दिल्ली की सियासत में हनुमान जी का विधानसभा चुनाव से पहले और बाद तक महत्वपूर्ण बने रहने पर किसी को आश्चर्य तो नहीं करना चाहिए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का हनुमान चालीसा पढ़ना और फिर कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना के लिए बार-बार जाने के बाद हर तरफ हनुमान जी नजर आ रहे है। हालांकि सच यह है कि दिल्ली को आप चाहें तो हनुमान जी का शहर मान सकते हैं। इधर अंजनी पुत्र हनुमान के जगह-जगह मंदिर और भव्य प्रतिमाएं स्थापित हैं। विवेक शुक्ला की रिपोर्ट:
हनुमान मंदिर में राष्ट्रपति से आम आदमी तक
अरविंद केजरीवाल या मनीष सिसोदिया हाल ही में कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर में गए हों पर इधर सियासी हस्तियां दशकों से आ रही हैं। पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, बाबू जगजीवन राम हनुमान मंदिर में आकर हनुमान चालीसा पढ़ना पसंद करते थे। इधर 1 अगस्त, 1964 से ‘श्रीराम जयराम जय-जयराम’ मंत्र का अटूट जाप आरंभ हुआ था।
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कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर में दिन में हर वक्त लगभग पचास भक्त हनुमान चालीसा पढ़ रहे होते हैं। मंगल और शनिवार को भक्तों की संख्या काफी ज्यादा होती है। कहते हैं, राजा जयसिंह कनॉट फ्लेस क्षेत्र में किसी भवन का निर्माण करवा रहे थे। उस दौरान यहां पर स्वयंभू हनुमान की मूर्ति प्रकट हुई थी। इसमें हनुमान जी दक्षिण दिशा की ओर देख रहे हैं। इसमें उनकी सिर्फ एक ही आंख दिखाई दे रही है। इधर इस मूर्ति के प्रकट होने के बाद यहां पर हनुमान मंदिर का निर्माण हुआ। अपनी राजधानी दिल्ली में हनुमान जी सर्वसुलभ हैं। वे हर मंदिर में हैं। वे अपार शक्ति के प्रतीक हैं।
अखंड हनुमान चालीसा कहां-कहां?
गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि... यह हनुमान चालीसा राजधानी के कम से कम दो बजरंग बली के मंदिरों में लगभग अखंड चलता है। इसमें कहीं कोई व्यवधान नहीं आता। यह क्रम दिन-रात जारी रहता है। कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर और इससे तीन-चार किलोमीटर दूर पूसा रोड या आप कह सकते हैं कि करोल बाग और झंडेवालान मेट्रो स्टेशन के बीच में स्थित हनुमान मंदिर में अखंड हनुमान चालीसा समवेत स्वर में सुना जा सकता है। झंडे वालान मेट्रो स्टेशन के पास संकट मोचन की 108 फीट ऊंची प्रतिमा लगी है। इसे मंदिर में जाकर या फिर मेट्रो में सफर करते हुए देखना अपने आप में एक रोमांचकारी अनुभव है।
पंचमुखी हनुमान का मंदिर
राजधानी में यूं तो कई हनुमान मंदिर हैं, पर पंचमुखी की मूर्तियां गिनती के ही मंदिरों में मिलती हैं। पटेल नगर के हनुमान मंदिर में पंचमुखी हनुमान की मूर्ति में मारुति नंदन का कठोर रूप दिखाया गया है। यह अपने आप में दुर्लभ कलारूपों में एक हैं, जहां वे किसी राक्षस का वध कर रहे हैं। वे सिर्फ पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति में ही भयावह रूप में दर्शाए गए हैं। शेष में हनुमान जी अपने राम की भक्ति में नजर आते हैं। कनॉट प्लेस और ओखला के हनुमान मंदिरों में भी पंचमुखी रूप में हनुमान जी हैं। ‘दिल्ली-6’ वगैरह फिल्मों में दिखाया भी गया है। हनुमान जी एक बड़ी विशाल प्रतिमा छतरपुर मेट्रो स्टेशन के करीब भी स्थापित है। इसी तरह से तिलक ब्रिज से सटे हनुमान मंदिर में भी उनकी एक मूर्ति मंदिर के बाहर स्थापित है।
