्रो के कई स्टेशनों के सभी गेट नहीं खुल रहे हैं। जिसकी वजह से स्टेशन परिसर के अंदर जाने के लिए लंबी लाइन लग रही है। गाजियाबाद के नया बस अड्डा मेट्रो स्टेशन पर भी पिछले दिनों यही हालात थे। लेकिन अब यहां पर दोनों गेट खोल दिए गए हैं। फिर भी अभी स्टेशन परिसर में जाने के लिए भीड़ देखी जा सकती है। सैनीटाइजेशन करने के लिए जहां लोग रुकते हैं वहां भीड़ लग रही है। एनबीटी के रिपोर्टर ने सुबह के पीक ऑवर में यहां पर खड़े होकर जायजा लिया। लेकिन यात्रियों का आना-जाना स्मूथ तरीके से चल रहा है। यात्रियों से बात करके पता चला कि 26 जनवरी के आसपास भी चेकिंग और एक गेट बंद होने की वजह से यहां पर लंबी लाइन लग रही थी। लेकिन अब ऐसी दिक्कत नहीं है। राजनगर एक्सटेंशन मेट्रो स्टेशन पर भी दोनों गेट खुले हुए पाए गए। यहां पर यात्रियों की कतार देखने को नहीं मिली है। डीएमआरसी के अधिकारियों का कहना है कि अभी सभी स्टेशन के सभी गेट को नहीं खोला जा रहा है। जहां पर भीड़ अधिक हो रही है वहां पर सभी गेट को खोला जा रहा है। जिससे यात्रियों को स्टेशन परिसर में जाने में किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े। दिलशाद गार्डन से लेकर नया बस अड्डा मेट्रो स्टेशन के जरूरत के हिसाब से स्टेशन के गेट खोलने का प्रावधान किया गया है।
वैशाली मेट्रो स्टेशन (सुबह 8:00 बजे)
वैशाली मेट्रो स्टेशन पर हम सुबह 8 बजे पहुंचे। यहां पर एंट्री से पहले सैनिटाइजेशन और चेकिंग के लिए लोगों की लाइन लगी हुई थी, जो कि ज्यादा लंबी नहीं थी। लाइन में 15 से 20 यात्री शामिल थे, लेकिन चेकिंग होने के बाद लोग आसानी से मेट्रो तक पहुंच रहे थे। वही यहां पर मेट्रो गेट खुलने में भी कोई परेशानी नहीं दिखी। स्थिति सामान्य रही। यहां पहुंचे विकास अग्रवाल ने बताया कि मेट्रो स्टेशन पर कोई ज्यादा भीड़ नहीं है। ऑफिस जाने के दौरान जितनी संख्या होती है, उतनी ही है। बाकी अन्य कोई परेशानी नहीं आ रही है।
कौशांबी मेट्रो स्टेशन (सुबह 8:30 बजे)
शहर के व्यस्त मेट्रो स्टेशन में से कौशांबी मेट्रो स्टेशन भी एक है। यहां से हजारों की संख्या में लोग ट्रांस हिंडन से दिल्ली की तरफ जाते हैं और दिल्ली से ट्रांस हिंडन की तरफ आते हैं। यहां पर ना सैनिटाइजेशन के लिए लाइन थी और ना ही चेकिंग के लिए कोई लाइन दिख रही थी। एंट्री के लिए दोनों दरवाजे खुले हुए थे। लोग आसानी से ऊपर जा रहे थे। वही, टिकट काउंटर पर और एंट्री गेट पर भी कोई भीड़ नहीं थी। गेट नहीं खुलने वाली बात पर भी यात्रियों का कहना था कि इस प्रकार की परेशानी अभी एक-दो दिन में नहीं देखी गई है। उन्हें यात्रा करने में कोई परेशानी नहीं आ रही है। हां पीक आवर्स में भीड़ जरूर होती है, लेकिन यह आम बात है। इस मामले में मेट्रो प्रबंधन के स्टाफ ने बताया कि ऐसी कोई परेशानी नही हैं। स्थिति सामान्य है। वैशाली, कौशांबी और अन्य स्टेशनों पर ज्यादा भीड़ की भी दिक्कत नहीं आई है।
हुडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन
