सवाल यह उठता है कि करोड़ों रुपये की योजनाएं कहां पूरी हो रही हैं? जब हर वर्ष यमुना में अमोनिया की मात्रा बढ़ने की स्थिति पैदा होती है तो आखिर इसका स्थायी समाधान क्यों नहीं निकाला गया? इसी की पड़ताल करना आज का मुद्दा है
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