Tuesday, February 4, 2020

शेल्टर होम: बहस जारी, क्या होगा 19 दोषियों का?

नई दिल्ली/पटना
बिहार के चर्चित मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में मंगलवार को सजा का ऐलान हो सकता है। इस मामले में दिल्ली की विशेष अदालत सुनवाई कर रही है। मंगलवार को केस के 19 दोषियों की सजा पर सुनवाई की जा रही है। इससे पहले 28 जनवरी को कोर्ट ने सजा सुनाने के लिए 4 फरवरी की तारीख तय की थी। मामले में सीबीआई के वकील ने अदालत से दोषियों को अधिकतम सजा देने की अपील की है। वहीं दोषियों के वकील ने सजा में रियायत देने की मांग दोहराई है। पूर्व में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ की अदालत ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को 1045 पन्नों के अपने आदेश में दोषी ठहराया था। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो ऐक्ट के तहत भी केस दर्ज किया गया था।

मंगलवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सीबीआई से यह पूछा है कि फिलहाल शेल्टर होम में कितनी लड़कियां मौजूद हैं। इसके अलावा अदालत ने अपने घर पर मौजूद लड़कियों के बारे मे भी सीबीआई से जानकारी मांगी है। इन दोनों जानकारियों को दो हफ्ते के भीतर अदालत में जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है।

दोषियों को आजीवन कारावास की मांग
एक ओर जहां सीबीआई ने दोषियों को आजीवन कारावास देने और पीड़ित लड़कियों को मुआवजा दिलाने की मांग की गई है। वहीं बचाव पक्ष ने कोर्ट से सजा में थोड़ी राहत देने की मांग की है। बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा है कि जिन दोषियों को सजा दी गई है, उसमें एक विधवा महिला है। इस महिला पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी है और उसकी एक 18 साल की बेटी है। इसके अलावा दोषी विजय के परिवार की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए भी कम सजा देने की मांग की गई है।

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस: कोर्ट ने 19 आरोपियों को छात्राओं के यौन उत्पीड़न का ठहराया दोषी

34 छात्राओं से हुआ था यौन उत्पीड़न
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर के बालिका गृह में 34 छात्राओं के यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था। मेडिकल टेस्ट में तकरीबन 34 बच्चियों के यौन शोषण की पुष्टि हुई थी। सुनवाई के दौरान पीड़ितों ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें नशीला दवाएं देने के साथ मारा-पीटा जाता था, फिर उनके साथ जबरन यौन शोषण किया जाता था।

सामाजिक कल्याण विभाग के अफसर भी थे शामिल
केस में सीबीआइ की चार्जशीट के मुताबिक मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड कर्मचारी भी शामिल थे। वे भी मासूम बच्चियों को दरिंदगी का शिकार बना रहे थे। यह भी आरोप है कि बिहार सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी भी बच्चियों के साथ गलत काम में संलिप्त थे।

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