Saturday, December 5, 2020

स्मॉग और पीएम 2.5 का प्रदूषण पिछले साल से हुआ कम, पराली के गंभीर प्रदूषण में हुई बढ़ोतरी

नई दिल्ली
इस साल नवंबर तक सर्दियों के प्रदूषण के आकलन में कई नए पैटर्न दिखाई दिए हैं। सर्दियों के प्रदूषण का यह आकलन सीएसई (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट) ने किया है। आकलन में बताया गया है कि कैसे लॉकडाउन औन मॉनसून के दौरान साफ हवा मिलने के बाद जब इकॉनमी दोबारा खुली, तो प्रदूषण ने वापसी कर ली।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020 के 11 महीनों के प्रदूषण आकलन में यह साफ है कि इस बार औसत पीएम 2.5 में पिछले साल से काफी कमी आई है। सीएसई की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता रायचौधरी के अनुसार, सर्दियों में लोकल वजहों से प्रदूषण लगातार होता रहा है, लेकिन इस बार पैटर्न में काफी बदलाव दिखे हैं। इस बार स्मॉग के एपिसोड में पिछले साल की तुलना में कमी आई है। वहीं, पराली जलाने की वजह से होने वाले प्रदूषित दिनों की संख्या अधिक रही है।

इन सर्दियों में ऐसे दिन भी रहे हैं, जब बिना बारिश के प्रदूषण स्तर सामान्य पर रहा। इसकी वजह हवाओं की बदली दिशा और तेज गति रही। सीएसई के प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी के अनुसार, इन बदलावों से साफ है कि प्रदूषण को कम करने के लिए हमें गाड़ियों, इंडस्ट्री, पावर प्लांट और वेस्ट मैनेजमेंट पर काम करने की जरूरत है।

एनसीआर के चारों शहरों में एक जैसी स्थिति
सीएसई ने सालाना औसत के आधार पर दिल्ली के अलावा गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा और गाजियाबाद का विश्लेषण किया। इससे पता चला कि भले औसत पीएम 2.5 में गिरावट आई हो, लेकिन एनसीआर के शहरों में सर्दियों के दौरान प्रदूषण उसी स्तर पर रहा, जैसा एयरलॉक के दिनों में रहता है। वहीं, इस साल स्मॉग एपिसोड भी कम मिले हैं। महज एक स्मॉग एपिसोड 7 से 10 नवंबर तक राजधानी में देखने को मिला, जबकि पिछले साल दो स्मॉग एपिसोड 31 अक्टूबर से 3 नवंबर तक और 12 नवंबर से 15 नवंबर तक राजधानी को झेलने पड़े थे।

बिना बारिश के सामान्य स्तर पर प्रदूषण
इस बार बिना बारिश के भी हवाओं की वजह से राजधानी को नवंबर में सामान्य स्तर की हवा मिली। 15 नवंबर के बाद राजधानी को तीन दिन सामान्य स्तर की हवा मिली। 2019 में भी सामान्य दिन नवंबर में तीन ही रहे थे, लेकिन उस साल बारिश की वजह से हवा साफ हुई थी। इस साल 27 नवंबर को बिना बारिश के ही औसत प्रदूषण में 76 एमजीसीएम की कमी आई। जबकि 5 जगहों पर 24 घंटे का औसत संतोषजनक स्तर में भी रहा।

पराली के प्रदूषण ने किया अधिक परेशान
इस बार पराली जलाने के मामले 10 अक्टूबर से ही सामने आने लगे थे। इस साल छह दिन पराली का प्रदूषण 20 से 30 प्रतिशत के बीच रहा। यह पिछले साल दो दिन था, जबकि 16 दिन पराली प्रदूषण 10 से 20 प्रतिशत के बीच रहा, 2019 में यह एक दिन था। 23 दिन पराली का प्रदूषण 10 प्रतिशत से कम रहा। इस बार दिवाली के दिन भी पराली का प्रदूषण 32 प्रतिशत तक रहा था।

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