शहर के हुडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन के बाहर शाम को यात्रियों की लंबी-लंबी लाइनें देखी जा रही हैं। स्टेशन में प्रवेश करने के लिए यात्रियों को करीब 10 मिनट तक का इंतजार करना पड़ रहा है। हालांकि सुबह पीक आवर में यात्रियों को राहत है। यात्री बिना लाइन में लगे स्टेशन में एंट्री कर रहे हैं। गुरुवार सुबह भी स्टेशन पर यात्रियों की कतार नहीं देखी गई। हुडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन से सुबह के समय दिल्ली की ओर जाने वाले यात्रियों की संख्या कम है, जबकि कुछ लोग रूटीन के हैं जिनका दिल्ली व अन्य शहरों से गुड़गांव में अपने रोजाना दफ्तर आना-जाना होता है। गुरुवार सुबह 8:15 से 9 बजे बजे देखा गया कि यात्री बिना कतार के स्टेशन में प्रवेश करते रहे और उनको किसी प्रकार की दिक्कत नहीं थी। हालांकि शाम को दिल्ली की ओर जाने वाले यात्रियों का कहना है कि मेट्रो स्टेशन के अंदर एंट्री के लिए लंबा समय लग रहा है। यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही ही है। हैंड सैनिटाइजेशन भी कराया जा रहा है। इस वजह से समय लग रहा है। हालांकि स्टेशन में एंट्री करने के बाद कोई दिक्कत नहीं हो रही है। स्टेशन में एक गेट से आवागमन होने से कोई खास दिक्कत नही हैं और सामान की जांच के लिए यहां दो मशीनें चल रही हैं। सुबह मेट्रो से उतर कर स्टेशन से बाहर आने में कोई दिक्कत नहीं है। शाम को करीब 6 बजे ऑफिसों की छुट्टी होने के दौरान कई बार भीड़ अधिक होने पर स्टेशन में एंट्री करने में लिए 10 मिनट का समय लग रहा है।
पालम (सुबह 9:17 मिनट)
पालम मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 2 पर यात्रियों की लंबी लाइन देखने को नहीं मिली। यात्री आराम से आते और जाते हुए दिखाई दिए। इस मेट्रो स्टेशन में तीन एग्जिट और एंट्री गेट हैं। कोविड-19 महामारी को देखते हुए सिर्फ एक गेट खोला गया है। इसके बाद भी यात्रियों को ज्यादा दिक्कत नहीं होती है। यात्री मनीषा ने बताया कि जब से मेट्रो शुरू हुई है। तब से ऑफिस मेट्रो से ही जाती है। कभी-कभी लंबी लाइन लगती है। मगर महिलाओं को ज्यादा दिक्कत नहीं होती है। चूंकि उनकी लाइन ज्यादा लंबी नहीं होती है। पुरुष यात्रियों को कई बार दिक्कत होती है, क्योंकि कभी-कभी लंबी लाइन लग जाती है।
क्या कहा दिल्ली मेट्रो के पैसेंजरों ने
मेट्रो स्टेशन के गेट्स बंद होने का ज्यादा खामियाजा कामकाजी महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। मैं ऑफिस के लिए निर्माण विहार से मोती नगर आती-जाती हूं और सुबह-शाम दोनों टाइम मेरे 20-25 मिनट एंट्री लेने में ही लग जाते हैं। इससे मेरा पूरा रूटीन डिस्टर्ब हो गया है। डीएमआरसी को अब गेट्स खोल देने चाहिए। -निशा
कुछ गेट्स बंद होने से लोगों को थोड़ी दिक्कत तो हो रही है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अभी कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। मुझे भी रोज 15-20 मिनट एक्स्ट्रा लग जाते हैं, लेकिन ये हमारी सेफ्टी से बढ़कर नहीं है। अभी रिस्क लेना ठीक नहीं है, इसलिए लोग घर से थोड़ा एक्स्ट्रा टाइम लेकर चलें। - प्रतीक चौहान
