Tuesday, February 25, 2020

सीएए पर दिल्ली में भारी उपद्रव, आंखों देखा हाल

नई दिल्ली
नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में पिछले 3 दिनों से हो रही हिंसा में एक हेड कॉन्स्टेबल समेत अबतक 13 लोगों की मौत हो चुकी है। हिंसा प्रभावित इलाकों में पुलिस को अब दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए हैं। हालात का जायजा लेने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल मंगलवार देर रात हिंसा प्रभावित इलाकों में पहुंचे। उन्होंने गाड़ी में बैठकर सीलमपुर, भजनपुरा, मौजपुर, यमुना विहार जैसे हिंसा प्रभावित इलाकों की स्थिति का जायजा लिया। हालात इतने खराब हैं कि लोगों को अपने घर से निकलने में डर लग रहा है। इन इलाकों में रहने वाले लोगों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को पूरे हालात से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि वे दहशत के किस दौर से गुजर रहे हैं।

मौजपुर के रहने वाले शाह आलम (45) ने बताया, 'जब मैं घर लौट रहा था तो गोली चलने की आवाज सुनी। मैं कुछ करता, उससे पहले ही मुझे एक गोली आ लगई। मैं अपने परिजनों के लिए चिंतित था और उन्हें उस वक्त बता भी नहीं सकता था कि मुझे गोली लग चुकी है।'

वहीं, महज 13 साल के पीड़ित एक किशोर ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा, 'मेरी पीठ में गोली लगी थी। मैं चल भी नहीं पा रहा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि गोली कहां से आकर मुझे लगी, लेकिन कुछ लोग बेहद डरे दिख रहे थे और मेरे घर से बाहर होने को लेकर पर मुझपर चिल्ला रहे थे। बस यही बात मुझे याद है।'

25 साल के शाहिर ने बताया, 'काम से मैं घर लौट रहा था, जब अचानक मुझे गोली चलने की आवाज सुनाई दी। मैं डर गया था और छिपने के लिए जगह ढूंढ रहा था। लेकिन छिपने से पहले ही मेरे जांघ में दो गोलियां आकर लगीं। मैं वहीं गिर पड़ा। जब मुझे होश आया तो मैं अस्पताल में पड़ा था।'

टीओआई की आंखोदेखी

वहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) के रिपोर्टर ने भी आंखो देखी घटना का विवरण दिया है। जब रिपोर्टर घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि कबीर नगर में पुलिस पर छत पर खड़े लोगों द्वारा पत्थरों से हमला किया जा रहा है। गलियों में मकानों में लगने वाली आग से धुआं दिख रहा था। उन्होंने गोलियां चलने की भी आवाज सुनी।

टीओआई ने दंगाइयों के एक और समूह को देखा, जो पेट्रोल बम बना रहा था। वे छत पर से पथराव करने वालों के गालियां बक रहे थे। पत्रकारों को कहा गया कि वे इसकी रेकॉर्डिंग नहीं करें और वहां पर सुरक्षा के लिए पुलिस की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं थी। अपराह्न लगभग 1.45 बजे जॉइंट कमिश्नर आलोक कुमार घटनास्थल पर पहुंचे। उनके साथ चार बसों में पुलिसकर्मी थे। उन्होंने सीएए का समर्थन करने वाले प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।

शनि मंदिर से घोंडा जाने वाली सड़क पूरी तरह काली हो गई थी, क्योंकि दुकानों से लूटे गए सामानों को वहीं जलाया गया था। वहीं, गुप्ता नामक एक व्यक्ति ने खुद को फुटवियर बेचने वाला एक दुकानदार बताते हुए कहा कि दंगाइयों ने उनकी दुकान को गलतफहमी में दूसरे समुदाय का समझकर जला दिया। गुप्ता ने कहा कि उन्होंने हाल में ही इस दुकान को किराये पर लिया था।


टीओआई ने एक बुजुर्ग महिला को अपनी दुकान की पहरेदारी करते देखा। वह लोगों से उनकी दुकान को बख्श देने की मिन्नतें कर रही थीं, वह कह रही थीं कि अगर उन्होंने उनकी दुकान को आग लगाई तो उनकी जीवनभर की पूंजी खाक हो जाएगी।

