Friday, January 31, 2020

जामिया फायरिंग: 'कट्टा था या फोन समझ नहीं पाए'

नई दिल्ली
जामिया नगर इलाके में गुरुवार दोपहर को नाबालिग द्वारा की गई फायरिंग मामले में पुलिस ने अपनी सफाई दी है। अधिकारियों का कहना है कि वहां सबकुछ इतना जल्दी-जल्दी हुआ कि फोर्स यह समझ ही नहीं पाई कि आरोपी ने कट्टा निकाला है या मोबाइल फोन। जब तक पुलिस इस बात को समझ पाती कि वह मोबाइल फोन निकालकर विडियो नहीं बना रहा है बल्कि कट्टा तान रहा है, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उसने गोली चला दी थी।

पुलिस का कहना है कि उनकी ओर से कोई देरी या लापरवाही नहीं बरती गई। वहां तैनात पुलिस के पास तो कोई हथियार तक नहीं था। प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात थी। लेकिन इसी बीच भीड़ में से ही निकले नाबालिग ने गोलीबारी कर दी। पुलिसकर्मियों को इसका अंदाजा तक नहीं था कि कोई शख्स इस तरह से यहां आकर गोली चला देगा। लेकिन इस घटना के बाद से पुलिस फोर्स और सतर्क हो गई है, ताकि इस तरह की घटना को कोई दोहरा ना दे।

सूत्रों का कहना है कि आतंकवादियों को पकड़ने के लिए सोशल मीडिया पर भी निगरानी रखने वाली स्पेशल सेल को भी इस वायरल मेसेज के बारे में नहीं पता लग सका, जिसमें आरोपी 28 जनवरी से शाहीन बाग में कुछ करने की बात कह रहा था। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि यह जरूरी नहीं कि हर वायरल मेसेज को खुफिया एजेंसी पकड़ पाए।


शाहीन बाग रोड को खुलवाने पर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल रोड खुलवाने के लिए शांतिपूर्वक बातचीत चल रही है। डीसीपी के मौके पर जाकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत ना करने के मामले में अधिकारियों का कहना है कि डीसीपी पहले भी मौके पर जाकर लोगों से रोड खोलने की अपील कर चुके हैं। अगर लोगों को लगता है कि डीसीपी चिन्मय बिश्वाल को वहां फिर से जाकर रोड खुलवाने के लिए अपील करनी चाहिए तो वह फिर से जाएंगे। पुलिस की ओर से कोशिश की जा रही है कि शांति से रोड खुल जाए।

अगर 8 फरवरी को वोटिंग वाले दिन से पहले रोड नहीं खुली तो क्या 8 फरवरी के बाद प्रदर्शनकारियों को यहां से हटा दिया जाएगा? इस सवाल के जवाब में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की कोई मंशा पुलिस की ना तो पहले थी और ना ही अब है।

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