नई दिल्ली
उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में अंसल बंधुओं को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सर्वोच्च अदालत ने पीड़ितों के संगठन की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इसका मतलब है कि अंसल बंधुओं को फिर जेल नहीं जाना होगा।
13 जून 1997 में हुई इस घटना में 59 लोगों की जान चली गई थी जिनके परिवार वालों ने घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने के लिए यह संगठन बनाया था। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रमना और अरुण मिश्रा की तीन सदस्यीय बेंच ने उपहार अग्निकांड के पीड़ितों की ओर से दायर क्युरेटिव पिटिशन को खारिज कर दिया।
बेंच ने अपने आदेश में कहा, 'हमने क्युरेटिव याचिका और संबंधित दस्तावेजों को देखा है। हमारे विचार से कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए क्युरेटिव पिटिशन को खारिज किया जाता है।'
9 फरवरी 2017 को सर्वोच्च अदालत ने 2:1 के बहुमत से दिए फैसले में 78 वर्षीय सुशील अंसल को राहत दी थी। उनकी उम्र और बुढ़ापे की समस्याओं को देखते हुए राहत दी गई थी। उन्हें उतनी ही सजा दी गई जितनी वह जेल में बिता चुके थे। हालांकि, उनके छोटे भाई गोपाल अंसल को एक साल और जेल में बिताने का आदेश दिया था। पीड़ितों के संगठन ने अपने अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति के जरिए क्युरेटिव पिटिशन दाखिल करके फैसले पर दोबारा विचार की अपील की थी।
उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में अंसल बंधुओं को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सर्वोच्च अदालत ने पीड़ितों के संगठन की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इसका मतलब है कि अंसल बंधुओं को फिर जेल नहीं जाना होगा।
13 जून 1997 में हुई इस घटना में 59 लोगों की जान चली गई थी जिनके परिवार वालों ने घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने के लिए यह संगठन बनाया था। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रमना और अरुण मिश्रा की तीन सदस्यीय बेंच ने उपहार अग्निकांड के पीड़ितों की ओर से दायर क्युरेटिव पिटिशन को खारिज कर दिया।
बेंच ने अपने आदेश में कहा, 'हमने क्युरेटिव याचिका और संबंधित दस्तावेजों को देखा है। हमारे विचार से कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए क्युरेटिव पिटिशन को खारिज किया जाता है।'
9 फरवरी 2017 को सर्वोच्च अदालत ने 2:1 के बहुमत से दिए फैसले में 78 वर्षीय सुशील अंसल को राहत दी थी। उनकी उम्र और बुढ़ापे की समस्याओं को देखते हुए राहत दी गई थी। उन्हें उतनी ही सजा दी गई जितनी वह जेल में बिता चुके थे। हालांकि, उनके छोटे भाई गोपाल अंसल को एक साल और जेल में बिताने का आदेश दिया था। पीड़ितों के संगठन ने अपने अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति के जरिए क्युरेटिव पिटिशन दाखिल करके फैसले पर दोबारा विचार की अपील की थी।
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