नई दिल्ली: ब्रिटेन में फैले कोविड के नए वेरिएंट की दस्तक अपने देश में भी हो चुकी है। देश में ऐसे छह मरीज की पहचान की है। हालांकि ब्रिटेन से दिल्ली आने के बाद अब तक 32 कोविड पॉजिटिव मरीज एलएनजेपी में एडमिट भी हुए हैं। लेकिन अभी इन मरीजों की जीनोम सिक्वेंसिंग सैंपल की रिपोर्ट आनी बाकी है। वहीं, एक्सपर्ट का कहना है कि इस वायरस में सिर्फ एक निगेटिव बात यह है कि यह तेजी से फैलता बाकी यह घातक नहीं है, टेस्ट का वही तरीका है, इलाज भी उसी तरह लक्षण वाला है, वैक्सीन पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। इसलिए इस नए स्ट्रेन से बचने के लिए भी वही तरीका अपनाए जो अब तक अपनाते आ रहे हैं। मास्क पहनें, हाथ धोएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
एम्स में कोविड एक्सपर्ट डॉक्टर नीरज निश्चल ने कहा कि ह्यूमन सेल्स अपनी जेनेटिक गड़बड़ी को ठीक कर लेता है, लेकिन वायरस ऐसा नहीं कर पाता है। साधारण भाषा में कहें तो यह आरएनए बेस्ड वायरस है और यह अपनी गलती को ठीक नहीं कर पाता है, इसलिए यह म्यूटेड हो जाता है। यह जितना रेप्लीकेट होगा, उतना म्यूटेड होने की संभावना है। ज्यादातर मामले में म्यूटेशन में वायरस कमजोर होता है। डॉक्टर नीरज ने कहा कि यह वाला स्ट्रेन केवल ब्रिटेन और अफ्रीका में देखा गया है, जबकि वायरस का रेप्लिकेशन तो हर जगह हो रहा है। इसलिए डरने वाली बात नहीं है।
इस बारे में मैक्स के कोविड एक्सपर्ट डॉक्टर रोमेल टिक्कू ने कहा कि घबराने वाली बात नहीं है और न ही डरने वाली बात है। सरकार देश में इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए जरूरी पहल कर चुकी है। ऐसे लोगों को आइसालेट किया जा रहा है। गिनती के कुछ मामले आए हैं, ये सभी भी आइसोलेट हैं और इनके ट्रेसिंग की जा रही है। इसलिए स्थिति पूरी तरह से कंट्रोल में है। यह वायरस देश में फैलने की संभावना कम है। इसलिए डरने वाली बात नहीं है। हां, एहतियात जरूरी है।
डॉक्टर रोमेल ने कहा कि जिस प्रकार अब तक कोविड से बचाव के लिए सरकार के गाइडलाइन का पालन कर रहे थे, उसी तरह इस स्ट्रेन से बचाव के लिए भी करना है। इस वायरस में सिर्फ एक बात पहले वायरस की तुलना में बुरी है कि यह तेजी से फैलता है। बाकी सभी फैक्ट्स पुराने स्ट्रेन की तरह ही है। नए स्ट्रेन में भी सीविरिटी नहीं है, इसक वायरस की जांच भी आरटीपीसीआर तकनीक से होती है, इससे संक्रमित मरीजों का इलाज भी पुराने स्ट्रेन की तरह लक्षण के आधार पर होता है। एक अच्छी बात यह है कि इस नए स्ट्रेन पर भी वैक्सीन काम करेगी।
एम्स में कोविड एक्सपर्ट डॉक्टर नीरज निश्चल ने कहा कि ह्यूमन सेल्स अपनी जेनेटिक गड़बड़ी को ठीक कर लेता है, लेकिन वायरस ऐसा नहीं कर पाता है। साधारण भाषा में कहें तो यह आरएनए बेस्ड वायरस है और यह अपनी गलती को ठीक नहीं कर पाता है, इसलिए यह म्यूटेड हो जाता है। यह जितना रेप्लीकेट होगा, उतना म्यूटेड होने की संभावना है। ज्यादातर मामले में म्यूटेशन में वायरस कमजोर होता है। डॉक्टर नीरज ने कहा कि यह वाला स्ट्रेन केवल ब्रिटेन और अफ्रीका में देखा गया है, जबकि वायरस का रेप्लिकेशन तो हर जगह हो रहा है। इसलिए डरने वाली बात नहीं है।
इस बारे में मैक्स के कोविड एक्सपर्ट डॉक्टर रोमेल टिक्कू ने कहा कि घबराने वाली बात नहीं है और न ही डरने वाली बात है। सरकार देश में इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए जरूरी पहल कर चुकी है। ऐसे लोगों को आइसालेट किया जा रहा है। गिनती के कुछ मामले आए हैं, ये सभी भी आइसोलेट हैं और इनके ट्रेसिंग की जा रही है। इसलिए स्थिति पूरी तरह से कंट्रोल में है। यह वायरस देश में फैलने की संभावना कम है। इसलिए डरने वाली बात नहीं है। हां, एहतियात जरूरी है।
डॉक्टर रोमेल ने कहा कि जिस प्रकार अब तक कोविड से बचाव के लिए सरकार के गाइडलाइन का पालन कर रहे थे, उसी तरह इस स्ट्रेन से बचाव के लिए भी करना है। इस वायरस में सिर्फ एक बात पहले वायरस की तुलना में बुरी है कि यह तेजी से फैलता है। बाकी सभी फैक्ट्स पुराने स्ट्रेन की तरह ही है। नए स्ट्रेन में भी सीविरिटी नहीं है, इसक वायरस की जांच भी आरटीपीसीआर तकनीक से होती है, इससे संक्रमित मरीजों का इलाज भी पुराने स्ट्रेन की तरह लक्षण के आधार पर होता है। एक अच्छी बात यह है कि इस नए स्ट्रेन पर भी वैक्सीन काम करेगी।
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