यहां तक कि पहचान को मिटाने के लिए उपद्रवी अपनी पहचान मिटाने के लिए दुकानों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों तक को तोड़ रहे थे। शुभम कलेक्शन स्टोर के मालिक ने उपद्रवियों से अपील की कि वे दुकान को नुकसान न पहुंचाएं, क्योंकि यह उन्हीं जैसे किसी आदमी की है। अपनी पहचान बताने के लिए वह, उनकी पत्नी और बेटा 'जय श्री राम' के नारे लगा रहे थे।

अपराह्न लगभग 3.30 बजे रैपिड ऐक्शन फोर्स की टुकड़ियां आईं और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए उन्होंने आंसू गैस के गोले छोड़े। करदमपुरी से जाफराबाद के लिए एक फ्लैगमार्च निकाला गया। टीओआई ने छजुपुर के निकट 100 फीट रोड पर एक ग्रामीण सेवा का वाहन तथा कुछ मोटरसाइकिलों को जली अवस्था में देखा।

देर रात पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जाफराबाद मेट्रो स्टेश पर जहां महिलाएं धरना दे रही थीं और कुछ अन्य सड़कों को खाली करा लिया गया है और इलाके में सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी गई है।

करावल नगर में भी हालत बदतर

करावल नगर में भी उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया। करावल नगर के अंदरूनी हिस्से में रहने वाले लोगों के लिए घर से बाहर निकलने का भी कोई रास्ता नहीं था, क्योंकि मेन रोड पर उपद्रवियों और पत्थरबाजों ने 'कब्जा' जमा रखा था।

करावल नगर निवासी विक्रम पांडे ने बताया, 'एक भीड़ मेरे घर के बाहर थी और यहां तक कि पुलिस को भी अंदर घुसने नहीं दिया जा रहा था। हम दो दिनों से घर में फंसे हैं। रह-रहकर फायरिंग की आवाज सुनाई दे रही थी। पथराव में घायल हुए एक व्यक्ति की मैंने मरहम-पट्टी की।'

भजनपुरा में भी कमोवेश यही हालात
भजनपुरा में भी हालात खराब थे। यहां रहने वाले लोग अपनी दुकानों के बाहर खड़े होकर उनकी सुरक्षा करते दिखे। दिल्ली पुलिस ने चांद बाग में भीड़ पर आंसू गैस के गोले दागे। यहां दो दिन से हालात बद्तर हैं।

भजनपुरा में एक महिला एक डंडा लेकर खुद और परिवार की सुरक्षा करती दिखी। उन्होंने बताया, 'हमारे जैसे कई लोग यहां फंस गए हैं। अगर हम बाहर निकलने हैं तो हमारी जान को खतरा है।'

चांद बाग तथा यमुना विहार में भी हालत बद्तर दिखा। कम से कम 25 पुलिसकर्मियों का एक दल शाम 3.40 बजे करावलनगर पहुंचा। उपद्रवी डंडों को जमीन पर पटककर नारे लगा रहे थे। अगले 15 मिनट में भीड़ छंटने लगी और प्रदर्शनकारी 3-फुटा रोड की तरफ जाते दिखे। 'दिल्ली पुलिस जिंदाबाद' के नारे लगते सुनाई दिए।

शाम 4.15 बजे के आसपास एक फ्लैग मार्च किया गया। चांदबाग की निवासी नगमा ने बताया कि वह रातभर सो नहीं पाई, क्योंकि उनका बेटा घर नहीं लौटा था। उन्होंने कहा, 'मैंने सोमवार को उसे नजदीक के दुकान से कुछ लाने के लिए भेजा था। इसके बाद मैंने लोगों के झगड़ने की आवाजें सुनीं। लोग गलियों में पत्थर फेंक रहे थे और किसी को भी अंदर नहीं आने दे रहे थे। मैं रातभर जगी रही और उसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित रही। अगर मैं बाहर निकलती तो या तो लोग मुझे मार डालते या घायल कर देते। जब सुबह वह घर लौटा तो मैंने चैन की सांस ली।' पत्रकारों पर पत्थरबाजी यह दिखा रहा था कि लोग उनसे बेहद नाराज है।

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