नई दिल्ली
फरवरी में हुए दंगों के पीछे साजिशकर्ताओं का मकसद चुनी हुई सरकार को 'उखाड़ फेंकना' था। दिल्ली पुलिस ने एक मामले में दायर चार्जशीट में यह दावा किया है। चार्जशीट कहती है कि 'जिस दिन 2019 संसदीय चुनावों के नतीजे घोषित हुए, उसी दिन से मुख्य साजिशकर्ताओं की जुबान और तेवर बदल गए।' दिल्ली पुलिस का कहना है कि 'आरोपियों के दिमाग में हिंसा के प्रति लगाव साफ दिखा है।' सख्त यूएपीए कानून के तहत 15 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। दिल्ली पुलिस ने बकायदा उदाहरण देकर समझाया है कि क्यों उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई घटना 'आतंकी कृत्य' थी।
'एक तीर से दो शिकार करना चाहते थे आरोपी'
पुलिस ने सबूत के तौर पर बयानों, कॉल डीटेल रिकॉर्ड्स, मनी ट्रेन और वॉट्सऐप ग्रुप्स की ट्रांसस्क्रिप्ट्स पेश किए हैं। चार्जशीट में लिखा गया कि है "वे (साजिशकर्ता) अपनी साजिश को अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान अंजाम देना चाहते थे ताकि एक तीर से दो शिकार हो सकें। उनका प्लान था कि भारत सरकार को घुटनों पर लाकर नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) को वापस कराएंगे।" रिपोर्ट के अंत में लिखा है कि 'सभी साजिशकर्ताओं का मकसद चुनी हुई सरकार को योजनाबद्ध सांप्रदायिक हिंसा के जरिए उखाड़ फेंकना था।'
NBT एक्सक्लूसिवः दिल्ली में ‘उड़’ रहा है हुक्का बैन का धुआं
चार्जशीट में हैं ये 15 नाम
ताहिर हुसैन (पूर्व पार्षद, AAP)
खालिद सैफी
इशरत जहां
मीरान हैदर (जामिया मिलिया इस्लामिया की पीएचडी स्टूडेंट)
गुलफिशा फातिमा (डीयू की पूर्व स्टूडेंट)
सफूरा जरगर (जामिया कोऑर्डिनेशन कमिटी मीडिया कोऑर्डिनेटर)
शफा उर रहमान
आसिफ इकबाल तन्हा
शादाब अहमद
नताशा नरवाल (पिंजरा तोड़ ग्रुप)
देवांगना कलिता (पिंजरा तोड़ ग्रुप)
तसलीम अहमद
सलीम मलिक
सलीम खान
अतहर खान
पुलिस ने स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव, फिल्म निर्माताओं राहुल रॉय और सबा दीवान, पिंजरा तोड़ की कलिता और नरवाल, सीपीआई के एन्नी राजा, एमकेएसएस की रक्षिता स्वामी, ऐक्टिविस्ट्स हर्ष मंदर और अंजलि भारद्वाज के बीच हुई चैट्स की ट्रांसस्क्रिप्ट्स पेश की हैं।
जियो लोकेशन, एसएमएस एनालिसिस, फेस रिकग्निशन... दिल्ली दंगों के आरोपियों की ऐसे खुली पोल
दिल्ली पुलिस ने कहा, ये आतंकी वारदात
दिल्ली पुलिस के अनुसार, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, आतंकी कृत्य वो होता है जिसमें हिंसा के जरिए सरकार से अपनी बात मनवाने को मजबूर किया जाता है।' फिर चार्जशीट में भारत के संदर्भ में 'आतंकी कृत्य' की व्याख्या भी की गई है। चार्जशीट में कहा गया है, "इस मामले में हथियारों, पेट्रोल बमों का इस्तेमाल हुआ... जिससे एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और कई को गंभीर चोटें आईं। हिंसा का मकसद केंद्र सरकार को CAA, NRC वापस लेने के लिए मजबूर करना था, यह साफ तौर पर आतंकी कृत्य की परिभाषा के तहत आता है।"
फरवरी में हुए दंगों के पीछे साजिशकर्ताओं का मकसद चुनी हुई सरकार को 'उखाड़ फेंकना' था। दिल्ली पुलिस ने एक मामले में दायर चार्जशीट में यह दावा किया है। चार्जशीट कहती है कि 'जिस दिन 2019 संसदीय चुनावों के नतीजे घोषित हुए, उसी दिन से मुख्य साजिशकर्ताओं की जुबान और तेवर बदल गए।' दिल्ली पुलिस का कहना है कि 'आरोपियों के दिमाग में हिंसा के प्रति लगाव साफ दिखा है।' सख्त यूएपीए कानून के तहत 15 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। दिल्ली पुलिस ने बकायदा उदाहरण देकर समझाया है कि क्यों उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई घटना 'आतंकी कृत्य' थी।
'एक तीर से दो शिकार करना चाहते थे आरोपी'
पुलिस ने सबूत के तौर पर बयानों, कॉल डीटेल रिकॉर्ड्स, मनी ट्रेन और वॉट्सऐप ग्रुप्स की ट्रांसस्क्रिप्ट्स पेश किए हैं। चार्जशीट में लिखा गया कि है "वे (साजिशकर्ता) अपनी साजिश को अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान अंजाम देना चाहते थे ताकि एक तीर से दो शिकार हो सकें। उनका प्लान था कि भारत सरकार को घुटनों पर लाकर नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) को वापस कराएंगे।" रिपोर्ट के अंत में लिखा है कि 'सभी साजिशकर्ताओं का मकसद चुनी हुई सरकार को योजनाबद्ध सांप्रदायिक हिंसा के जरिए उखाड़ फेंकना था।'
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शफा उर रहमान
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नताशा नरवाल (पिंजरा तोड़ ग्रुप)
देवांगना कलिता (पिंजरा तोड़ ग्रुप)
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सलीम मलिक
सलीम खान
अतहर खान
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दिल्ली पुलिस के अनुसार, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, आतंकी कृत्य वो होता है जिसमें हिंसा के जरिए सरकार से अपनी बात मनवाने को मजबूर किया जाता है।' फिर चार्जशीट में भारत के संदर्भ में 'आतंकी कृत्य' की व्याख्या भी की गई है। चार्जशीट में कहा गया है, "इस मामले में हथियारों, पेट्रोल बमों का इस्तेमाल हुआ... जिससे एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और कई को गंभीर चोटें आईं। हिंसा का मकसद केंद्र सरकार को CAA, NRC वापस लेने के लिए मजबूर करना था, यह साफ तौर पर आतंकी कृत्य की परिभाषा के तहत आता है।"
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