नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने प्राइवेट और सरकारी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वह गरीब छात्रों को ऑनलाइन क्लास की सुविधा मुहैया कराने के लिए जरूरी गैजेट्स (लैपटॉप) और इंटरनेट पैक की सुविधा उपलब्ध कराएं। कोर्ट ने कहा कि इन सुविधाओं के अभाव के चलते ये छात्र प्राथमिक शिक्षा से दूर हो रहे हैं।
जस्टिस मनमोहन और संजीव नरूला की बेंच ने गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को निर्देश देते हुए कहा, ये स्कूल शिक्षा का अधिकार (RTE) ऐक्ट 2009 के तहत छात्रों को ऐसी सुविधाएं मुहैया कराने के बदले राज्य से इसकी भरपाई की कीमत मांग सकते हैं।
बता दें कोविड-19 महामारी के चलते मार्च के बाद से देश भर में स्कूल और कॉलेज बंद हैं। पिछले कुछ समय से स्कूल छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से शिक्षित करने का काम कर रहे हैं। लेकिन इसमें गरीब बच्चो को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
कोर्ट ने कहा, 'हालांकि राज्य भी अभी अपने छात्रों को ये सुविधाएं मुहैया नहीं करा रहे हैं।' बेंच ने एक 3 सदस्यीय कमिटी बनाने का निर्देश दिया है, जिसमें केंद्र से शिक्षा सचिव, दिल्ली सरकार के शिक्षा सचिव या दोनों की ओर से उनके कोई मनोनीत प्रतिनिधि और निजी स्कूलों के प्रतिनिधि शामिल हों, जो जल्दी ही इस प्रक्रिया के लिए जरूरी मानकों की पहचान कर गरीब और वंचित बच्चों को यह सुविधा मुहैया करा पाएं।
गरीब परिवारों के बच्चो के पास ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए न तो जरूरी गैजेट्स हैं और न ही वे इंटरनेट पैक का इंतजाम कर सकते हैं। ऐसे में कोर्ट ने स्कूलों को यह निर्देश दिया है कि वे इन बच्चो को उनकी शिक्षा के अधिकार को पूरा करने के मकसद से गैजेट्स और इंटरनेट पैक की सुविधाएं उपलब्ध कराएं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने प्राइवेट और सरकारी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वह गरीब छात्रों को ऑनलाइन क्लास की सुविधा मुहैया कराने के लिए जरूरी गैजेट्स (लैपटॉप) और इंटरनेट पैक की सुविधा उपलब्ध कराएं। कोर्ट ने कहा कि इन सुविधाओं के अभाव के चलते ये छात्र प्राथमिक शिक्षा से दूर हो रहे हैं।
जस्टिस मनमोहन और संजीव नरूला की बेंच ने गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को निर्देश देते हुए कहा, ये स्कूल शिक्षा का अधिकार (RTE) ऐक्ट 2009 के तहत छात्रों को ऐसी सुविधाएं मुहैया कराने के बदले राज्य से इसकी भरपाई की कीमत मांग सकते हैं।
बता दें कोविड-19 महामारी के चलते मार्च के बाद से देश भर में स्कूल और कॉलेज बंद हैं। पिछले कुछ समय से स्कूल छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से शिक्षित करने का काम कर रहे हैं। लेकिन इसमें गरीब बच्चो को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
कोर्ट ने कहा, 'हालांकि राज्य भी अभी अपने छात्रों को ये सुविधाएं मुहैया नहीं करा रहे हैं।' बेंच ने एक 3 सदस्यीय कमिटी बनाने का निर्देश दिया है, जिसमें केंद्र से शिक्षा सचिव, दिल्ली सरकार के शिक्षा सचिव या दोनों की ओर से उनके कोई मनोनीत प्रतिनिधि और निजी स्कूलों के प्रतिनिधि शामिल हों, जो जल्दी ही इस प्रक्रिया के लिए जरूरी मानकों की पहचान कर गरीब और वंचित बच्चों को यह सुविधा मुहैया करा पाएं।
गरीब परिवारों के बच्चो के पास ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए न तो जरूरी गैजेट्स हैं और न ही वे इंटरनेट पैक का इंतजाम कर सकते हैं। ऐसे में कोर्ट ने स्कूलों को यह निर्देश दिया है कि वे इन बच्चो को उनकी शिक्षा के अधिकार को पूरा करने के मकसद से गैजेट्स और इंटरनेट पैक की सुविधाएं उपलब्ध कराएं।
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