Thursday, February 6, 2020

कभी धागों में गुंथकर पौराणिक ग्रंथ तो कहीं गांधी का आत्मचित्र रंग तस्वीरों में करते है बयां

रंगों के स्वर खामोशी से कानों में उतरे हौले हौले कदमों से दिल में प्रवेश करते हैं और आत्मिक सुकून के सफर पर निकल जाते हैं।
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