नई दिल्ली
तिहाड़ जेल के कैदियों की सुरक्षा कैदियों के ही हाथों में रहती है। क्या आप चौंक गए?... दरअसल जिन वॉर्ड और बैरक में कैदी बंद होते हैं, उनके तालों की चाबी अक्सर कैदियों के पास ही रहती है। सूत्रों के अनुसार, कई बैरक और वॉर्ड ऐसे हैं, जहां हर दिन सुबह कैदी ही लॉक खोलते हैं और शाम को बंद करते हैं। दरअसल, जेल के कुछ स्टाफ ने अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए यह तरीका निकाला है। बताया जाता है कि पिछले दिनों जेल के वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी भनक लग गई थी। उन्होंने इसे गंभीर लापरवाही माना।
राजधानी की सबसे महत्वपूर्ण जेल की सुरक्षा पर मंडरा रहे गंभीर खतरे को देखते हुए निर्देश दिया गया था कि चाबियां स्टाफ के पास ही होनी चाहिए। खबर है कि पिछले दिनों हुई मीटिंग में यह मामला भी उठा था। तब सभी जेलरों को लापरवाही दूर करने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि इसका खास असर नहीं पड़ा।
सेवादारों के भरोसे जेल स्टाफ
सूत्रों ने बताया कि कैदियों के बीच से ही कुछ ऐसे होते हैं, जिन पर जेल स्टाफ अधिक भरोसा करने लगते हैं। इन्हें जेल की भाषा में सेवादार कहा जाता है। स्टाफ अपने तमाम काम इन्हीं सेवादारों पर डाल देते हैं। कई बार इनका दबदबा इतना बढ़ जाता है कि वे दूसरे कैदियों को डांट भी देते हैं।
तिहाड़ जेल के कैदियों की सुरक्षा कैदियों के ही हाथों में रहती है। क्या आप चौंक गए?... दरअसल जिन वॉर्ड और बैरक में कैदी बंद होते हैं, उनके तालों की चाबी अक्सर कैदियों के पास ही रहती है। सूत्रों के अनुसार, कई बैरक और वॉर्ड ऐसे हैं, जहां हर दिन सुबह कैदी ही लॉक खोलते हैं और शाम को बंद करते हैं। दरअसल, जेल के कुछ स्टाफ ने अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए यह तरीका निकाला है। बताया जाता है कि पिछले दिनों जेल के वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी भनक लग गई थी। उन्होंने इसे गंभीर लापरवाही माना।
राजधानी की सबसे महत्वपूर्ण जेल की सुरक्षा पर मंडरा रहे गंभीर खतरे को देखते हुए निर्देश दिया गया था कि चाबियां स्टाफ के पास ही होनी चाहिए। खबर है कि पिछले दिनों हुई मीटिंग में यह मामला भी उठा था। तब सभी जेलरों को लापरवाही दूर करने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि इसका खास असर नहीं पड़ा।
सेवादारों के भरोसे जेल स्टाफ
सूत्रों ने बताया कि कैदियों के बीच से ही कुछ ऐसे होते हैं, जिन पर जेल स्टाफ अधिक भरोसा करने लगते हैं। इन्हें जेल की भाषा में सेवादार कहा जाता है। स्टाफ अपने तमाम काम इन्हीं सेवादारों पर डाल देते हैं। कई बार इनका दबदबा इतना बढ़ जाता है कि वे दूसरे कैदियों को डांट भी देते हैं।
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