नई दिल्ली
एक तरफ जहां यूपी में नई सरकारी नौकरियों में पहले 5 साल तक संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी की चर्चाएं पूरी तरह थमी नहीं हैं, दूसरी तरफ दिल्ली की अरविंद केजरीवाल अस्थायी पदों को पर्मानेंट करने पर विचार कर रही है। हालांकि, यूपी सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों में शुरुआती 5 सालों तक संविदा की व्यवस्था करने को दो टूक खारिज किया है।
दिल्ली सरकार ने अपने सभी विभागों से उनके यहां अस्थायी पदों के बारे में डीटेल में जानकारी मांगी है। किस तरह के काम हैं, उन्हें देखते हुए इन पदों को पर्मानेंट में बदला जा सकता है। वित्त विभाग ने प्रिंसिपल सेक्रटरीज और सेक्रटरीज को सर्कुलर जारी कर उनसे इस बारे में अपने-अपने विभागों से प्रस्ताव पेश करने को कहा है।
दिल्ली सरकार ने अपने विभागों से जो विवरण मांगे हैं उनमें नामावली, अस्थायी पदों की संख्या, किस उद्देश्य से उन्हें सृजित किया गया था और कितने पदों को पर्मानेंट किया जा सकता है जैसी जानकारियां शामिल हैं। वित्त विभाग में जॉइंट सेक्रटरी (अकाउंट्स) एल. डी. जोशी की तरफ से जारी सर्कुलर के मुताबिक, जो अस्थायी पद कम से कम 3 सालों से हैं, उन्हें पर्मानेंट करने पर विचार किया जाएगा।
सर्कुल में कहा गया है, 'सभी विभागों से गुजारिश है कि वे वित्त विभाग में इस आशय का प्रस्ताव पेश करें कि अस्थायी पदों को बनाने के लिए क्या सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरियां ली गई थीं और उसके बाद क्या उन्हें बहाल रखने/विस्तारित हैं, उनकी ऑरिजिनल फाइलों और '
सभी विभागों से प्रस्तावों को वित्त विभाग में पेश करने की गुजारिश की जाती है। इसमें 2019-20 तक अस्थायी पदों को जारी रखने या विस्तारित करने के बारे में पदों के सृजन के लिए सक्षम अथॉरिटी की मंजूरी और बाद में इसे लेकर वित्त विभाग की मंजूरी का ब्योरा ऑरिजिनल फाइलों के साथ दिया जाए।'
दिल्ली सरकार के सर्विस डिपार्टमेंट ने भी अनुबंध पर काम करने वाले कमर्चारियों के सेवा विस्तार के बारे में विभाग प्रमुखों को पत्र लिखा है। विभाग ने एक पत्र में कहा है कि लेफ्टिनेंट जनरल अनिल बैजल ने निर्देश दिया है कि अनुबंध पर सेवा के विस्तार के पहले, विभागों को यह भी सूचना देनी चाहिए कि क्या नियमित आधार पद पदों को भरने के लिए प्रयास किए गए थे।
एक तरफ जहां यूपी में नई सरकारी नौकरियों में पहले 5 साल तक संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी की चर्चाएं पूरी तरह थमी नहीं हैं, दूसरी तरफ दिल्ली की अरविंद केजरीवाल अस्थायी पदों को पर्मानेंट करने पर विचार कर रही है। हालांकि, यूपी सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों में शुरुआती 5 सालों तक संविदा की व्यवस्था करने को दो टूक खारिज किया है।
दिल्ली सरकार ने अपने सभी विभागों से उनके यहां अस्थायी पदों के बारे में डीटेल में जानकारी मांगी है। किस तरह के काम हैं, उन्हें देखते हुए इन पदों को पर्मानेंट में बदला जा सकता है। वित्त विभाग ने प्रिंसिपल सेक्रटरीज और सेक्रटरीज को सर्कुलर जारी कर उनसे इस बारे में अपने-अपने विभागों से प्रस्ताव पेश करने को कहा है।
दिल्ली सरकार ने अपने विभागों से जो विवरण मांगे हैं उनमें नामावली, अस्थायी पदों की संख्या, किस उद्देश्य से उन्हें सृजित किया गया था और कितने पदों को पर्मानेंट किया जा सकता है जैसी जानकारियां शामिल हैं। वित्त विभाग में जॉइंट सेक्रटरी (अकाउंट्स) एल. डी. जोशी की तरफ से जारी सर्कुलर के मुताबिक, जो अस्थायी पद कम से कम 3 सालों से हैं, उन्हें पर्मानेंट करने पर विचार किया जाएगा।
सर्कुल में कहा गया है, 'सभी विभागों से गुजारिश है कि वे वित्त विभाग में इस आशय का प्रस्ताव पेश करें कि अस्थायी पदों को बनाने के लिए क्या सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरियां ली गई थीं और उसके बाद क्या उन्हें बहाल रखने/विस्तारित हैं, उनकी ऑरिजिनल फाइलों और '
सभी विभागों से प्रस्तावों को वित्त विभाग में पेश करने की गुजारिश की जाती है। इसमें 2019-20 तक अस्थायी पदों को जारी रखने या विस्तारित करने के बारे में पदों के सृजन के लिए सक्षम अथॉरिटी की मंजूरी और बाद में इसे लेकर वित्त विभाग की मंजूरी का ब्योरा ऑरिजिनल फाइलों के साथ दिया जाए।'
दिल्ली सरकार के सर्विस डिपार्टमेंट ने भी अनुबंध पर काम करने वाले कमर्चारियों के सेवा विस्तार के बारे में विभाग प्रमुखों को पत्र लिखा है। विभाग ने एक पत्र में कहा है कि लेफ्टिनेंट जनरल अनिल बैजल ने निर्देश दिया है कि अनुबंध पर सेवा के विस्तार के पहले, विभागों को यह भी सूचना देनी चाहिए कि क्या नियमित आधार पद पदों को भरने के लिए प्रयास किए गए थे।
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