Tuesday, December 29, 2020

टीकरी बॉर्डर पर अब तक 12 से ज्यादा किसानों ने तोड़ा दम, सरकार से बढ़ रही नाराजगी

शम्से आलम, नई दिल्ली
टीकरी बॉर्डर पर किसानों को आए हुए एक महीने से ज्यादा का समय हो गया है। इस बीच यहां 12 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है। जानकारी के मुताबिक अधिकतर मौतें हार्ट अटैक से हुई हैं। मंगलवार को भी यहां एक बुजुर्ग किसान की मौत ठंड लगने से हो गई।

किसान नेताओं का कहना है कि वे लगातार किसानों को खोते जा रहे हैं, इससे किसानों में केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। किसानों का कहना है कि ठंड में हम यहां हक की मांग के लिए बैठे हुए हैं, हम किसानों की शहादत को बर्बाद नहीं होने देंगे, हम कृषि बिलों के वापसी होने के बाद ही यहां से जाएंगे।

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टीकरी बॉर्डर पर मंगलवार को भी एक बुजुर्ग किसान की मौत हो गई। किसान प्यारा सिंह (70) पंजाब के डिस्ट्रिक्ट मानसा से यहां एक महीने पहले ट्रैक्टर लेकर पहुंचे थे, तभी से वे धरना स्थल पर ही मौजूद थे। किसान नेता ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्हें ठंड लग गई थी। मंगलवार को उन्होंने धरना स्थल पर ही दम तोड़ दिया। इसकी सूचना उनके परिजनों को दे दी गई है। उनका ट्रैक्टर भी अभी बॉर्डर पर ही है।


किसान नेताओं का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को नहीं मान रही है, दिन प्रतिदिन किसान ठंड में दम तोड़ रहे हैं। अभी तक करीब 40 किसान इस आंदोलन में शहीद हो गए हैं, लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। किसानों की लगातार हो रही मौत के बाद किसानों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

किसानों का कहना है कि सरकार के साथ आज यानी बुधवार को होने वाली बैठक में बात नहीं बनी, तो आगे वे अपनी लड़ाई और भी मजबूती के साथ लड़ेंगे। आगे की रणनीति अलग होगी। हमारे किसान शहीद होते जा रहे हैं, लेकिन सरकार कृषि बिल वापसी के लिए तैयार नहीं है।

ठंड की चपेट में आ रहे बुजुर्ग किसान
पंजाब से आए एक बुजुर्ग किसान मनदीप सिंह ने बताया कि यहां काफी तादाद में बुजुर्ग किसान पंजाब और हरियाणा से आए हुए हैं। उन्होंने कहा, 'बुजुर्ग किसान ठंड की चपेट में आकर अपना दम तोड़ रहे हैं। यहां अधिकतर मौतें हार्ट अटैक के कारण हो रही हैं। कई किसान बीमार चल रहे हैं, सरकार अगर जल्द उनकी मांगे नहीं मानती है तो और भी किसान इस ठंड की चपेट में आ सकते हैं।' इस बीच बुजुर्ग किसानों की सुरक्षा के लिए कई संस्थाएं भी काम कर रही हैं, लेकिन बुजुर्ग किसानों की तादाद अधिक होने के कारण संस्था से जुड़े युवा सभी का ध्यान नहीं रख पा रहे हैं।

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