नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ राजधानी के शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शनों में कई बच्चे भी हाथों में पोस्टर लिए अपने पैरंट्स के साथ नजर आए हैं। वे बच्चे जो शायद अभी यह समझने की स्थिति में नहीं हैं कि उनके आसपास क्या हो रहा है। वहीं, इस मामले पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने संज्ञान लेते हुए प्रशासन से कहा है कि प्रदर्शनों में देखे गए गए बच्चों की पहचान करके उनकी काउंसलिंग की जाए क्योंकि संभव है कि गलत जानकारी के कारण उनका मानसिक उत्पीड़न हो रहा हो।
एनसीपीसीआर ने दक्षिण पूर्वी दिल्ली के जिला अधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि संभव है कि प्रदर्शन स्थल पर मौजूद रहे बच्चों को 'अफवाहों और गलत जानकारी' के कारण मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा हो। आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा, 'हमें शिकायत मिली है कि बच्चों के दिमाग में यह घर कर दिया गया है कि वे दस्तावेज नहीं दिखा पाएंगे। इस शिकायत पर कदम उठाते हुए हमने जिला अधिकारी को चिट्ठी लिखी गई है और कहा कि बच्चों की पहचान की जाए और उनकी काउसंलिंग की जाए।'
उधर, आज दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की है। उन्होंने उन्हें भरोसा दिया है कि वे संबंधित अथॉरिटी तक उनकी बात पहुंचाएंगे। इसके साथ ही बैजल ने उनसे अपील की कि वे प्रदर्शन वापस ले लें क्योंकि सड़क बंद हो जाने के कारण स्थानीय लोगों, स्कूली बच्चों और मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि शाहीन बाग में पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से विरोध-प्रदर्शन हो रहा है जिससे एक मुख्य सड़क ब्लॉक हो गया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को सड़क खाली कराने के निर्देश दिए हैं लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो पा रही है। दरअसल, एक अभिभावक ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपील की थी कि प्री-बोर्ड की परीक्षा चल रही है और बच्चों को सड़क ब्लॉक होने की वजह से स्कूल पहुंचने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
भाषा से इनपुट के साथ
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ राजधानी के शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शनों में कई बच्चे भी हाथों में पोस्टर लिए अपने पैरंट्स के साथ नजर आए हैं। वे बच्चे जो शायद अभी यह समझने की स्थिति में नहीं हैं कि उनके आसपास क्या हो रहा है। वहीं, इस मामले पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने संज्ञान लेते हुए प्रशासन से कहा है कि प्रदर्शनों में देखे गए गए बच्चों की पहचान करके उनकी काउंसलिंग की जाए क्योंकि संभव है कि गलत जानकारी के कारण उनका मानसिक उत्पीड़न हो रहा हो।
एनसीपीसीआर ने दक्षिण पूर्वी दिल्ली के जिला अधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि संभव है कि प्रदर्शन स्थल पर मौजूद रहे बच्चों को 'अफवाहों और गलत जानकारी' के कारण मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा हो। आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा, 'हमें शिकायत मिली है कि बच्चों के दिमाग में यह घर कर दिया गया है कि वे दस्तावेज नहीं दिखा पाएंगे। इस शिकायत पर कदम उठाते हुए हमने जिला अधिकारी को चिट्ठी लिखी गई है और कहा कि बच्चों की पहचान की जाए और उनकी काउसंलिंग की जाए।'
उधर, आज दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की है। उन्होंने उन्हें भरोसा दिया है कि वे संबंधित अथॉरिटी तक उनकी बात पहुंचाएंगे। इसके साथ ही बैजल ने उनसे अपील की कि वे प्रदर्शन वापस ले लें क्योंकि सड़क बंद हो जाने के कारण स्थानीय लोगों, स्कूली बच्चों और मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि शाहीन बाग में पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से विरोध-प्रदर्शन हो रहा है जिससे एक मुख्य सड़क ब्लॉक हो गया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को सड़क खाली कराने के निर्देश दिए हैं लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो पा रही है। दरअसल, एक अभिभावक ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपील की थी कि प्री-बोर्ड की परीक्षा चल रही है और बच्चों को सड़क ब्लॉक होने की वजह से स्कूल पहुंचने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
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