दुर्गेश नंदन झा, नई दिल्ली
कोरोना वायरस के लिए हर्ड इम्युनिटी की मंजिल इतनी जल्दी हासिल नहीं होने वाली। दिल्ली का तीसरा सीरो सर्वे बताता है कि राजधानी में सीरोप्रिवेलेंस ऊपर चढ़ने के बजाय घटकर 25.1% पर आ गई है। महामारीविदों का मानना है कि प्राकृतिक तरीके से हर्ड इम्युनिटी हासिल करने में महीनों लग सकते हैं। इस प्रक्रिया में बहुत सारी जिंदगियां चली जाएंगी। इसलिए एक्सपर्ट्स कह रहे हैं भीडभाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करना बेहद जरूरी है। उनके मुताबिक, टीकाकरण ही हर्ड इम्युनिटी पाने का इकलौता रास्ता है।
अभी कोरोना से हजारों जानें और जाएंगी: एक्सपर्ट
ICMR के डॉ एनके मेहता के अनुसार, कोविड-19 के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के लिए 60 से 70 फीसदी आबादी का इन्फेक्ट होना जरूरी है। उन्होंने कहा, "अगर आप बीमारी से मृत्यु-दर को 1% या उससे कम मानें तो भी देश में हजारों जानें और जाएंगी।" ताजा आंकड़ों के अनुसार, कोरोना से मरने वालों की संख्या 98 हजार के पास जा चुकी है। अकेले दिल्ली में ही 5,400 से ज्यादा मौतें हुई हैं जबकि यहां पहला मामला 2 मार्च को सामने आया था।
वैक्सीन बनने तक सावधानी ही उपाय
इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर ऐंड बाइलरी साइंसेज (ILBS) के डायरेक्टर डॉ एसके सरीन के मुताबिक, प्रिवेंटिव वैक्सीनेशन ही इकलौता उपाय है। उन्होंने कहा, "कोविड-19 के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी डेवलप करने के लिए प्रिवेंटिव वैक्सीनेशन ही एकमात्र रास्ता है। इसके अलावा वैक्सीन बनने तक खुद को बचाने के लिए मास्क और फिजिकल डिस्टेंसिंग के मानकों का पालन किया जाना चाहिए।"
राजधानी में कोरोना ब्लास्ट, सितंबर महीने में आए 1 लाख से ज्यादा पॉजिटिव केस
ठीक हुए लोगों में ऐंटीबॉडीज नहीं मिलीं
दिल्ली में हुए सीरो सर्वे के लीड रिसर्चर्स में से एक ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि कई लोगों में कोविड-19 के खिलाफ ऐंटीबॉडीज डिटेक्ट ही नहीं हुईं। उन्होंने कहा, "हमने RT-PCR के तहत कोविड पॉजिटिव मिले करीब 300 लोगों को टेस्ट किया। उनमें से करीब 34% में कोविड ऐंटीबॉडीज नहीं थीं।" हालिया सीरो सर्वे में सीरोप्रिवेलेंस कम होने के पीछे यह एक वजह हो सकती है।
'ऐंटीबॉडीज न मिलना टेंशन की बात नहीं'
दिल्ली सरकार ने जुलाई में जो सीरो सर्वे कराया था, उसमें 22.8% में ऐंटीबॉडीज मिली थीं। अगस्त में हुए सर्वे में यह आंकड़ा बढ़कर 28.7% हो गया। लेकिन सितंबर के पहले हफ्ते में हुए ताजा सर्वे के नतीजे बताते हैं कि केवल 25.1% लोगों में कोविड ऐंटीबॉडीज हैं। एक रिसर्चर के मुताबिक, ऐसा हो सकता है कि कई लोगों के शरीर से ऐंटीबॉडीज खत्म हो गई हों। हालांकि डॉ मेहरा के अनुसार, ऐंटीबॉडीज न मिलना चिंता की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि अन्य कोशिकाओं (B सेल्स) में इम्युनोलॉजिकल मेमरी होती है जो री-इन्फेक्शन से बचाती है।
