पूछताछ में आरोपित ने पुलिस को बताया कि वह कैब मालिकों से संपर्क कर नौकरी करता है। नौकरी मिलने के बाद वह मौका मिलने पर कार को मो. साबिर व भगत सिंह के हाथों बेच देता था। ये दोनों कार के पूर्जे अलग अलग कर उसे ठिकाना लगा देते थे।
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