नई दिल्ली
तीन तलाक को लेकर कानून भले बन गया हो और पर इसकी आड़ में मुस्लिम महिलाओं की यातनाओं का सिलसिला अभी भी थमा नहीं है। ताजा मामला दिल्ली से और एक शिक्षित मुस्लिम परिवार से जुड़ा है। एक 46 साल की महिला ने अपने पति पर इसी ‘गैरकानूनी’ तरीके से उन्हें तलाक देने का आरोप लगाया है। महिला के मुताबिक, उनके पति को बेटा चाहिए था, जबकि उन्हें बेटियां ही पैदा हो रही थीं। उनके मुताबिक, एक तरफ वह मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस से लेकर अदालत तक के चक्कर लगाने को मजबूर हो रही हैं। दूसरी तरफ, पति के रिश्तेदारों से कथित तौर पर मिल रही धमकियों ने परेशान कर रखा है।
महिला का नाम है हुमा हासिम, जो हिंदी से पोस्ट ग्रैजुएट हैं। एनबीटी से आपबीती साझा करते हुए उन्होंने कहा, “मेरे पति दानिश हासिम सीआईआई में किसी सीनियर पोस्ट पर हैं। उनके साथ 1997 में मेरा विवाह हुआ था। तब हम गुजरात में थे। मेरी दो बेटियां हैं, जिनमें से एक का जन्म साल 2000 में और दूसरी का 2002 में हुआ। पहली बेटी के जन्म से पहले मेरे दो अबॉर्शन कराए गए क्योंकि गर्भ में बेटी थी। 2001 के आसपास जब हम दिल्ली आए तो यहां जन्म से पहले बच्चे के लिंग का पता लगाना मुश्किल हो गया। हालांकि, दूसरी बेटी के जन्म के बाद भी मेरा इसी वजह से एक और अबॉर्शन करा दिया गया।”
साउथ दिल्ली में अपनी बेटियों के साथ अकेली रह रही इस महिला ने पति पर घरेलू हिंसा से जुड़े तमाम तरह के आरोप भी लगाए। तीन तलाक के बारे में बताते हुए कहा, “बीते साल 8 जून की बात है। पति ने बेटी के बाल पकड़कर उसे खींचा तो मैंने उन्हें ऐसा करने से रोकने की कोशिश की। पति ने मुझे भी दीवार की तरफ धक्का दे दिया और गाली गलौज करने लगे। फिर तीन बार तलाक बोलकर उन्होंने कहा, अब हमारा रिश्ता खत्म।” महिला के कहे अनुसार, उसके बाद से इनके पति कहां रह रहे हैं, इन्हें नहीं पता। दावा किया कि वह अपने रिश्तेदारों और आस-पड़ोस वालों की मदद से घर का खर्च चला रही हैं।
छोटी बेटी का यूरोप की किसी यूनिवर्सिटी में दाखिला होना था जिसे खर्च की कमी के चलते रद्द कराना पड़ा। उन्होंने न्यू फ्रेंडस कॉलोनी के पुलिस थाने पर आरोप लगाया कि उसने तीन तलाक से जुड़ी इनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया, जिसमें नए कानून का सहारा लेते हुए इन्होंने पति के खिलाफ एफआईआर की मांग की थी। अदालत ने भी इसके लिए पुलिस को निर्देश देने से मना कर दिया। अदालत ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो महिला खुद पेश न करे सके, इसीलिए इसमें पुलिस को एफआईआर का आदेश देने से कोई मकसद सिद्ध नहीं होगा। हुमा ने बताया कि इन्होंने संबंधित आदेश के खिलाफ अपील करने के साथ खर्चे के लिए भी याचिका दायर की हुई है। महिला के मुताबिक, पर पति के रिश्तेदारों से कथित तौर पर मिल रही धमकियों ने चैन छीना हुआ है, जिसमें एसिड से हमले तक की धमकी शामिल है।