कोरोना वायरस के लिए हर्ड इम्युनिटी की मंजिल इतनी जल्दी हासिल नहीं होने वाली। दिल्ली का तीसरा सीरो सर्वे बताता है कि राजधानी में सीरोप्रिवेलेंस ऊपर चढ़ने के बजाय घटकर 25.1% पर आ गई है। महामारीविदों का मानना है कि प्राकृतिक तरीके से हर्ड इम्युनिटी हासिल करने में महीनों लग सकते हैं। इस प्रक्रिया में बहुत सारी जिंदगियां चली जाएंगी। इसलिए एक्सपर्ट्स कह रहे हैं भीडभाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करना बेहद जरूरी है। उनके मुताबिक, टीकाकरण ही हर्ड इम्युनिटी पाने का इकलौता रास्ता है।
अभी कोरोना से हजारों जानें और जाएंगी: एक्सपर्ट
ICMR के डॉ एनके मेहता के अनुसार, कोविड-19 के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के लिए 60 से 70 फीसदी आबादी का इन्फेक्ट होना जरूरी है। उन्होंने कहा, "अगर आप बीमारी से मृत्यु-दर को 1% या उससे कम मानें तो भी देश में हजारों जानें और जाएंगी।" ताजा आंकड़ों के अनुसार, कोरोना से मरने वालों की संख्या 98 हजार के पास जा चुकी है। अकेले दिल्ली में ही 5,400 से ज्यादा मौतें हुई हैं जबकि यहां पहला मामला 2 मार्च को सामने आया था।
वैक्सीन बनने तक सावधानी ही उपाय
इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर ऐंड बाइलरी साइंसेज (ILBS) के डायरेक्टर डॉ एसके सरीन के मुताबिक, प्रिवेंटिव वैक्सीनेशन ही इकलौता उपाय है। उन्होंने कहा, "कोविड-19 के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी डेवलप करने के लिए प्रिवेंटिव वैक्सीनेशन ही एकमात्र रास्ता है। इसके अलावा वैक्सीन बनने तक खुद को बचाने के लिए मास्क और फिजिकल डिस्टेंसिंग के मानकों का पालन किया जाना चाहिए।"
राजधानी में कोरोना ब्लास्ट, सितंबर महीने में आए 1 लाख से ज्यादा पॉजिटिव केस
ठीक हुए लोगों में ऐंटीबॉडीज नहीं मिलीं
दिल्ली में हुए सीरो सर्वे के लीड रिसर्चर्स में से एक ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि कई लोगों में कोविड-19 के खिलाफ ऐंटीबॉडीज डिटेक्ट ही नहीं हुईं। उन्होंने कहा, "हमने RT-PCR के तहत कोविड पॉजिटिव मिले करीब 300 लोगों को टेस्ट किया। उनमें से करीब 34% में कोविड ऐंटीबॉडीज नहीं थीं।" हालिया सीरो सर्वे में सीरोप्रिवेलेंस कम होने के पीछे यह एक वजह हो सकती है।
'ऐंटीबॉडीज न मिलना टेंशन की बात नहीं'
दिल्ली सरकार ने जुलाई में जो सीरो सर्वे कराया था, उसमें 22.8% में ऐंटीबॉडीज मिली थीं। अगस्त में हुए सर्वे में यह आंकड़ा बढ़कर 28.7% हो गया। लेकिन सितंबर के पहले हफ्ते में हुए ताजा सर्वे के नतीजे बताते हैं कि केवल 25.1% लोगों में कोविड ऐंटीबॉडीज हैं। एक रिसर्चर के मुताबिक, ऐसा हो सकता है कि कई लोगों के शरीर से ऐंटीबॉडीज खत्म हो गई हों। हालांकि डॉ मेहरा के अनुसार, ऐंटीबॉडीज न मिलना चिंता की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि अन्य कोशिकाओं (B सेल्स) में इम्युनोलॉजिकल मेमरी होती है जो री-इन्फेक्शन से बचाती है।
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