नई दिल्ली
दिल्ली में निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या करने के छह दोषियों में एक पवन गुप्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि वह एक ही मुद्दा कितनी बार उठाएगा? पवन ने स्पेशल लीव पिटिशन (एसएलपी) दायर कर दावा किया है कि 2012 में हुए अपराध के वक्त वह 17 वर्ष का ही था। जस्टिस भानुमति की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच पवन की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दोहपर ढाई बजे तक के लिए सुरक्षित कर लिया है। पवन ने सुप्रीम कोर्ट को दी अर्जी में कहा कि वह दिल्ली हाई कोर्ट को भी यह बता चुका है, लेकिन हाई कोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने 19 दिसंबर, 2019 की सुनवाई में इस दलील को खारिज करते हुए पवन के वकील पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया था।
पवन के वकील ने दी दलील
पवन के वकील एपी सिंह ने शीर्ष अदालत में दलील दी कि दोषी पवन की जन्मतिथि 8 अक्टूबर, 1996 है। उन्होंने कहा, 'हमारे पास दस्तावेज हैं। पवन अपराध के समय नाबालिग था।' ए पी सिंह ने गायत्री बाल स्कूल के सर्टिफिकेट को जिक्र किया और कहा कि यह नया दस्तावेज है।
कोर्ट के तीखे सवाल
इसपर जस्टिस भानुमति ने पूछा कि आप जो दस्तावेज आप दे रहे हैं वो 2017 का है, जब कोर्ट ने आपको सजा सुना दी थी। इसपर एपी सिंह ने कहा कि इस मामले में एक बड़ी साजिश हुई है। दिल्ली पुलिस ने जानबूझकर पवन की उम्र संबंधी दस्तावेजों की जानकारी छिपाई है। बेंच ने फिर पूछा कि पुनर्विचार याचिका में भी आपने इस मुद्दे को उठाया था, फिर आप इस मुद्दे को अब क्यों उठा रहे हैं? कोर्ट ने कहा कि आप ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे को उठा चुके हैं, कितनी बार आप यही मुद्दा उठाएंगे?
16 दिसंबर, 2012 को हुई थी दरिंदगी
याद रहे कि 16 दिसंबर, 2012 को एक साइकोथेरपी इंटर्न निर्भया के साथ हुई जघन्य वारदात में शामिल छह दोषियों में एक को घटना के वक्त नाबालिग होने का फायदा मिल चुका है और वह महज तीन साल की सजा काटकर जेल से निकल चुका है जबकि एक दोषी राम सिंह ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी। शेष चार दोषियों, मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता को फांसी पर लटकाने के लिए 1 फरवरी का डेथ वॉरंट जारी हुआ है।
फांसी टालने पर तुले हैं सारे दोषी
दिल्ली के पटिलाया हाउस कोर्ट से दुबारा जारी हुए डेथ वॉरंट में फांसी का समय सुबह 6 बजे तय किया गया है। इससे पहले 22 जनवरी का डेथ वॉरंट जारी हुआ था, तभी दोषी मुकेश ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर दी थी। हालांकि, जब तिहाड़ जेल अधिकारियों ने कोर्ट को सूचना दी कि मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी तो कोर्ट ने 1 फरवरी का नया डेथ वॉरंट जारी किया। इसी क्रम में पवन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर निर्भया से दरिंदगी के वक्त खुद के नाबालिग होने की गुहार लगाया। वहीं, पवन, विनय और अक्षय के पास अभी दया याचिका दाखिल करने का भी विकल्प बचा है।
दिल्ली में निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या करने के छह दोषियों में एक पवन गुप्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि वह एक ही मुद्दा कितनी बार उठाएगा? पवन ने स्पेशल लीव पिटिशन (एसएलपी) दायर कर दावा किया है कि 2012 में हुए अपराध के वक्त वह 17 वर्ष का ही था। जस्टिस भानुमति की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच पवन की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दोहपर ढाई बजे तक के लिए सुरक्षित कर लिया है। पवन ने सुप्रीम कोर्ट को दी अर्जी में कहा कि वह दिल्ली हाई कोर्ट को भी यह बता चुका है, लेकिन हाई कोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने 19 दिसंबर, 2019 की सुनवाई में इस दलील को खारिज करते हुए पवन के वकील पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया था।
पवन के वकील ने दी दलील
पवन के वकील एपी सिंह ने शीर्ष अदालत में दलील दी कि दोषी पवन की जन्मतिथि 8 अक्टूबर, 1996 है। उन्होंने कहा, 'हमारे पास दस्तावेज हैं। पवन अपराध के समय नाबालिग था।' ए पी सिंह ने गायत्री बाल स्कूल के सर्टिफिकेट को जिक्र किया और कहा कि यह नया दस्तावेज है।
कोर्ट के तीखे सवाल
इसपर जस्टिस भानुमति ने पूछा कि आप जो दस्तावेज आप दे रहे हैं वो 2017 का है, जब कोर्ट ने आपको सजा सुना दी थी। इसपर एपी सिंह ने कहा कि इस मामले में एक बड़ी साजिश हुई है। दिल्ली पुलिस ने जानबूझकर पवन की उम्र संबंधी दस्तावेजों की जानकारी छिपाई है। बेंच ने फिर पूछा कि पुनर्विचार याचिका में भी आपने इस मुद्दे को उठाया था, फिर आप इस मुद्दे को अब क्यों उठा रहे हैं? कोर्ट ने कहा कि आप ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे को उठा चुके हैं, कितनी बार आप यही मुद्दा उठाएंगे?
16 दिसंबर, 2012 को हुई थी दरिंदगी
याद रहे कि 16 दिसंबर, 2012 को एक साइकोथेरपी इंटर्न निर्भया के साथ हुई जघन्य वारदात में शामिल छह दोषियों में एक को घटना के वक्त नाबालिग होने का फायदा मिल चुका है और वह महज तीन साल की सजा काटकर जेल से निकल चुका है जबकि एक दोषी राम सिंह ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी। शेष चार दोषियों, मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता को फांसी पर लटकाने के लिए 1 फरवरी का डेथ वॉरंट जारी हुआ है।
फांसी टालने पर तुले हैं सारे दोषी
दिल्ली के पटिलाया हाउस कोर्ट से दुबारा जारी हुए डेथ वॉरंट में फांसी का समय सुबह 6 बजे तय किया गया है। इससे पहले 22 जनवरी का डेथ वॉरंट जारी हुआ था, तभी दोषी मुकेश ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर दी थी। हालांकि, जब तिहाड़ जेल अधिकारियों ने कोर्ट को सूचना दी कि मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी तो कोर्ट ने 1 फरवरी का नया डेथ वॉरंट जारी किया। इसी क्रम में पवन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर निर्भया से दरिंदगी के वक्त खुद के नाबालिग होने की गुहार लगाया। वहीं, पवन, विनय और अक्षय के पास अभी दया याचिका दाखिल करने का भी विकल्प बचा है।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
Read more: निर्भया: उम्र की दलील से बचेगा पवन?