Saturday, January 23, 2021

इसी बजट सत्र में आ सकता है मेट्रो एक्ट संबंधी बिल, बीते 5 साल से चल रहा विचार

नई दिल्ली
दिल्ली समेत देश भर की मेट्रो के लिए नए एक्ट का प्रस्ताव संसद के बजट सत्र में लाने की तैयारी की जा रही है। इस नए एक्ट में ट्राई की तर्ज पर ही मेट्रो किराए तय करने के लिए रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा एक्ट में मेट्रो में नियम तोड़ने वालों पर अधिक जुर्माने की भी व्यवस्था की जा रही है।

लॉ मिनिस्टरी के सूत्रों का कहना है कि आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने इस प्रस्तावित एक्ट पर लॉ मिनिस्टरी की राय मांगी थी लेकिन अब लॉ मिनिस्टरी ने शहरी कार्य मंत्रालय से कहा है कि वह कैबिनेट नोट के साथ ही यह प्रस्ताव भेजे तो वह उस पर अपनी राय देगा। वैसे शहरी कार्य मंत्रालय की तैयारी है कि संसद के बजट सत्र में ही इस एक्ट संबंधी बिल संसद में पेश कर दिया जाए।

अभी मेट्रो के निर्माण और उसके आपरेशन संबंधी दो अलग अलग एक्ट में हैं। इनमें से आपरेशन संबंधी एक्ट 2002 में बनाया गया था लेकिन अब मंत्रालय ने इन दोनों ही ए्क्ट मिलाकर और मौजूदा वक्त की जरूरतों के मुताबिक फेरबदल करके नया एक्ट का प्रारूप तैयार किया है। कैबिनेट के बाद इस पर संसद के दोनों ही सदनों की मंजूरी ली जाएगी।

रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव
मेट्रो रेलवे कंस्ट्रक्शन, ऑपरेशंस और मेंटीनेंस एक्ट 2021 के मसौदे में सबसे महत्वपूर्ण मेट्रो के लिए रेगुलेटर बनाने का प्रस्ताव है। पुराने एक्ट के तहत मेट्रो में किराया बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट के किसी मौजूदा या रिटायर जस्टिस की अगुवाई में कमिटी बनाने का प्रावधान है। लेकिन 2009 के बाद किराया बढ़ाने के लिए जिस तरह से दिल्ली मेट्रो को वर्षों का इंतजार करना पड़ा, उसे देखते हुए ही रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाने की तैयारी है। यह रेगुलेटरी अथॉरिटी स्थायी होगी। लॉ मिनिस्टरी के सूत्रों का कहना है कि रेगुलेटर बनाने की इसलिए भी जरूरत है, क्योंकि अब देश के कई शहरों में मेट्रो चलती है। इससे राजनीतिक कारणों से मेट्रो किरायों में बढ़ोतरी को लेकर आने वाली अड़चनों से बचा जा सकेगा।

एक्ट में कुछ और प्रावधान
नए मेट्रो एक्ट में जरूरत के साथ हुए बदलावों को भी जोड़ा जा रहा है। इनमें कंस्ट्रक्शन से जुड़े नियम और आपरेशंस में जुर्माने से जुड़े नियम भी शामिल हैं। प्रस्ताव में मेट्रो में नियम तोड़ने वालों पर जुर्माने की राशि बढ़ाना भी शामिल किया गया है।

पांच साल से चल रहा विचार
इस एक्ट को लेकर पिछले पांच वर्ष से कवायद चल रही थी। विभिन्न मंत्रालयों और मेट्रो निगमों से विचार विमर्श के बाद अब इस एक्ट का प्रारूप तैयार किया गया है। सूत्रों का कहना है कि इस बिल को कैबिनेट के साथ ही इसी संसद सत्र में पेश किया जा सकता है।

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