Wednesday, August 5, 2020

प्रॉपर्टी टैक्स में 25% छूट चाहते हैं नई दिल्ली के व्यापारी

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
एनडीएमसी की दुकानों के किराए में सालाना होने वाली 10 फीसदी की बढ़ोतरी को एक साल के लिए टाल कर इस साल किराया ना बढ़ाने के काउंसिल के फैसले के बावजूद नई दिल्ली के व्यापारी खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन के चलते उन्हें जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई केवल इतने भर से संभव नहीं है। व्यापारियों ने प्रॉपर्टी टैक्स में छूट देने के साथ-साथ बिजली के बिलों पर भी रियायत देने और व्यापार को पटरी पर लाने के लिए सस्ते लोन मुहैया कराने जैसे ठोस कदम उठाने की मांग सरकार और एनडीएमसी से की है।

एनडीएमसी नई काउंसिल के गठन के बाद मंगलवार को हुई पहली बैठक में कुछ अहम फैसले लिए गए थे। एनडीएमसी में तैनात 4468 आरएमआर कर्मचारियों और कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे डॉक्टरों को पक्का करने के अलावा दुकानों का किराया नहीं बढ़ाने के प्रस्ताव को भी मंजूर किया गया था। मगर व्यापारियों का कहना है कि इस छूट से एक तो उन व्यापारियों को कोई लाभ नहीं होगा, जो प्राइवेट प्रॉपर्टी किराए पर लेकर दुकानें चला रहे हैं, क्योंकि किराया कम करने को लेकर अभी भी कई जगह मालिकों और किराएदारों के बीच बात बन नहीं पाई है और इसके चलते कई दुकानें खाली भी हो चुकी हैं।

नई दिल्ली की ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल भार्गव का कहना है कि अगर एनडीएमसी काउंसिल के मेंबर और स्थानीय विधायक होने के नाते दिल्ली के मुख्यमंत्री वाकई में व्यापारियों को राहत दिलाना चाहते हैं, तो उन्हें इस साल प्रॉपर्टी टैक्स में कम से कम 25 पर्सेंट की रियायत दिलानी चाहिए, क्योंकि व्यापारी 50 पर्सेंट टैक्स देने की भी हालत में नहीं हैं। तीन महीने दुकानें बंद रहने के बावजूद बिजली और पानी के एवरेज बिलों के नाम पर जो हजारों लाखों के बिल कनॉट प्लेस के व्यापारियों को भेजे गए हैं, उनमें भी रियायत मिलनी चाहिए और एनडीएमसी की जिन दुकानों के किराए में बढ़ोतरी पर इस साल रोक लगाई गई है, केवल उतने के बजाय वर्तमान किराए में भी 50 पर्सेंट की कटौती हो।

भार्गव का कहना था कि अब जब बाजार खुले भी हैं, तब भी केवल 10 पर्सेंट काम रह गया है। ऐसे में अगर प्रॉपर्टी टैक्स में राहत नहीं मिली, तो व्यापारियों के लिए घर चलाना भी मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि नुकसान के चलते पहले ही कई दुकानें और रेस्टोरेंट बंद हो चुके हैं, जिसके चलते कई लोगों को नौकरियां भी खोनी पड़ी हैं। उन्होंने मांग की है कि विदेशों की तर्ज पर दिल्ली सरकार को सस्ती दरों पर व्यापारियों को लोन दिलाने की भी व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि अगर किसी को माल लाने या किराया चुकाने या मेंटिनेंस के लिए पैसों की जरूरत हो, तो किसी से उधार न लेना पड़े।

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