Friday, February 7, 2020

ऑटो किराए में बढ़ोतरी के फैसले पर HC की रोक

नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में ऑटो रिक्शा किराए को बढ़ाने के AAP सरकार के फैसले पर शुक्रवार को रोक लगा दी। चीफ जस्टिस डी. एन. पटेल और जस्टिस सी. हरिशंकर की बेंच ने कहा, 'हम अगली सुनवाई तक दिल्ली सरकार की 12 जून की अधिसूचना के अमल पर रोक लगाते हैं।' हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 21 मई को तय की है।

कोर्ट ने यह फैसला एनजीओ ‘एडिंग हैंड्स फाउंडेशन’ की याचिका पर दी। याचिका में ऑटो किराए में सुधार संबंधी दिल्ली सरकार की अधिसूचना को निरस्त करने का अनुरोध किया गया था। याचिका में कहा गया कि अधिसूचना सक्षम प्राधिकरण की अनुमति के बिना जारी की गई और यह लोगों को बुरी तरह प्रभावित करेगी। पिछले साल आठ जुलाई को हाई कोर्ट ने ऑटो किराया बढ़ाने के आप सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, अदालत ने जनहित याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार, उसके परिवहन विभाग और किराया समीक्षा आयोग को नोटिस जारी किया था।

याचिका में अधिसूचना को यह कहते हुए चुनौती दी गई था कि अधिकारियों ने दिल्ली में मनमाने तरीके से ऑटो किराए में बढ़ोतरी की, जिससे निवासियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जो पहले ही ऑटो चालकों के बुरे व्यवहार और बहुत ज्यादा किराया वसूलने से परेशान हैं। एनजीओ का पक्ष रख रहे वकील डी. पी. सिंह ने अदालत को बताया कि यह अधिसूचना उपराज्यपाल की अनुमति के बिना जारी की गई और कानूनी रूप से गलत होने के कारण इसे निरस्त किया जाना चाहिए।

दिल्ली सरकार के स्थायी वकील रमेश सिंह ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि इस मामले में फैसला लेने की शक्ति दिल्ली सरकार के पास है न कि उपराज्यपाल के पास। हालांकि, याचिका को केंद्र सरकार के स्थायी वकील जसमीत सिंह ने समर्थन दिया और कहा कि अधिसूचना को निरस्त किया जाना चाहिए। अधिवक्ता अनुराग टंडन और अश्विन मनोहरन के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया कि अधिसूचना कानूनी अधिकरण की अनुमति के बिना जारी की गई और यह संवैधानिक प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है। इसमें कहा गया कि ऑटो चालक मीटर से चलने के लिए मुश्किल से राजी होते हैं और बहुत अधिक कीमत वसूलते हैं और किराए में बढ़ोतरी उन्हें सामान्य से ज्यादा कीमत वसूलने का अधिकार देगी।

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