नई दिल्ली
ढाई हजार करोड़ रुपये के कथित घोटाले के आरोप को लेकर दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम (MCD) आमने-सामने हैं। शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा शासित नगर निगम में कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले से भी बड़े घोटाले का आरोप लगाया था। इसके बाद बीजेपी की तरफ से पलटवार हुआ कि केजरीवाल और उनके विधायक झूठ बोल रहे हैं। कहीं कोई घोटाला नहीं हुआ है, एमसीडी के बकाए 13 हजार करोड़ रुपये जारी करने की जगह आप सरकार भ्रम फैला रही है। अब दिल्ली नगर निगम की तरफ से अखबारों में विज्ञापन देकर सभी आरोपों को 'गलत और बेबुनियाद' बताया गया है।
एमसीडी ने सामने रखे हैं चार तथ्य
रविवार को अखबार में विज्ञापन देकर एमसीडी ने चार तथ्य गिनाए और कहा कि उसने दिल्ली कैबिनेट के फैसले के मुताबिक ही काम किया। MCD ने कहा कि 2012 में उसका विभाजन हुआ और तीन नगर निगमों के मुख्यालय की व्यवस्था बनी। कैबिनेट के फैसले के आधार पर तय हुआ कि जब तक दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) का मुख्यालय नहीं बन जाता, तब तक सिविल सेंटर स्थित उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) के मुख्यालय का एक हिस्सा इस्तेमाल में लिया जाएगा। इसके मेंटेनेंस का खर्च 50:50 के अनुपात में NDMC को चुकाया जाएगा क्योंकि प्रशासनिक नियंत्रण उसी के पास है।
MCD ने कहा है कि 2015 में NDMC ने SDMC के मुख्यालय का ग्राउंड किराए पर लेने के लिए नोटिस जारी किए जिसे SDMC ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि 2012 के कैबिनेट ऑर्डर में इसका कोई जिक्र नहीं है। NDMC हर साल अपने खातों में अनुमानित किराये की आय दिखाता रहा जो 2021-22 तक 2,457 करोड़ रुपये हो गई। MCD का दावा है कि यह आय NDMC को कभी हुई ही नहीं।
आप नेता ने कहा- कोर्ट में क्यों नहीं बताया 13 हजार करोड़ बकाया हैं
विज्ञापन के जरिए ही दिल्ली सरकार ने किया था वार
अरविंद केजरीवाल सरकार ने कुछ दिन पहले अखबारों में विज्ञापन देकर नगर निगम में घोटाले का आरोप लगाया था। बीजेपी ने तब पलटवार करते हुए कहा था कि 'दिल्ली सरकार का नाटक बहुत दिन से चल रहा है। हर जगह विज्ञापन में अपनी फोटो लगवाने मुख्यमंत्री केजरीवाल ने करीब 13,000 करोड़ रुपये नगर निगमों का नहीं दिया है। एमसीडी को बर्बाद करने के लिए आम आदमी पार्टी धोखे की राजनीति कर रही है।' कथित घोटाले को लेकर AAP के विधायक और पार्षद गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल अनिल बैजल के घर के बाहर प्रदर्शन करना चाहते थे जिसकी इजाजत दिल्ली पुलिस ने नहीं दी थी।
ढाई हजार करोड़ रुपये के कथित घोटाले के आरोप को लेकर दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम (MCD) आमने-सामने हैं। शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा शासित नगर निगम में कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले से भी बड़े घोटाले का आरोप लगाया था। इसके बाद बीजेपी की तरफ से पलटवार हुआ कि केजरीवाल और उनके विधायक झूठ बोल रहे हैं। कहीं कोई घोटाला नहीं हुआ है, एमसीडी के बकाए 13 हजार करोड़ रुपये जारी करने की जगह आप सरकार भ्रम फैला रही है। अब दिल्ली नगर निगम की तरफ से अखबारों में विज्ञापन देकर सभी आरोपों को 'गलत और बेबुनियाद' बताया गया है।
एमसीडी ने सामने रखे हैं चार तथ्य
रविवार को अखबार में विज्ञापन देकर एमसीडी ने चार तथ्य गिनाए और कहा कि उसने दिल्ली कैबिनेट के फैसले के मुताबिक ही काम किया। MCD ने कहा कि 2012 में उसका विभाजन हुआ और तीन नगर निगमों के मुख्यालय की व्यवस्था बनी। कैबिनेट के फैसले के आधार पर तय हुआ कि जब तक दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) का मुख्यालय नहीं बन जाता, तब तक सिविल सेंटर स्थित उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) के मुख्यालय का एक हिस्सा इस्तेमाल में लिया जाएगा। इसके मेंटेनेंस का खर्च 50:50 के अनुपात में NDMC को चुकाया जाएगा क्योंकि प्रशासनिक नियंत्रण उसी के पास है।
MCD ने कहा है कि 2015 में NDMC ने SDMC के मुख्यालय का ग्राउंड किराए पर लेने के लिए नोटिस जारी किए जिसे SDMC ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि 2012 के कैबिनेट ऑर्डर में इसका कोई जिक्र नहीं है। NDMC हर साल अपने खातों में अनुमानित किराये की आय दिखाता रहा जो 2021-22 तक 2,457 करोड़ रुपये हो गई। MCD का दावा है कि यह आय NDMC को कभी हुई ही नहीं।
आप नेता ने कहा- कोर्ट में क्यों नहीं बताया 13 हजार करोड़ बकाया हैं
विज्ञापन के जरिए ही दिल्ली सरकार ने किया था वार
अरविंद केजरीवाल सरकार ने कुछ दिन पहले अखबारों में विज्ञापन देकर नगर निगम में घोटाले का आरोप लगाया था। बीजेपी ने तब पलटवार करते हुए कहा था कि 'दिल्ली सरकार का नाटक बहुत दिन से चल रहा है। हर जगह विज्ञापन में अपनी फोटो लगवाने मुख्यमंत्री केजरीवाल ने करीब 13,000 करोड़ रुपये नगर निगमों का नहीं दिया है। एमसीडी को बर्बाद करने के लिए आम आदमी पार्टी धोखे की राजनीति कर रही है।' कथित घोटाले को लेकर AAP के विधायक और पार्षद गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल अनिल बैजल के घर के बाहर प्रदर्शन करना चाहते थे जिसकी इजाजत दिल्ली पुलिस ने नहीं दी थी।
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