Friday, December 18, 2020

भूकंप के झटके दे रहे बार-बार वॉर्निंग, पर दिल्ली नहीं बड़े खतरे के लिए तैयार

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में अप्रैल से अब तक 15 से अधिक बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। 17 दिसंबर को दे रात आया भूकंप इतना तेज था कि सोते हुए लोगों की नींद खुल गई और वह घरों के बाहर आ गए। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.2 दर्ज की गई। इससे पहले 29 मई को 4.5 तीव्रता वाला भूकंप आ चुका है।

एक्सपर्ट के अनुसार, बार-बार आ रहे झटकों से पता चल रहा है कि दिल्ली-एनसीआर के फॉल्ट इस समय एक्टिव हैं। इन फॉल्ट में बड़े भूकंप की तीव्रता 6.5 तक रह सकती है। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह कब आएगा। भूकंप के पूर्वानुमान का न तो कोई उपकरण है और न ही कोई मैकेनिज्म। इन झटकों को खतरे की आहट मानते हुए राजधानी को तैयारियां कर लेनी चाहिए। लेकिन पिछले कई सालों से तैयारियों के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई है।

एनसीएस (नैशनल सेंटर ऑफ सिस्मेलॉजी) के रेकॉर्ड के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के फॉल्ट में सन् 1700 से अब तक चार बार 6 या इससे अधिक तीव्रता के भूकंप आ चुके हैं। 27 अगस्त 1960 में 6 की तीव्रता का भूकंप आया था जिसका केंद्र फरीदाबाद था। वहीं, सन् 1803 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था जिसका केंद्र मथुरा था। एक्सपर्ट के अनुसार, अभी राजधानी की जो स्थिति है उसे 6.5 तीव्रता का भूकंप काफी नुकसान पहुंचा सकता है।


हिमालय बेल्ट से बड़ा खतरा
एनसीएस के पूर्व हेड डॉ. ए. के. शुक्ला के अनुसार, राजधानी को हिमालय बेल्ट से सबसे अधिक खतरा है जहां 8 की तीव्रता का भी भूकंप आ सकता है। यहां पिछले कई सालों से बड़ा भूकंप नहीं आया है। यदि यहां बड़ा भूकंप आता है तो राजधानी पर इसका काफी असर पड़ेगा। लेकिन हम इसके लिए तैयार नहीं हैं। इस साल अप्रैल-मई में बार-बार भूकंप आने के बाद एमसीडी और डीडीए ने रेट्रोफिटिंग के लिए ऐड निकाले, लेकिन इस पर काम बहुत धीमा है। राजधानी के लिए यह काम इतना आसान नहीं है। शुक्ला के अनुसार, राजधानी में 32 लाख से अधिक बिल्डिंगें हैं। इनकी रेट्रोफिटिंग इतने कम समय में संभव ही नहीं है। इंजीनियरों की कमी है। साल-2012 में डीडीए में ऐसी कुछ तैयारियां शुरू हुई थीं। इसमें रेट्रोफिटिंग के लिए ही एक अलग डिविजन बनाने की बात थी, लेकिन इसके बाद यह काम फाइलों में दब गया।

एनसीएस के हेड डॉ. जे. एल. गौतम ने बताया कि गुरुवार को आए भूकंप का केंद्र राजस्थान का अलवर रहा जबकि रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.2 रही। उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में बार-बार आ रहे इन भूकंप से घबराने की जरूरत नहीं है। हल्के भूकंप का आना सामान्य है।

राजधानी में भूकंप का खतरा कहां कितना


सेस्मिक जोन 4 में राजधानी
दिल्ली-एनसीआर इलाका भूकंप को लेकर जोन-4 में है। 2014 में एनआईएस ने एक स्टडी की थी जिसके मुताबिक राजधानी का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा जोन-5 में है जो भूकंप को लेकर सबसे अधिक संवेदनशील है। इन हिस्सों में ज्यादा तैयारियां की जानी चाहिए। पुरानी बिल्डिंगों को झटकों के लिए तैयार करने की जरूरत है। एक्सपर्ट के अनुसार, पिछले दो सालों में दिल्ली रीजन में भूकंप के 64 झटके आए हैं जिनकी तीव्रता 4 से 4.9 के बीच रही, वहीं आठ भूकंप की तीव्रता 5 या इससे अधिक रही। इससे साफ है कि इस इलाके में धरती के अंदर तेज हलचल है, खासतौर पर दिल्ली और कांगड़ा के आसपास।


6.5 तीव्रता होगी विनाशक
पिछले कुछ दशकों में दिल्ली-एनसीआर की आबादी काफी बढ़ी है। ऐसे में 6 तीव्रता का भूकंप यहां काफी नुकसान पहुंचा सकता है। अगर दिल्ली के 200 किलोमीटर दूर हिमालयी क्षेत्र में 7 या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप आता है तो भी राजधानी के लिए बड़ा खतरा है। भूकंप के लिहाज से यहां की ऊंची इमारतें सुरक्षित नहीं हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, कई इमारतों का गलत तरीके से निर्माण इन्हें रेत में भी धंसा सकता है। यहां की इमारतों में इस्तेमाल होने वाली निर्माण सामग्री भूकंप के झटकों का सामना करने में सक्षम नहीं है।

वल्नेरेबिलिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट को बिल्डिंग मैटीरियल एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन काउंसिल ने प्रकाशित किया था। इसमें दावा किया गया था कि दिल्ली के 91.7 प्रतिशत मकानों की दीवारें पक्की ईंटों से बनी हैं, जबकि कच्ची ईंटों से 3.7 प्रतिशत मकानों की दीवारें बनी हैं। एक्सपर्ट के अनुसार, कच्ची या पक्की ईंटों से बनी इमारतों में भूकंप के दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत आती है।

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