पांडवों के दौर का हनुमान मंदिर
मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के पास मरघट वाले हनुमान मंदिर का निर्माण पांडवों के समय हुआ था। दिल्ली के नामवर इतिहासकार आर.वी. स्मिथ कहते हैं कि मरघट वाला हनुमान मंदिर मौजूदा रूप में 125 साल से अधिक पुराना नहीं है। इस लिहाज से कनॉट प्लेस का हनुमान मंदिर खासा प्राचीन है। इसे आमेर के राजा जयसिंह ने सन 1724 में बनवाया था। राजा जयसिंह के नाम पर जयपुर शहर का नाम रखा गया है।
तुगलक रोड पर हनुमान मंदिर
तुगलक रोड पर भी एक सिद्ध हनुमान मंदिर है। इसे मंगलवार वाला हनुमान मंदिर भी माना जा सकता है। इसकी वजह ये है कि शेष दिनों में यहां पर सन्नाटा ही रहता है। ये कब खुलता या बंद होता है,ये भी सही से पता नहीं चलता। इसमें बाबू जगजीवन राम, कमलापति त्रिपाठी से लेकर लालू यादव, राबड़ी देवी समेत हजारों-लाखों हनुमान भक्त आते रहे हैं। जिन दिनों लालू यादव को तुगलक रोड पर सरकारी आवास मिला हुआ था,तब राबड़ी देवी यहां आती थीं। बाबू जगजीवन राम कनॉट प्लेस वाले हनुमान मंदिर में तो लगभग हर मंगलवार को पहुंचते थे, इधर भी बीच-बीच में आ जाते थे। निश्चित रूप से इधर कनॉट प्लेस या बस अड्डे वाले हनुमान मंदिरों जितने भक्त तो नहीं आते। आपको इधर हनुमान चालीसा या सुंदर कांड पढ़ने वाले भक्त भी नहीं मिलेंगे। लेकिन ये मंगलवार और कुछ हद तक शनिवार को गुलजार हो जाता है। इन दोनों दिनों में इधर सुबह से देर रात तक बजरंग बली के सैकड़ों भक्त कुछ पलों के लिए रुकते हैं।
हनुमान मंदिर में राष्ट्रपति से आम आदमी तक
अरविंद केजरीवाल या मनीष सिसोदिया हाल ही में कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर में गए हों पर इधर सियासी हस्तियां दशकों से आ रही हैं। पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, बाबू जगजीवन राम हनुमान मंदिर में आकर हनुमान चालीसा पढ़ना पसंद करते थे। इधर 1 अगस्त, 1964 से ‘श्रीराम जयराम जय-जयराम’ मंत्र का अटूट जाप आरंभ हुआ था।
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कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर में दिन में हर वक्त लगभग पचास भक्त हनुमान चालीसा पढ़ रहे होते हैं। मंगल और शनिवार को भक्तों की संख्या काफी ज्यादा होती है। कहते हैं, राजा जयसिंह कनॉट फ्लेस क्षेत्र में किसी भवन का निर्माण करवा रहे थे। उस दौरान यहां पर स्वयंभू हनुमान की मूर्ति प्रकट हुई थी। इसमें हनुमान जी दक्षिण दिशा की ओर देख रहे हैं। इसमें उनकी सिर्फ एक ही आंख दिखाई दे रही है। इधर इस मूर्ति के प्रकट होने के बाद यहां पर हनुमान मंदिर का निर्माण हुआ। अपनी राजधानी दिल्ली में हनुमान जी सर्वसुलभ हैं। वे हर मंदिर में हैं। वे अपार शक्ति के प्रतीक हैं।
अखंड हनुमान चालीसा कहां-कहां?
गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि... यह हनुमान चालीसा राजधानी के कम से कम दो बजरंग बली के मंदिरों में लगभग अखंड चलता है। इसमें कहीं कोई व्यवधान नहीं आता। यह क्रम दिन-रात जारी रहता है। कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर और इससे तीन-चार किलोमीटर दूर पूसा रोड या आप कह सकते हैं कि करोल बाग और झंडेवालान मेट्रो स्टेशन के बीच में स्थित हनुमान मंदिर में अखंड हनुमान चालीसा समवेत स्वर में सुना जा सकता है। झंडे वालान मेट्रो स्टेशन के पास संकट मोचन की 108 फीट ऊंची प्रतिमा लगी है। इसे मंदिर में जाकर या फिर मेट्रो में सफर करते हुए देखना अपने आप में एक रोमांचकारी अनुभव है।
पंचमुखी हनुमान का मंदिर
राजधानी में यूं तो कई हनुमान मंदिर हैं, पर पंचमुखी की मूर्तियां गिनती के ही मंदिरों में मिलती हैं। पटेल नगर के हनुमान मंदिर में पंचमुखी हनुमान की मूर्ति में मारुति नंदन का कठोर रूप दिखाया गया है। यह अपने आप में दुर्लभ कलारूपों में एक हैं, जहां वे किसी राक्षस का वध कर रहे हैं। वे सिर्फ पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति में ही भयावह रूप में दर्शाए गए हैं। शेष में हनुमान जी अपने राम की भक्ति में नजर आते हैं। कनॉट प्लेस और ओखला के हनुमान मंदिरों में भी पंचमुखी रूप में हनुमान जी हैं। ‘दिल्ली-6’ वगैरह फिल्मों में दिखाया भी गया है। हनुमान जी एक बड़ी विशाल प्रतिमा छतरपुर मेट्रो स्टेशन के करीब भी स्थापित है। इसी तरह से तिलक ब्रिज से सटे हनुमान मंदिर में भी उनकी एक मूर्ति मंदिर के बाहर स्थापित है।
पांडवों के दौर का हनुमान मंदिर
मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के पास मरघट वाले हनुमान मंदिर का निर्माण पांडवों के समय हुआ था। दिल्ली के नामवर इतिहासकार आर.वी. स्मिथ कहते हैं कि मरघट वाला हनुमान मंदिर मौजूदा रूप में 125 साल से अधिक पुराना नहीं है। इस लिहाज से कनॉट प्लेस का हनुमान मंदिर खासा प्राचीन है। इसे आमेर के राजा जयसिंह ने सन 1724 में बनवाया था। राजा जयसिंह के नाम पर जयपुर शहर का नाम रखा गया है।
तुगलक रोड पर हनुमान मंदिर
तुगलक रोड पर भी एक सिद्ध हनुमान मंदिर है। इसे मंगलवार वाला हनुमान मंदिर भी माना जा सकता है। इसकी वजह ये है कि शेष दिनों में यहां पर सन्नाटा ही रहता है। ये कब खुलता या बंद होता है,ये भी सही से पता नहीं चलता। इसमें बाबू जगजीवन राम, कमलापति त्रिपाठी से लेकर लालू यादव, राबड़ी देवी समेत हजारों-लाखों हनुमान भक्त आते रहे हैं। जिन दिनों लालू यादव को तुगलक रोड पर सरकारी आवास मिला हुआ था,तब राबड़ी देवी यहां आती थीं। बाबू जगजीवन राम कनॉट प्लेस वाले हनुमान मंदिर में तो लगभग हर मंगलवार को पहुंचते थे, इधर भी बीच-बीच में आ जाते थे। निश्चित रूप से इधर कनॉट प्लेस या बस अड्डे वाले हनुमान मंदिरों जितने भक्त तो नहीं आते। आपको इधर हनुमान चालीसा या सुंदर कांड पढ़ने वाले भक्त भी नहीं मिलेंगे। लेकिन ये मंगलवार और कुछ हद तक शनिवार को गुलजार हो जाता है। इन दोनों दिनों में इधर सुबह से देर रात तक बजरंग बली के सैकड़ों भक्त कुछ पलों के लिए रुकते हैं।
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