तीन तलाक को लेकर कानून भले बन गया हो और पर इसकी आड़ में मुस्लिम महिलाओं की यातनाओं का सिलसिला अभी भी थमा नहीं है। ताजा मामला दिल्ली से और एक शिक्षित मुस्लिम परिवार से जुड़ा है। एक 46 साल की महिला ने अपने पति पर इसी ‘गैरकानूनी’ तरीके से उन्हें तलाक देने का आरोप लगाया है। महिला के मुताबिक, उनके पति को बेटा चाहिए था, जबकि उन्हें बेटियां ही पैदा हो रही थीं। उनके मुताबिक, एक तरफ वह मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस से लेकर अदालत तक के चक्कर लगाने को मजबूर हो रही हैं। दूसरी तरफ, पति के रिश्तेदारों से कथित तौर पर मिल रही धमकियों ने परेशान कर रखा है।
महिला का नाम है हुमा हासिम, जो हिंदी से पोस्ट ग्रैजुएट हैं। एनबीटी से आपबीती साझा करते हुए उन्होंने कहा, “मेरे पति दानिश हासिम सीआईआई में किसी सीनियर पोस्ट पर हैं। उनके साथ 1997 में मेरा विवाह हुआ था। तब हम गुजरात में थे। मेरी दो बेटियां हैं, जिनमें से एक का जन्म साल 2000 में और दूसरी का 2002 में हुआ। पहली बेटी के जन्म से पहले मेरे दो अबॉर्शन कराए गए क्योंकि गर्भ में बेटी थी। 2001 के आसपास जब हम दिल्ली आए तो यहां जन्म से पहले बच्चे के लिंग का पता लगाना मुश्किल हो गया। हालांकि, दूसरी बेटी के जन्म के बाद भी मेरा इसी वजह से एक और अबॉर्शन करा दिया गया।”
साउथ दिल्ली में अपनी बेटियों के साथ अकेली रह रही इस महिला ने पति पर घरेलू हिंसा से जुड़े तमाम तरह के आरोप भी लगाए। तीन तलाक के बारे में बताते हुए कहा, “बीते साल 8 जून की बात है। पति ने बेटी के बाल पकड़कर उसे खींचा तो मैंने उन्हें ऐसा करने से रोकने की कोशिश की। पति ने मुझे भी दीवार की तरफ धक्का दे दिया और गाली गलौज करने लगे। फिर तीन बार तलाक बोलकर उन्होंने कहा, अब हमारा रिश्ता खत्म।” महिला के कहे अनुसार, उसके बाद से इनके पति कहां रह रहे हैं, इन्हें नहीं पता। दावा किया कि वह अपने रिश्तेदारों और आस-पड़ोस वालों की मदद से घर का खर्च चला रही हैं।
छोटी बेटी का यूरोप की किसी यूनिवर्सिटी में दाखिला होना था जिसे खर्च की कमी के चलते रद्द कराना पड़ा। उन्होंने न्यू फ्रेंडस कॉलोनी के पुलिस थाने पर आरोप लगाया कि उसने तीन तलाक से जुड़ी इनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया, जिसमें नए कानून का सहारा लेते हुए इन्होंने पति के खिलाफ एफआईआर की मांग की थी। अदालत ने भी इसके लिए पुलिस को निर्देश देने से मना कर दिया। अदालत ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो महिला खुद पेश न करे सके, इसीलिए इसमें पुलिस को एफआईआर का आदेश देने से कोई मकसद सिद्ध नहीं होगा। हुमा ने बताया कि इन्होंने संबंधित आदेश के खिलाफ अपील करने के साथ खर्चे के लिए भी याचिका दायर की हुई है। महिला के मुताबिक, पर पति के रिश्तेदारों से कथित तौर पर मिल रही धमकियों ने चैन छीना हुआ है, जिसमें एसिड से हमले तक की धमकी शामिल है।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
Read more: कानून बनने के बाद भी ‘तीन तलाक’ का कहर!