नई दिल्ली
सुर्ख लाल रंग की ड्रेस और खूब चटख मेकअप किए ईशा स्टेज पर पहुंची। उसके चेहरे पर एक मासूम और गर्माहट से भरी मुस्कान थी। बहुत गौर से देखने पर साफ हो गया कि इस मुस्कान के पीछे उसका संघर्ष छिपा हुआ है। डबडबाई आंखों से आखिरकार ईशा ने अपना संघर्ष बताया। ईशा ने खुलकर सबके सामने कहा कि कैसे उन्होंने डिप्रेशन से अपनी जंग जीती।
एलजीबीटी समुदाय के लिए दिल्ली गेट पर कार्यक्रम
LGBTQ कम्युनिटी के लिए आयोजित बैखौफ- यू आर नॉट अलोन कार्य्रकम में शामिल होने के लिए दिल्ली गेट पहुंचनेवालों में ईशा भी थीं। अपने संघर्ष को याद करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे सकारात्मक तरीके से जीवन को लेने में बहुत साल लग गए। उन्होंने बताया, 'मैं सिर्फ 16 साल की थी जब मैंने बोर्ड एक्जाम से कुछ दिन पहले आत्महत्या करने की कोशिश की। मुझे स्कूल में बच्चे मेरी सेक्सुअलिटी को लेकर परेशान करते थे। मुझे ऐसे लगने लगा था कि यह जिंदगी मेरे लायक नहीं है। मेरी कलाइयों से जब खून बह रहा था तब उस एक पल में मुझे अहसास हुआ। मैंने बहते खून को रोका और सोचा कि कुछ स्टूडेंट्स के कारण मुझे अपनी जिंदगी खत्म नहीं करनी चाहिए। इनमें से ज्यादातर तो ऐसे हैं जिनसे मैं फिर कभी मिलूंगी भी नहीं।'
LGBTQ समुदाय के लोगों ने शेयर किया अपना दुख
21 साल की माया ने रोती हुई ईशा को सहारा देने की कोशिश की। हालांकि, खुद माया की कहानी भी इससे कुछ खास अलग नहीं है। माया ने बताया, 'मुझे बचपन में ही अपनी सेक्सुअलिटी के बारे में पता चल गया था। मैं बहुत छोटी थी, लेकिन मुझे 10 साल लग गए अपने पैरंट्स से यह बात शेयर करने में। जब मैंने परिवार को इस बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि या तो मैं यह सब भूल जाऊं या फिर घर से निकल जाऊं। 4 साल पहले उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया और तब मेरे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं थी। यही वो वक्त था जब मैंने आत्महत्या की कोशिश की और आज उस बारे में सोचक भी हंसी आती है।'
सूइसाइड प्रवृत्ति रोकने के लिए एनजीओ की कोशिश
स्पेस एनजीओ के फाउंडिंग मेंबर अंजन ने बताया कि यह संस्था लोगों में सूइसाइड की प्रवृत्ति रोकने के लिए बनी है। उन्होंने कहा कि एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों में निराशा के कारण आत्महत्या की दर अधिक है। अंजन का कहना है, 'इसका कोई आधिकारिक डेटा हमारे पास नहीं है क्योंकि सेक्सुअल पहचान को लेकर होनेवाली मौत का कोई आंकड़ा रखा नहीं जाता। पिछले साल सिर्फ दिल्ली में ही पांच ट्रांसजेंडर्स की आत्महत्या की सूचना हमें मिली। यू आर नॉट अलोन प्रॉजेक्ट के जरिए हम एलजीबीटी समुदाय से कहना चाहते हैं कि वह खुद को अकेला न महसूस करें।'
सुर्ख लाल रंग की ड्रेस और खूब चटख मेकअप किए ईशा स्टेज पर पहुंची। उसके चेहरे पर एक मासूम और गर्माहट से भरी मुस्कान थी। बहुत गौर से देखने पर साफ हो गया कि इस मुस्कान के पीछे उसका संघर्ष छिपा हुआ है। डबडबाई आंखों से आखिरकार ईशा ने अपना संघर्ष बताया। ईशा ने खुलकर सबके सामने कहा कि कैसे उन्होंने डिप्रेशन से अपनी जंग जीती।
एलजीबीटी समुदाय के लिए दिल्ली गेट पर कार्यक्रम
LGBTQ कम्युनिटी के लिए आयोजित बैखौफ- यू आर नॉट अलोन कार्य्रकम में शामिल होने के लिए दिल्ली गेट पहुंचनेवालों में ईशा भी थीं। अपने संघर्ष को याद करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे सकारात्मक तरीके से जीवन को लेने में बहुत साल लग गए। उन्होंने बताया, 'मैं सिर्फ 16 साल की थी जब मैंने बोर्ड एक्जाम से कुछ दिन पहले आत्महत्या करने की कोशिश की। मुझे स्कूल में बच्चे मेरी सेक्सुअलिटी को लेकर परेशान करते थे। मुझे ऐसे लगने लगा था कि यह जिंदगी मेरे लायक नहीं है। मेरी कलाइयों से जब खून बह रहा था तब उस एक पल में मुझे अहसास हुआ। मैंने बहते खून को रोका और सोचा कि कुछ स्टूडेंट्स के कारण मुझे अपनी जिंदगी खत्म नहीं करनी चाहिए। इनमें से ज्यादातर तो ऐसे हैं जिनसे मैं फिर कभी मिलूंगी भी नहीं।'
LGBTQ समुदाय के लोगों ने शेयर किया अपना दुख
21 साल की माया ने रोती हुई ईशा को सहारा देने की कोशिश की। हालांकि, खुद माया की कहानी भी इससे कुछ खास अलग नहीं है। माया ने बताया, 'मुझे बचपन में ही अपनी सेक्सुअलिटी के बारे में पता चल गया था। मैं बहुत छोटी थी, लेकिन मुझे 10 साल लग गए अपने पैरंट्स से यह बात शेयर करने में। जब मैंने परिवार को इस बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि या तो मैं यह सब भूल जाऊं या फिर घर से निकल जाऊं। 4 साल पहले उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया और तब मेरे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं थी। यही वो वक्त था जब मैंने आत्महत्या की कोशिश की और आज उस बारे में सोचक भी हंसी आती है।'
सूइसाइड प्रवृत्ति रोकने के लिए एनजीओ की कोशिश
स्पेस एनजीओ के फाउंडिंग मेंबर अंजन ने बताया कि यह संस्था लोगों में सूइसाइड की प्रवृत्ति रोकने के लिए बनी है। उन्होंने कहा कि एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों में निराशा के कारण आत्महत्या की दर अधिक है। अंजन का कहना है, 'इसका कोई आधिकारिक डेटा हमारे पास नहीं है क्योंकि सेक्सुअल पहचान को लेकर होनेवाली मौत का कोई आंकड़ा रखा नहीं जाता। पिछले साल सिर्फ दिल्ली में ही पांच ट्रांसजेंडर्स की आत्महत्या की सूचना हमें मिली। यू आर नॉट अलोन प्रॉजेक्ट के जरिए हम एलजीबीटी समुदाय से कहना चाहते हैं कि वह खुद को अकेला न महसूस करें।'
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