मैं रोज शाहदरा से निर्माण विहार आती हूं और रोज मुझे मेट्रो स्टेशन के बाहर लाइन में लगना पड़ता है, जिसके चलते मेरा आधा एक घंटा बर्बाद हो जाता है। यहां एक तरफ का गेट बंद होने की वजह से सड़क पार करके दूसरी तरफ आने में भी कई बार बहुत दिक्कत होती है, इसलिए अब गेट्स खोल देने चाहिए। - हिमांशी
मुझे तो समझ नहीं आ रहा कि जब स्टेशन का एक गेट खुल सकता है, तो फिर दूसरा गेट बंद रखने का क्या फायदा है? बल्कि एक ही गेट से एंट्री होने के कारण सारी भीड़ उसी गेट पर जमा हो जाती है। मेट्रो के अंदर भी कोई रूल फॉलो नहीं करता, तो गेट्स बंद रखने का क्या मतलब है। - हर्षिता
मैं जॉब के लिए लक्ष्मी नगर से जनकपुरी जाती हूं। दोनों स्टेशंस पर इतनी लंबी लाइनें लगती हैं कि कभी-कभी मुझे एंट्री में ही 30 से 45 मिनट लग जाते हैं। इसलिए घर से भी जल्दी निकलना पड़ता है और शाम को वापस आने में भी देर हो जाती है। इससे मेरे दूसरे काम भी काफी डिले हो जाते हैं। - लुबना
मेरा ऑफिस झंडेवालान में है। शाम को जब मैं लौटता हूं, तो 20-30 मिनट लाइन में ही लग जाते हैं। निर्माण विहार पर भी केवल एक एंट्री गेट खुला होने से लंबी लाइन लगती है। अब तो कोरोना के बहुत कम केसेज रह गए हैं और वैक्सीन भी आ गई है, तो फिर स्टेशनों के गेट क्यों नहीं खोल रहे? - निशांत प्रियरंजन
मुझे रोज ऑफिस जाते वक्त मेट्रो स्टेशन के बाहर लाइन में लगना पड़ता है और एंट्री करने में ही 15 से 20 मिनट लग जाते हैं। हालांकि वापसी में उतनी दिक्कत नहीं झेलनी पड़ती है, क्योंकि मैं नोएडा सेक्टर-62 से ट्रेन पकड़ती हूं, लेकिन मैंने देखा है गेट्स बंद होने की वजह से लोगों को बहुत दिक्कत हो रही है। - यशी शर्मा
मैं तो रोज-रोज के इस तमाशे से तंग आ चुका हूं। रोज आधा-पौना घंटा सिर्फ मेट्रो स्टेशन के बाहर लाइन में लगने की वजह से बर्बाद हो जाता है। जब सरकार ने सबकुछ ओपन कर दिया है, तो फिर मेट्रो स्टेशनों के गेट बंद रखने का क्या मतलब है? क्या एक ही गेट खोलने से कोरोना रुक जाएगा? - राजेंद्र सिंह
जैसे-जैसे सिचुएशन नॉर्मल होती जा रही है, वैसे-वैसे मेट्रो स्टेशंस के गेट्स बंद होने के कारण लोगों की दिक्कतें और बढ़ती जा रही हैं। मैं शाम को ऑफिस से लौटता हूं, तो राजीव चौक और बाराखंभा स्टेशन के बाहर लंबी लाइन लगी रहती है, लेकिन डीएमआरसी इस समस्या के समाधान की कोई कोशिश नहीं कर रही है। - अनिरुद्ध कुमार
मैं रोज अक्षरधाम से मेट्रो लेकर बाराखंभा स्टेशन तक जाता हूं। मुझे सुबह 15-20 मिनट और शाम को 30-40 मिनट लाइन में लगे रहना पड़ता है। अब ऑफिसों में भी पूरा स्टाफ आने लगा है, तो मेट्रो में रश भी बढ़ रहा है। कोई सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो नहीं हो रही, तो फिर एंट्री गेट बंद रखने का क्या मतलब है? - शशि भूषण
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